मुर्शिदाबाद में दंगा, हिंदू पलायन को मजबूर... CM ममता की चुप्पी, क्या वक्फ संशोधन कानून से बिगड़ी स्थिति?
मुर्शिदाबाद में वक्फ संशोधन कानून 2025 के खिलाफ विरोध प्रदर्शन और हिंसा ने तनाव बढ़ा दिया है, जहां हिंदू परिवारों को पलायन करना पड़ा. BJP ने ममता बनर्जी पर चुप्पी साधने का आरोप लगाया जबकि विपक्ष इस कानून के खिलाफ खड़ा है. जानिए क्यों इसे लेकर इतना बवाल हो रहा है?

Murshidabad Chaos: वक्फ संपत्तियों के शोषण को खत्म करने और उनके लेन-देन में पारदर्शिता लाने के उद्देश्य से वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 पारित किया गया है. यह कानून BJP के लिए एक साहसिक कदम के रूप में सामने आया है लेकिन इसने देश के कुछ हिस्सों में गहरी जड़ें जमा चुके कट्टरपंथी समूहों की प्रतिक्रिया को जन्म दिया है.
मुर्शिदाबाद में हिंसा: हिंदू समुदाय पर हमला
वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 के खिलाफ हाल ही में बांग्लादेश सीमा से सटे पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में बड़े पैमाने पर हिंसा देखने को मिली. शुक्रवार की नमाज़ के बाद मुस्लिम समुदाय द्वारा सड़कों पर उतरी भीड़ ने हिंसा का सामना किया. दुकानों को लूटा गया, हिंदू परिवारों को उनके घरों से भागने पर मजबूर किया गया और सड़कों पर पथराव, आगजनी और धमकियां सुनाई दीं. हिंसा में अब तक 150 लोग गिरफ्तार किए गए हैं लेकिन तनाव अभी भी जारी है.
Videos which shows the situation in Kolkata today:#WaqfBill protestors blocked roads and swirled "Palestinian flag" on hijacked buses: pic.twitter.com/cFZ5hUDWGq
— @jxh45 (@jxh45) April 10, 2025
रूढ़िवादी मानसिकता का उभार: BJP का आरोप
भाजपा ने इस हिंसा को उग्रवाद का स्पष्ट प्रमाण बताया है और इस पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है. भाजपा नेताओं जैसे सुवेंदु अधिकारी, सुकांत मजूमदार और दिलीप घोष ने ममता बनर्जी की चुप्पी पर सवाल उठाए हैं और आरोप लगाया है कि TMC हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे हमलों पर चुप है. भाजपा का कहना है कि वक्फ कानून से हिंदू समुदाय के खिलाफ नफरत और हिंसा को बढ़ावा मिल रहा है.
विपक्ष का विरोध: तुष्टीकरण की राजनीति का आरोप
कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और एआईएमआईएम जैसे दलों ने वक्फ संशोधन अधिनियम का विरोध किया है लेकिन इन दलों के नेताओं ने कट्टरपंथी हिंसा और नफरत भरे भाषणों की निंदा नहीं की है. भाजपा का आरोप है कि यह पार्टियां तुष्टीकरण की राजनीति कर रही हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति की कीमत पर वोट बैंक की राजनीति खेल रही हैं.
Over a thousand families have fled their homes in Murshidabad and taken shelter in nearby districts. Last week, I covered the Mothabari riot, and now this.
— Dr. Archana Majumdar (@DrArchanaWB) April 13, 2025
This video is proof of what women and children are enduring in West Bengal due to the Waqf Bill protests—fueled by… pic.twitter.com/JdfJOUa9Sn
ममता बनर्जी पर हमला: क्या उनकी चुप्पी की मंशा हिंदू विरोधी है?
भाजपा नेता तरुण चुघ ने ममता बनर्जी को 'आधुनिक जिन्ना' करार देते हुए आरोप लगाया कि वह हिंदू समुदाय की सुरक्षा से समझौता कर रही हैं. भाजपा के शहजाद पूनावाला ने इसे हिंदुओं के खिलाफ 'राज्य प्रायोजित हिंसा' बताते हुए ममता से पूछा कि उन्होंने हिंदू विरोधी हिंसा की निंदा क्यों नहीं की? भाजपा ने सवाल उठाया है कि क्या ममता की चुप्पी इसका संकेत है कि वह हिंदू विरोधी ताकतों को समर्थन दे रही हैं?
VIDEO | Kolkata: Aliah University students hold protest over Waqf (Amendment) Act.
— Press Trust of India (@PTI_News) April 11, 2025
(Full video available on PTI Videos - https://t.co/n147TvqRQz) pic.twitter.com/c1FI7VeQwd
वक्फ संशोधन: BJP की मजबूती, विपक्ष की कमजोरी
भाजपा ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह वक्फ संशोधन अधिनियम को वापस नहीं लेगी. इसके बजाय, यह कानून और व्यवस्था, धार्मिक भ्रष्टाचार को खत्म करने और आम नागरिकों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने पर ध्यान केंद्रित करेगा. भाजपा ने 20 अप्रैल से 5 मई तक 'वक्फ सुधार जागरूकता अभियान' शुरू किया है, जिसके तहत मुस्लिम समुदाय को वक्फ संशोधन कानून के लाभ और सकारात्मक प्रभाव के बारे में बताया जाएगा. भाजपा इस मुद्दे पर पीछे हटने का कोई इरादा नहीं रखती और यह संदेश दिल्ली से लेकर मुर्शिदाबाद तक पहुंच चुका है.
हिंसा, तुष्टीकरण और कानून के सुधार के बीच
भारत के कई हिस्सों में वक्फ संशोधन अधिनियम के विरोध में हिंसा हो रही है. मुर्शिदाबाद में सबसे बड़ी और भयावह घटनाएं घटीं लेकिन अन्य शहरों में भी विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए हैं. वहीं भाजपा इसे एक अहम कदम मानते हुए यह कह रही है कि वक्फ संपत्तियों का अब तक दुरुपयोग किया जा रहा था और अब यह समय है कि इसमें सुधार लाया जाए. विपक्षी दल इस कानून का विरोध कर रहे हैं लेकिन हिंसा और नफरत भरे भाषणों की निंदा करने से बच रहे हैं. इस मुद्दे ने अब देश में एक बड़ा राजनीतिक और सामाजिक संकट खड़ा कर दिया है और भविष्य में यह राजनीति और समाज में और अधिक बहस का कारण बनेगा.