23 साल की हुई दिल्ली मेट्रो: 24 दिसंबर को शुरू हुआ था सफर, पहले यात्री बने अटल बिहारी वाजपेई
दिल्ली मेट्रो ने 24 दिसंबर को अपनी सेवा के 23 वर्ष पूरे कर लिए. साल 2002 में शुरू हुआ यह सफर आज दिल्ली-एनसीआर की सबसे विश्वसनीय परिवहन प्रणालियों में गिना जाता है.

दिल्ली मेट्रो ने 24 दिसंबर को अपनी सेवा के 23 वर्ष पूरे कर लिए. वर्ष 2002 में शुरू हुआ यह सफर आज दिल्ली-एनसीआर की सबसे विश्वसनीय और आधुनिक सार्वजनिक परिवहन प्रणालियों में गिना जाता है. महज 6 किलोमीटर लंबे पहले कॉरिडोर से शुरू होकर दिल्ली मेट्रो आज राजधानी और आसपास के इलाकों की जीवनरेखा बन चुकी है.
दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन कब चली?
रोजाना लाखों यात्री मेट्रो के जरिए सुरक्षित, तेज और किफायती यात्रा कर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं. दिल्ली मेट्रो की पहली ट्रेन 24 दिसंबर 2002 को शाहदरा से तीस हजारी के बीच चली थी. उस ऐतिहासिक दिन देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई पहले यात्री बने थे. शुरुआती दौर में यह परियोजना एक बड़े प्रयोग की तरह देखी जा रही थी, लेकिन समय के साथ इसने न सिर्फ लोगों का भरोसा जीता, बल्कि दुनिया के बेहतरीन मेट्रो नेटवर्क्स में अपनी जगह भी बनाई.
आज दिल्ली मेट्रो का नेटवर्क 394 किलोमीटर से ज्यादा फैल चुका है. इसमें दिल्ली के अलावा नोएडा, गाजियाबाद, फरीदाबाद, गुरुग्राम और बहादुरगढ़ जैसे एनसीआर के शहर भी शामिल हैं. 12 अलग-अलग लाइनों और 289 स्टेशनों के साथ मेट्रो ने पूरे क्षेत्र को एक मजबूत परिवहन ढांचे से जोड़ दिया है, जिससे रोजमर्रा की आवाजाही काफी आसान हो गई है.
दिल्ली मेट्रो ने सिर्फ सफर को ही नहीं बदला, बल्कि शहर की बड़ी समस्याओं जैसे ट्रैफिक जाम और बढ़ते प्रदूषण को कम करने में भी अहम योगदान दिया है. लाखों लोग निजी वाहनों की जगह मेट्रो को अपनाकर सड़कों पर गाड़ियों की संख्या घटा रहे हैं. इससे ईंधन की बचत के साथ-साथ कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आई है, जिसके चलते दिल्ली मेट्रो को ‘ग्रीन मेट्रो’ के नाम से भी पहचाना जाता है.
मेट्रो की सुविधाओं में लगातार सुधार
समय के साथ मेट्रो की सुविधाओं में लगातार सुधार किया गया है. शुरुआती दिनों में जहां यात्रियों को टिकट काउंटर पर लाइन लगानी पड़ती थी, वहीं अब स्मार्ट कार्ड, मोबाइल ऐप और डिजिटल भुगतान जैसे विकल्प मौजूद हैं. भविष्य में टिकटिंग को पूरी तरह पेपरलेस और ज्यादा आसान बनाने की दिशा में भी काम हो रहा है.
सुरक्षा और सुविधा दिल्ली मेट्रो की प्राथमिकताओं में शामिल हैं. सीसीटीवी कैमरे, महिला कोच, साफ-सुथरे स्टेशन, लिफ्ट और एस्केलेटर, साथ ही दिव्यांग यात्रियों के लिए विशेष इंतजाम इसे सभी वर्गों के लिए अनुकूल बनाते हैं. एयरपोर्ट एक्सप्रेस लाइन जैसी सेवाओं ने इसकी अंतरराष्ट्रीय पहचान को और मजबूत किया है.
कोरोना महामारी जैसी चुनौतियों के बावजूद दिल्ली मेट्रो ने विकास की रफ्तार नहीं रोकी. फेज-4 के तहत नए कॉरिडोर और विस्तार परियोजनाओं पर काम जारी है. 23 वर्षों के इस सफर में दिल्ली मेट्रो सिर्फ एक परिवहन साधन नहीं, बल्कि दिल्लीवासियों के जीवन का अहम हिस्सा बन चुकी है और आने वाले वर्षों में भी शहर की रफ्तार को नई दिशा देती रहेगी.


