कांग्रेस ने ₹500 करोड़ में CM पद बेचा तो वहीं मान सरकार पंजाब में लाए ₹500 करोड़ का निवेश
कांग्रेस नेता की पत्नी का दावा कि पंजाब में मुख्यमंत्री बनने के लिए ₹500 करोड़ तक देने पड़ते हैं. इस दावे ने राजनीतिक व्यवस्था में गहरे भ्रष्टाचार पर सवाल खड़े कर दिए हैं.

पंजाब की राजनीतिक हलचल के बीच हाल ही में एक बयान ने पूरे राज्य में तीखी बहस छेड़ दी है. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता की पत्नी ने दावा किया कि पंजाब में मुख्यमंत्री बनने की कीमत पांच सौ करोड़ रुपये या उससे भी अधिक तक पहुंच चुकी है. यह बात सुनकर आम नागरिकों के मन में स्वाभाविक रूप से सवाल उठता है जो व्यक्ति इतनी बड़ी रकम देकर सत्ता हासिल करेगा, क्या वह जनता के हितों के बारे में सोच पाएगा?
स्पष्ट है, जो नेता कुर्सी को निवेश के रूप में खरीदेगा, वह सबसे पहले उसी निवेश को कई गुना बढ़ाकर निकालने की कोशिश करेगा. ऐसे में जनता, विकास और राज्य की जरूरतें पीछे छूट जाती हैं.
जिम्मेदार नेतृत्व के रूप में पेश कर रही मान सरकार
मौजूदा भगवंत मान सरकार का सादा और पारदर्शी मॉडल बिल्कुल अलग दिखाई देता है. उनकी सरकार बार-बार यह संदेश देती है कि सत्ता शानो-शौकत का माध्यम नहीं, बल्कि समाज की सेवा का साधन है. बिना विवादों, बिना करोड़ों की राजनीति और बिना भ्रष्टाचार के आरोपों के मान सरकार खुद को जिम्मेदार नेतृत्व के रूप में पेश कर रही है. एक ऐसा नेतृत्व, जिसकी प्राथमिकता लोगों की जरूरतें हों, न कि सत्ता का सौदा.
राजनीति में आए इन चौंकाने वाले आरोपों से एक और बड़ा सवाल उठता है. अगर मुख्यमंत्री पद की ‘नीलामी’ हो रही है, तो गरीबों का क्या होगा? क्या उस नेता को टूटी सड़कों, संघर्ष कर रहे किसानों या बेरोजगार युवाओं की कोई परवाह होगी? यह स्थिति पूरे राजनीतिक तंत्र पर सवाल खड़े करती है, जहां सेवा का स्थान अब निवेश और सौदों ने ले लिया है. यह संस्थागत भ्रष्टाचार का चरम रूप है, जो लोकतंत्र की आत्मा को ही चोट पहुंचाता है.
पंजाब में 500 करोड़ का निवेश
इसी बीच भगवंत मान सरकार की कोशिशें एक सकारात्मक विकल्प प्रस्तुत करती हैं. जहाँ दूसरे पक्ष पर 500 करोड़ के कथित सूटकेस की चर्चा है, वहीं मान सरकार जापान जैसे देशों से 500 करोड़ का निवेश पंजाब में लाने पर काम कर रही है. यह निवेश रोजगार पैदा करता है, अर्थव्यवस्था मजबूत करता है और राज्य को आगे बढ़ाता है, जबकि सौदेबाजी से हासिल कुर्सी केवल भ्रष्टाचार बढ़ाती है.
मान सरकार बार-बार अपने कामों से यह संदेश देती आई है कि मुख्यमंत्री की कुर्सी किसी बोली से नहीं, बल्कि जनता के भरोसे से मिलती है. उनकी प्राथमिकता शिक्षा को सुधारना, नशामुक्त पंजाब के लिए काम करना और किसानों के मुद्दों को मजबूत तरीके से उठाना है.
पंजाब में लोग अब पुरानी ‘बारी-बारी वाली’ राजनीति से आगे बढ़ चुके हैं, जहाँ दो पार्टियाँ सत्ता में आकर राज्य को पीछे छोड़ती रहीं. आज जनता विकल्पों में ईमानदारी, पारदर्शिता और विकास देखना चाहती है. इसी वजह से कई लोग यह मानने लगे हैं कि मौजूदा मान सरकार पंजाब के लिए उम्मीद का नया अध्याय है, जहां राजनीति वसूली नहीं, सेवा की राह पर आगे बढ़ सकती है.


