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हम खुश तो बाकी लोग... हिमाचल के भाइयों ने एक ही महिला से शादी करने पर तोड़ी चुप्पी

हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले में दो भाइयों, प्रदीप और कपिल नेगी, ने जोड़ेदार प्रथा के तहत एक ही महिला से विवाह किया. उन्होंने कहा कि यह परंपरा पीढ़ियों से चली आ रही है और आलोचना से उन्हें फर्क नहीं पड़ता. यह विवाह परिवार की सहमति से हुआ और समाज में स्वीकृत है. शादी का उद्देश्य परंपरा का सम्मान और एकजुट रहना है, न कि प्रसिद्धि पाना.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

Himachal News : हिमाचल प्रदेश के सिरमौर जिले के शिलाई क्षेत्र के दो भाइयों ने एक ही महिला से विवाह कर समाज में चर्चा का विषय बना दिया है. लेकिन प्रदीप और कपिल नेगी का कहना है कि वे आलोचनाओं से प्रभावित नहीं हैं, बल्कि अपनी सदियों पुरानी परंपरा पर गर्व महसूस करते हैं. उनका विवाह स्थानीय ‘हट्टी समुदाय’ की ‘जोड़ेदार प्रथा’ के तहत हुआ, जो भ्रातृ बहुपति विवाह (fraternal polyandry) को मान्यता देती है.

परंपरा नहीं, समझदारी का फैसला

प्रदीप नेगी ने एक वीडियो में बताया कि यह परंपरा उनके परिवार और क्षेत्र में पीढ़ियों से चली आ रही है, और आगे भी चलती रहेगी. उन्होंने स्पष्ट कहा कि सोशल मीडिया पर हो रही आलोचनाओं से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता. उनके अनुसार यह प्रथा केवल हिमाचल तक सीमित नहीं है, बल्कि उत्तराखंड के जौनसार-बावर क्षेत्र में भी प्रचलित है, जहां ऐसे विवाह में दोनों भाई एक ही महिला से माला पहनते हैं.

स्वेच्छा से लिया गया निर्णय
कपिल नेगी ने इस विवाह को पूरी तरह स्वेच्छा से लिया गया निर्णय बताया और कहा कि इसमें न तो किसी पर दबाव था और न ही किसी मजबूरी का सवाल था. दंपति यानी दोनों भाई और उनकी पत्नी सुनीता चौहान इस रिश्ते से संतुष्ट हैं, और दोनों परिवारों की भी पूरी सहमति रही. प्रदीप ने कहा, "हमारी संस्कृति को समझे बिना लोग अपनी राय दे रहे हैं, जबकि हमारे समाज और परिवार ने इस रिश्ते को सम्मानपूर्वक स्वीकार किया है."


विवाह चर्चा में पर मकसद सुर्खियाँ बटोरना नहीं
नेगी भाइयों ने यह भी साफ किया कि उन्होंने यह शादी किसी शोहरत के लिए नहीं की. वे कम आय वाले किसान परिवार से हैं, जिनके पास बहुत ज़्यादा ज़मीन-जायदाद नहीं है. कपिल बोले, "हमने शादी सुर्खियाँ पाने के लिए नहीं की, बल्कि इसलिए की ताकि हम साथ रह सकें और एक-दूसरे से प्रेम बनाए रख सकें."

तीन दिन चला पारंपरिक विवाह उत्सव
यह अनोखी शादी 12 जुलाई से शुरू हुई और तीन दिन तक चली. समारोह में पारंपरिक नृत्य, लोक गीत और स्थानीय रीति-रिवाज़ों की छाप देखने को मिली. यह आयोजन सिरमौर जिले के ट्रांस-गिरी क्षेत्र के थिंडो गांव में हुआ, जहां यह प्रथा सामाजिक रूप से स्वीकृत है.

जमीन बचाने की परंपरा से जुड़ी है ‘जोड़ेदार प्रथा’
‘जोड़ेदार प्रथा’ का पालन करने का एक प्रमुख उद्देश्य पारिवारिक जमीन का विभाजन रोकना है. पहाड़ी कृषि समुदायों में जमीन की सीमित उपलब्धता के कारण ऐसी प्रथा को लंबे समय से अपनाया गया है. इस परंपरा में पैदा होने वाले बच्चों का कानूनी पिता बड़े भाई को माना जाता है, जिससे संपत्ति के बंटवारे से बचा जा सके.

समाज के भीतर परंपरा बनाम आधुनिक सोच की बहस
यह विवाह एक बार फिर इस सवाल को सामने लाता है कि क्या परंपरा और आधुनिकता एक साथ चल सकती हैं? जहां कुछ लोग इसे सामाजिक विचलन मान रहे हैं, वहीं नेगी परिवार इसे अपनी संस्कृति का संरक्षण मानता है. दोनों भाइयों का संदेश साफ है "हम खुश हैं, हमारी पत्नी खुश है और हमारे परिवार भी संतुष्ट हैं, तो बाकी लोग क्यों परेशान हों?"

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09 August 2025, 12:10 PM IST

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