महाराष्ट्र निकाय चुनाव नतीजे अब 21 दिसंबर को, हाईकोर्ट के आदेश से बदली तारीख
महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव 2025 को लेकर मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.

महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनाव 2025 को लेकर मंगलवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर पीठ ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया. अदालत ने 264 नगर परिषदों और नगर पंचायतों के लिए मतगणना, जो पहले 3 दिसंबर को होने वाली थी जिसे अब स्थगित कर 21 दिसंबर को आयोजित करने का आदेश दिया है.
गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें मिलने पर मतदान स्थगित
यह निर्णय उस समय आया है जब राज्य में चुनाव प्रक्रिया को लेकर कई सवाल और विवाद उठ रहे हैं. राज्य चुनाव आयोग ने हाल ही में 24 निकायों 20 नगर परिषदों और 4 नगर पंचायतों में गंभीर अनियमितताओं की शिकायतें मिलने के बाद वहां मतदान स्थगित कर दिया था.
इन क्षेत्रों में मतदान आज होना तय था, लेकिन अब इसे 20 दिसंबर तक के लिए टाल दिया गया है. कोर्ट के ताज़ा निर्देश के बाद कुल 288 निकायों की वोटों की गिनती एक ही दिन 21 दिसंबर को की जाएगी.
मुख्यमंत्री फडणवीस ने व्यक्त की नाराज़गी
इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव आयोग को अपनी प्रणाली में तत्काल सुधार की आवश्यकता है. मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि भले ही उन्होंने अदालत का पूरा आदेश नहीं पढ़ा है, लेकिन इसका पालन करना सभी के लिए अनिवार्य है. उन्होंने कहा कि अपने 25 वर्ष के राजनीतिक जीवन में उन्होंने ऐसा कभी नहीं देखा कि घोषित चुनाव और तय कार्यक्रम इस तरह अचानक बदल दिए जाएं.
फडणवीस ने नाराजगी जताते हुए कहा कि उम्मीदवारों ने लंबे समय तक चुनाव प्रचार में मेहनत की, लेकिन प्रशासनिक चूकों के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि यह स्थिति दुर्भाग्यपूर्ण है और आगामी चुनावों से पहले आयोग को अपनी प्रक्रियाओं में मजबूती और पारदर्शिता लानी चाहिए.
कांग्रेस ने भी उठाए सवाल
कांग्रेस नेता विजय वडेट्टीवार ने भी इस मामले पर सरकार और चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना की. उन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश ने पूरी चुनाव प्रक्रिया को अस्त-व्यस्त कर दिया है और यह स्थिति राज्य सरकार की नीतिगत असफलता का परिणाम है. वडेट्टीवार ने आरोप लगाया कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश की गलत व्याख्या कर उसे गलत तरीके से प्रस्तुत किया गया, मानो ओबीसी समुदाय को 27 प्रतिशत आरक्षण दे दिया गया हो.
उन्होंने आगे कहा कि मतगणना को 3 दिसंबर से 21 दिसंबर तक टाल देना अभूतपूर्व है और यह दर्शाता है कि चुनाव आयोग सरकार के दबाव में काम कर रहा है. उनके अनुसार, राज्य में इससे पहले कई बार चुनाव हुए हैं, लेकिन ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं देखी गई.


