अनपढ़ और अंधविश्वासी लोग कावड़ यात्रा में जाते... बोले सपा नेता तो गुस्से से लाल हुए योगी के मंत्री, कह दी ये बड़ी बात
समाजवादी पार्टी के विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने कांवड़ यात्रा को लेकर विवादित बयान दिया, जिसमें उन्होंने इसे अनपढ़ और अंधविश्वासी लोगों की यात्रा बताया. उनके बयान पर योगी सरकार के मंत्री दयाशंकर सिंह ने पलटवार करते हुए कहा कि शिव भक्ति आस्था का विषय है और इसके लिए पढ़ाई-लिखाई की जरूरत नहीं होती. इस मुद्दे ने आस्था और राजनीति के बीच नई बहस को जन्म दे दिया है.

उत्तर प्रदेश में सावन के पवित्र महीने के दौरान चल रही कांवड़ यात्रा को लेकर समाजवादी पार्टी के विधायक मोहम्मद जियाउद्दीन रिजवी ने एक विवादास्पद टिप्पणी कर दी है. उन्होंने कहा कि इस यात्रा में न तो किसी बड़े नेता के बच्चे शामिल होते हैं और न ही किसी उद्योगपति के, बल्कि इसमें अधिकतर गांव के अनपढ़ और अंधविश्वास में डूबे लोग ही हिस्सा लेते हैं. उनके इस बयान ने धार्मिक आस्था और सामाजिक वर्ग को लेकर बहस छेड़ दी है.
शिव भक्ति को लेकर मंत्री का जवाब
सपा विधायक के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उत्तर प्रदेश सरकार के परिवहन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) दयाशंकर सिंह ने तीखा जवाब दिया. उन्होंने कहा कि शिव भक्ति आस्था से जुड़ी हुई बात है और इसके लिए शिक्षा जरूरी नहीं होती. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि करोड़ों लोग पूरे समर्पण के साथ जल लेकर कांवड़ यात्रा करते हैं और शिवजी पर चढ़ाते हैं.
पूर्व मंत्री ने उठाए गंभीर सवाल
पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे रिजवी ने यह भी सवाल किया कि आखिर कांवड़ यात्रा में अब तक किसी IAS या PCS अधिकारी का बेटा, या फिर भाजपा सांसद-विधायक का बेटा क्यों नजर नहीं आया. उन्होंने इसे दिखावे और अंधभक्ति से जुड़ा बताते हुए यात्रा की सामाजिक स्थिति पर सवाल खड़े किए.
BJP नेता ने दिया करारा जवाब
बलिया से भाजपा विधायक दयाशंकर सिंह ने स्पष्ट कहा कि शिव जी सबके देवता हैं और इस भक्ति में किसी की जाति, शिक्षा या सामाजिक रुतबे का कोई मतलब नहीं है. उन्होंने कहा कि लोग 120 किलोमीटर तक पैदल चलकर जल चढ़ाते हैं, जो आस्था की पराकाष्ठा को दर्शाता है.
राजनीति और आस्था के बीच बढ़ता टकराव
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर धर्म, आस्था और राजनीति के बीच की दूरी को उजागर कर दिया है. जहां एक ओर लोग कांवड़ यात्रा को श्रद्धा से जोड़ते हैं, वहीं दूसरी ओर राजनीतिक बयानबाज़ी इस आस्था को बार-बार सवालों के घेरे में लाती दिख रही है.


