बिहार चुनाव में चमकी युवा ताकत, चिराग पासवान ने किया कमाल
बिहार चुनाव में चिराग पासवान ने लोजपा (रामविलास) को अभूतपूर्व सफलता दिलाकर बिहार की राजनीति में खुद को मजबूती से स्थापित किया. लोजपा (आरवी) को मिली 29 सीटों में से चिराग पासवान ने 20 सीटों पर निर्णायक बढ़त बनाई.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 उन ऐतिहासिक मौकों में गिना जाएगा जहां एनडीए ने प्रभावशाली जीत दर्ज की और नीतीश कुमार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने एक बार फिर अपनी राजनीतिक पकड़ दिखाई. लेकिन इस चुनाव की असल कहानी सिर्फ सत्ता में लौटने की नहीं, बल्कि उस युवा चेहरे के उभार की भी है जिसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया था. यह चेहरा है, चिराग पासवान का.
बिहार चुनाव में लोजपा (रामविलास) का बेहतर प्रदर्शन
चिराग पासवान ने इस बार अपनी पार्टी लोजपा (रामविलास) को अभूतपूर्व सफलता दिलाकर बिहार की राजनीति में खुद को मजबूती से स्थापित किया है, लोजपा (आरवी) को मिली 29 सीटों में से चिराग पासवान ने 20 सीटों पर निर्णायक बढ़त बनाई और करीब 69% का स्ट्राइक रेट हासिल किया. मज़े की बात यह है कि यह प्रदर्शन तब आया है जब सिर्फ एक साल पहले लोकसभा चुनाव में पार्टी ने अपनी सभी पांच सीटें जीती थीं.
2020 विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति बेहद कमजोर थी. 130 से ज्यादा सीटों पर लड़कर सिर्फ एक सीट मिली थी. उस समय यह भी कहा जाने लगा था कि चिराग में अपने पिता, दिग्गज नेता रामविलास पासवान की विरासत को संभालने की क्षमता नहीं है. इन कठिन दौर के बाद 2021 में पार्टी के अंदर विभाजन ने चिराग के सामने और बड़ी चुनौती खड़ी कर दी थी, जब उनके चाचा पशुपति पारस ने अलग होकर राजनीतिक दावा ठोक दिया. लेकिन चिराग ने कदम पीछे नहीं हटाए.
युवा बिहारी की पहचान, चिराग पासवान
43 वर्ष की उम्र में उन्होंने खुद को युवा बिहारी की पहचान के साथ नए सिरे से गढ़ा और अपनी राजनीति को दलित हितों से जोड़ा. इसका परिणाम 2024 लोकसभा चुनाव में दिखा, जहां उन्होंने 100% सफलता हासिल की. हालांकि विधानसभा चुनाव के लिए सीट बंटवारे में भाजपा और जेडीयू ने उन्हें ज्यादा तरजीह नहीं दी. कहा जाता है कि उन्हें 20 से अधिक सीटें देने से भी दोनों दल हिचकिचा रहे थे. स्थिति ऐसी बनी कि चिराग ने प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी से भी बातचीत शुरू कर दी, जिससे वे किसी भी दबाव में झुकने को तैयार नहीं दिखे. आखिरकार उन्होंने एनडीए से 29 सीटें निकाल लीं और अब तक का सबसे मजबूत प्रदर्शन किया.
चिराग पासवान ने चुनाव पूर्व साफ कहा था कि उनके कार्यकर्ता उन्हें राज्य के शीर्ष पद पर देखना चाहते हैं. उनका लक्ष्य हर स्तर को पार करते हुए आगे बढ़ना है. उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति उनकी निष्ठा अटूट है और किसी दूसरी पार्टी के साथ जाने का सवाल ही नहीं उठता.
एनडीए की बड़ी जीत पर लोजपा (आरवी) सांसद शांभवी चौधरी ने कहा कि जनता ने विकास की राजनीति को चुना है. यही गठबंधन की ताकत है. अब देखने वाली बात यह होगी कि चिराग पासवान का उभार आने वाले वर्षों में बिहार की राजनीति को किस दिशा में ले जाता है.


