नेत्रहीन बेटी से पिता और भाइयों ने 3 साल तक किया रेप, मां ने भी दिया साथ
झारखंड के रांची में नेत्रहीन लड़की से उसी के पापा और दो भाइयों ने तीन साल तक रेप किया. जब प्रेग्नेंट हुई तो मां ने उसका अबॉर्शन करवा दिया. पीड़िता ये बात किसी को बता नहीं पा रही थी. जब उसे मौका मिला तो उसने पड़ोसियों को ये बात बताई. पीड़िता की कहानी सुनकर पुलिस भी सन्न रह गई.

झारखंड की राजधानी रांची से इंसानियत को शर्मसार करने वाला एक दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है, जिसमें एक नेत्रहीन नाबालिग लड़की को उसके अपने ही घरवालों ने तीन साल तक वहशीपन का शिकार बनाया. बरियातु थाना क्षेत्र की रहने वाली यह मासूम बच्ची, जो देख नहीं सकती, अपने ही पिता और दो भाइयों की हवस का शिकार बनती रही. हैरान कर देने वाली बात यह रही कि इस पूरी दरिंदगी में मां ने भी बेटी का नहीं, बल्कि पति और बेटों का साथ दिया. जब बच्ची गर्भवती हो गई, तो मां ने ही उसका गर्भपात करवा दिया.
पीड़िता नाबालिग होने के साथ-साथ नेत्रहीन और दिव्यांग भी है. वह अपने साथ हो रहे अमानवीय अत्याचार को रोक पाने में पूरी तरह असमर्थ थी. तीन साल तक घर में उसकी जिंदगी नर्क से भी बदतर रही. लेकिन आखिरकार एक दिन उसे मौका मिला. जब घरवालों की निगरानी कमजोर पड़ी, तो उसने रोते हुए अपने पड़ोसियों को अपने साथ हो रही दरिंदगी की पूरी दास्तान सुना दी. पड़ोसी भी यह सुनकर दंग रह गए और तुरंत पुलिस को सूचना दी.
मां बनी अपराध की सहभागी
जिस मां को अपनी बेटी की पहली रक्षक बनना चाहिए था, वही मां इस भयानक अपराध में सहभागी बन गई. जब बेटी ने मां से शिकायत की कि पापा और भाई उसके साथ बलात्कार करते हैं, तो मां ने उल्टा उन्हीं का पक्ष लिया. बेटी जब प्रेग्नेंट हुई, तो भी मां ने न तो उसे बचाया और न ही इंसाफ दिलाने की कोशिश की, बल्कि उसका गर्भपात करवाने की साजिश रची और उसे चुपचाप डॉक्टर के पास ले जाकर अबॉर्शन करवा दिया.
पुलिस ने लिया एक्शन, परिवार गिरफ्तार
पुलिस ने मामले की गंभीरता को समझते हुए फौरन ऐक्शन लिया. पीड़िता की शिकायत के आधार पर उसके पिता, मां और एक भाई को गिरफ्तार कर लिया गया है. दूसरा भाई जो दूसरे राज्य में नौकरी कर रहा है, फरार है और उसकी तलाश में पुलिस लगातार छापेमारी कर रही है. पीड़िता का मेडिकल परीक्षण कराया गया है और कोर्ट में उसके बयान भी दर्ज कर लिए गए हैं. मामले की जांच जारी है और पुलिस ने इसे एक जघन्य अपराध की श्रेणी में लिया है.
बेटी की हिम्मत बनी मिसाल
नेत्रहीन और नाबालिग होने के बावजूद, पीड़िता ने जो साहस दिखाया, वह समाज के लिए एक प्रेरणा है. उसने अपने अत्याचारियों के खिलाफ आवाज उठाई और पूरे सिस्टम को जगा दिया. उसकी हिम्मत के कारण आज दरिंदे सलाखों के पीछे हैं.
समाज के सामने बड़ा सवाल
यह मामला सिर्फ एक अपराध नहीं, बल्कि एक समाजिक हादसा है. अगर घर ही बेटियों के लिए असुरक्षित हो जाए, तो वे जाएं तो कहां जाएं? इस घटना ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि हमें सिर्फ बाहर के अपराधियों से नहीं, बल्कि घर के भीतर छिपे भेड़ियों से भी सतर्क रहना होगा. ऐसे मामलों में फास्ट-ट्रैक अदालतों के माध्यम से दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए, ताकि कोई और बेटी ऐसी हैवानियत का शिकार न हो.


