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Guillain Barre Syndrome: पुणे में गुइलेन बैरी सिंड्रोम का कहर, 1 की मौत, 101 लोग संक्रमित

महाराष्ट्र स्वास्थ्य विभाग ने रविवार को बताया कि पुणे में गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) के कारण पहली मौत हुई है. इस बीमारी के कुल 101 मामले अब तक सामने आ चुके हैं, जिनमें से 16 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है और वे वेंटिलेटर सपोर्ट पर हैं. सोलापुर में एक संदिग्ध जीबीएस मौत की रिपोर्ट भी मिली है, लेकिन इसके बारे में ज्यादा जानकारी अभी उपलब्ध नहीं है.

Deeksha Parmar
Edited By: Deeksha Parmar

पुणे में गुइलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) ने भयावह रूप ले लिया है. अब तक 101 मामले सामने आ चुके हैं, जिनमें से 16 मरीजों की हालत गंभीर बनी हुई है जो वेंटिलेटर पर हैं. इस घातक बीमारी ने अब तक दो जिंदगियां छीन ली हैं. इस बीच, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मरीजों के इलाज के लिए पुणे नगर निगम अस्पताल में मुफ्त इलाज देने की घोषणा की है. मामले में बढ़ोतरी को देखते हुए केंद्र सरकार ने जांच के लिए एक टीम पुणे भेजी है.

गुइलेन बैरी सिंड्रोम से पुणे में संकट बढ़ता जा रहा है. इस गंभीर बीमारी के कारण अब तक दो मौतें हो चुकी हैं और 67 से अधिक लोग संक्रमित हैं. इलाज की लागत को देखते हुए सरकार ने मुफ्त उपचार का ऐलान किया है, ताकि नागरिकों को राहत मिल सके.

क्या है गुइलेन बैरी सिंड्रोम?

गुइलेन बैरी सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन उपचार योग्य स्थिति है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम अपनी ही नसों पर हमला करता है. इसके परिणामस्वरूप मांसपेशियों में कमजोरी, सुन्नपन या लकवा हो सकता है. पुणे में यह बीमारी अचानक से फैल गई है और अब तक शहर के विभिन्न अस्पतालों में कई मामले सामने आ चुके हैं. डॉक्टरों के अनुसार, जीबीएस के मरीजों को इलाज में लंबा समय लगता है और एक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये तक हो सकती है.  

पुणे में मौतों का सिलसिला

पुणे में गुइलेन बैरी सिंड्रोम के कारण हाल ही में दो लोगों की मौत हो चुकी है. इनमें से एक व्यक्ति सोलापुर का रहने वाला था, जो पुणे के अस्पताल में इलाज करवा रहा था. उसकी मौत श्वसन संबंधित समस्याओं के कारण हुई. इसके अलावा, एक 64 वर्षीय महिला भी इस बीमारी से जूझ रही थी, जिसकी इलाज के दौरान मृत्यु हो गई.  

कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया का पता चला

पुणे में जीबीएस के बढ़ते मामलों के कारण जांच के लिए टीम भेजी गई है. जांच के दौरान पता चला है कि कुछ मरीजों के जैविक नमूनों में कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी बैक्टीरिया पाया गया है, जो जीबीएस के अधिकांश मामलों का कारण बनता है. यह बैक्टीरिया दूषित पानी या खाद्य पदार्थों के माध्यम से फैल सकता है. 

सरकारी कदम: मुफ्त इलाज की घोषणा

महाराष्ट्र सरकार ने जीबीएस से प्रभावित मरीजों के इलाज के लिए मुफ्त उपचार की घोषणा की है. उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, "इलाज महंगा है, इसीलिए हमने पुणे नगर निगम के कमला नेहरू अस्पताल और पिंपरी-चिंचवाड़ के वाईसीएम अस्पताल में जीबीएस के मरीजों का मुफ्त इलाज देने का फैसला किया है."  

जीबीएस उपचार

जीबीएस के मरीजों को महंगे इम्युनोग्लोबुलिन (IVIG) इंजेक्शन की आवश्यकता होती है. प्रत्येक इंजेक्शन की कीमत 20,000 रुपये तक हो सकती है. एक 68 वर्षीय मरीज को 13 इंजेक्शन की आवश्यकता थी, जिसके लिए लगभग 2,60,000 रुपये का खर्च आया. इस स्थिति को देखते हुए सरकार ने फ्री इलाज का ऐलान किया है, ताकि गरीब मरीजों को राहत मिल सके.

पुणे के पानी में बैक्टीरिया का खतरा

पुणे के जलाशय के पास एक कुएं में ई. कोली बैक्टीरिया का उच्च स्तर पाया गया है. हालांकि यह अभी स्पष्ट नहीं है कि यह पानी लोगों द्वारा इस्तेमाल किया जा रहा था या नहीं. स्वास्थ्य विभाग ने लोगों से उबला हुआ पानी पीने और खाने से पहले उसे अच्छी तरह से गर्म करने की सलाह दी है.  

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27 January 2025, 10:29 AM IST

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