Guillain-Barre syndrome: भारत में तेजी से फैल रही है ये दुर्लभ बीमारी, तुरंत जान लें इसके लक्षण
इस समय पुणे, महाराष्ट्र में Guillain Barre Syndrome के मामलों में वृद्धि हो रही है. यह बीमारी केवल वयस्कों को ही नहीं, बल्कि बच्चों को भी प्रभावित कर सकती है. इसके लक्षणों की पहचान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि समय पर उपचार शुरू किया जा सके.

Guillain Barre Syndrome: गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ लेकिन गंभीर न्यूरोलॉजिकल स्थिति है, जो मांसपेशियों की कमजोरी और कुछ मामलों में पक्षाघात का कारण बनती है. हाल ही में यह बीमारी भारत के महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में देखी गई है. दूषित पानी और संक्रमण को इसके प्रमुख कारणों में से एक माना जा रहा है.
गिलियन-बैरे सिंड्रोम (GBS) क्या है?
आपको बता दें कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम तब होता है जब शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से परिधीय तंत्रिकाओं पर हमला करने लगती है. इससे मांसपेशियों में कमजोरी, झुनझुनी और गंभीर मामलों में पक्षाघात जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं. मेडिकल विशेषज्ञों के अनुसार, यह स्थिति किसी संक्रमण, जैसे कि कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी, इन्फ्लूएंजा, एपस्टीन-बार वायरस, जीका या कोविड-19 के बाद विकसित हो सकती है.
गिलियन-बैरे सिंड्रोम के 5 प्रमुख लक्षण
मांसपेशियों की कमजोरी और पक्षाघात
- लक्षण पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्सों तक फैलते हैं.
- चलने में कठिनाई और समन्वय में कमी.
- गंभीर मामलों में आंशिक या पूर्ण पक्षाघात.
श्वसन संबंधी समस्याएं
- सांस लेने में कठिनाई.
- गंभीर स्थिति में श्वसन मांसपेशियों की विफलता का खतरा.
तंत्रिका संबंधी परेशानियां
- हाथ और पैर में झुनझुनी, सुन्नता और जलन.
- चेहरे की मांसपेशियों में कमजोरी और निगलने में दिक्कत.
हृदय संबंधी असामान्यताएं
- अनियमित दिल की धड़कन और रक्तचाप में उतार-चढ़ाव.
- कुछ मामलों में हाथ-पैर में दर्द और झुनझुनी.
मूत्र और पाचन समस्याएं
- मूत्र प्रतिधारण.
- जठरांत्र संबंधी असुविधा और मांसपेशियों में कमजोरी.
रोकथाम और सावधानियां
स्वच्छता का पालन करें: हाथों की नियमित सफाई और दूषित पानी से बचें.
सुरक्षित भोजन करें: ताजा पका हुआ खाना खाएं और अधपके भोजन से बचें.
प्रारंभिक चिकित्सा सलाह लें: लक्षण दिखते ही डॉक्टर से संपर्क करें.
इलाज और पुनर्प्राप्ति
आपको बता दें कि गिलियन-बैरे सिंड्रोम के इलाज के लिए समय पर अस्पताल में भर्ती होना आवश्यक है. प्लाज्मा एक्सचेंज, इम्यूनोथेरेपी और गंभीर मामलों में मैकेनिकल वेंटिलेशन जैसे उपाय बेहद प्रभावी हैं. सही देखभाल से मरीज धीरे-धीरे पूरी तरह ठीक हो सकता है. बहरहाल, समय पर निदान, उपचार और स्वच्छता उपायों के साथ इस बीमारी को नियंत्रित किया जा सकता है.


