चिराग पासवान की पार्टी ने दिखाया दम, 29 में से 22 सीटों पर बनाई बढ़त, मोदी के 'हनुमान' स्ट्राइक रेट में भी आगे
चिराग पासवान की एलजेपी (रामविलास) ने 2025 बिहार चुनाव में 29 में से 22 सीटों पर बढ़त बनाकर एनडीए में अपनी अहमियत साबित की. 2020 की निराशा के बाद यह उनका बड़ा राजनीतिक पुनरुत्थान है, जिससे एनडीए को रणनीतिक लाभ मिला.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक बड़ा राजनीतिक नाम जिस तरह सुर्खियों में छाया रहा, वह था चिराग पासवान और उनकी पार्टी एलजेपी (रामविलास). चुनाव से पहले ही यह साफ हो गया था कि एनडीए के लिए चिराग कितने अहम हैं, क्योंकि सीट बंटवारे के दौरान सबसे ज्यादा मोलभाव उन्हीं ने किया.
बीजेपी भी उन्हें मनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही थी. यहां तक कि चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान भी उनसे मिलने पहुंचे थे. अब जब नतीजे सामने आने लगे हैं, यह बिल्कुल स्पष्ट है कि चिराग की राजनीतिक हैसियत क्यों इतनी महत्वपूर्ण मानी जा रही थी.
चिराग पासवान की शानदार बढ़त
एनडीए में रहते हुए एलजेपी (आर) ने इस बार 29 सीटों पर चुनाव लड़ा और शुरुआती नतीजे दिखाते हैं कि इनमें से 22 सीटों पर पार्टी बढ़त बनाए हुए है. यह प्रदर्शन न सिर्फ चिराग की रणनीति को मजबूत साबित करता है, बल्कि यह भी बताता है कि उनकी पार्टी ने इस चुनाव में कितना दमदार प्रदर्शन किया है.
पिछली विधानसभा में एलजेपी (रामविलास) का एक भी विधायक नहीं था, बावजूद इसके एनडीए ने उन पर भरोसा करते हुए पूरे 29 सीटें दीं. चिराग ने अपने प्रदर्शन से उस भरोसे को सही साबित कर दिया है और एनडीए के लिए एक "विनिंग फैक्टर" बनकर उभरे हैं.
एनडीए का सीट बंटवारा
- जेडीयू: 101 सीटें
- बीजेपी: 101 सीटें
- एलजेपी (रामविलास): 29 सीटें
- हम (जितन राम मांझी): 6 सीटें
- राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा): 6 सीटें
स्पष्ट है कि एलजेपी (आर) को दी गई सीटों की संख्या बाकी छोटे सहयोगियों से कहीं अधिक थी, जो चिराग की राजनीतिक अहमियत को दर्शाती है.
बड़ा उलटफेर
2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने NDA से अलग होकर 135 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे, लेकिन सिर्फ एक सीट मटियानी पर ही जीत मिली थी. बाद में वह विधायक भी जेडीयू में शामिल हो गया, जिससे चिराग पूरी तरह खाली हाथ रह गए.
लेकिन 2025 ने चिराग की किस्मत और राजनीतिक साख दोनों बदल दी है. एनडीए में वापसी और बेहतर सीट बंटवारे के साथ उन्होंने जिस प्रदर्शन से खुद को साबित किया है, वह उनके लिए एक उल्लेखनीय राजनीतिक पुनरुत्थान है.
एनडीए के लिए चिराग क्यों जरूरी?
सीमांचल और दलित बहुल इलाकों में चिराग की पकड़ मजबूत रही है. युवा वोटरों में उनका बड़ा प्रभाव है. चिराग के चुनाव प्रचार ने NDA को नए सामाजिक समीकरण दिए. राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि अगर यह प्रदर्शन बरकरार रहा, तो भविष्य में एनडीए में चिराग की भूमिका और मजबूत होगी.
2025 का यह चुनाव चिराग पासवान के लिए एक नई शुरुआत साबित होता दिख रहा है. नतीजे साफ बता रहे हैं कि एलजेपी (रामविलास) सिर्फ एक सहयोगी दल नहीं, बल्कि एनडीए का अहम स्तंभ बनकर उभर रही है.


