मुंबई में खुलेआम गुंडागर्दी, कोचिंग सेंटर संचालक पर MNS कार्यकर्ताओं का हमला
मुंबई के कल्याण में MNS कार्यकर्ताओं ने एक कोचिंग सेंटर संचालक पर फीस को लेकर हमला कर दिया, जिसकी वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गई. घटना के बाद कानून-व्यवस्था पर सवाल उठे हैं, जबकि पार्टी और पुलिस ने अब तक कोई सख्त कार्रवाई नहीं की है.

महाराष्ट्र में एक बार फिर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) की गुंडागर्दी सुर्खियों में आ गई है. इस बार पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुंबई के पास कल्याण इलाके में एक शैक्षणिक कोचिंग सेंटर के प्रमुख सिद्धार्थ सिंह चंदेल पर हमला कर दिया. पूरा घटनाक्रम कैमरे में कैद हो गया, जो अब सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
दो मिनट 30 सेकंड के इस वीडियो में तीन MNS कार्यकर्ता सिद्धार्थ लॉजिक कोचिंग सेंटर चलाने वाले चंदेल के सामने बैठे नजर आते हैं. बताया जा रहा है कि कार्यकर्ता इस बात से नाराज थे कि चंदेल छात्रों से मोटी फीस वसूलते हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाते नहीं. बातचीत के दौरान मामला इतना बिगड़ा कि कोचिंग संचालक को थप्पड़ मारने से लेकर उन पर स्टील की बोतल और लकड़ी की नेम प्लेट तक फेंकी गई.
वीडियो में दिखी गुंडागर्दी, छात्राएं भी बनीं गवाह
वीडियो में चंदेल अपने मोबाइल पर बात कर रहे होते हैं और सामने बैठे MNS कार्यकर्ताओं को शांत करने की कोशिश करते हैं. लेकिन तभी उनमें से एक उन्हें थप्पड़ मार देता है, दूसरा स्टील की बोतल फेंकता है और तीसरा लकड़ी की नेमप्लेट फेंकता है. इस दौरान कमरे के कोने में कुछ छात्राएं सहमी हुई बैठी थीं, जिनमें से एक ने पूरी घटना अपने मोबाइल से रिकॉर्ड की.
इस हमले के बाद राज्य में कानून व्यवस्था पर सवाल उठने लगे हैं. यह पहली बार नहीं है जब MNS कार्यकर्ताओं ने इस तरह से हमला किया हो. हाल ही में मीरा रोड और विक्रोली में दुकानदारों पर हुए हमले और प्रवासी ऑटो चालकों को पीटने जैसी घटनाएं सामने आ चुकी हैं. इन घटनाओं पर ना तो पार्टी ने माफी मांगी और ना ही राज ठाकरे ने किसी तरह की जिम्मेदारी ली. उल्टा उन्होंने हमलावरों का समर्थन किया और चेतावनी दी कि अगर उनकी आलोचना हुई तो और हिंसा होगी. हैरानी की बात ये है कि पुलिस ने किसी भी मामले में सख्त कार्रवाई नहीं की. जैसे कि मीरा रोड हमले में शामिल सात लोगों को केवल पूछताछ के लिए बुलाया गया और फिर छोड़ दिया गया.
हिंदी विरोध के नाम पर भड़की हिंसा
ये पूरी श्रृंखला अप्रैल और जून में राज्य सरकार द्वारा दिए गए उस आदेश के विरोध से जुड़ी बताई जा रही है, जिसमें पहली से पांचवीं कक्षा तक के छात्रों के लिए हिंदी भाषा को अनिवार्य किया गया था. राज ठाकरे इस आदेश के खिलाफ उद्धव ठाकरे के शिवसेना गुट के साथ खड़े नजर आए.
गृहमंत्री योगेश कदम का बयान भी विवाद में आ गया है. उन्होंने कहा कि जो कोई भी मराठी का अपमान करेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. लेकिन हमलावरों का जिक्र तक नहीं किया. उनका बयान था – 'महाराष्ट्र में मराठी बोलनी ही होगी...'


