NDA का 'सीट संकट'! JDU को चाहिए 105, BJP को 138 की जिम्मेदारी... चिराग, मांझी और कुशवाहा के हाथ क्या आएगा?
एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा और भाजपा के बीच लंबे समय से चले गतिरोध को खत्म करने के लिए केंद्रीय मंत्री नित्यानंद राय ने चिराग पासवान से सकारात्मक वार्ता की.

Bihar elections 2025: एनडीए में सीटों के बंटवारे को लेकर लोजपा (रामविलास) के साथ बने गतिरोध को समाप्त करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है. गुरुवार को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोजपा (रा.) के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान से मुलाकात कर वार्ता की. दोनों नेताओं के बीच हुई बातचीत के बाद संकेत मिले कि गतिरोध अब समाप्त होने की दिशा में है.
मुलाकात के बाद मीडिया से बातचीत में नित्यानंद राय ने कहा कि हम दोनों के चेहरे की मुस्कुराहट को देखकर समझ जाइए. सबकुछ सकारात्मक है. इत्मीनान से बताएंगे. वहीं, चिराग पासवान ने कहा कि 'सकारात्मक बातचीत हुई है,' लेकिन सीटों की संख्या से जुड़े सवाल का जवाब टाल दिया.
लंबे समय से चला आ रहा गतिरोध
असल में पिछले कई दिनों से एनडीए और चिराग पासवान के बीच बातचीत नहीं हो पा रही थी. विभिन्न सार्वजनिक समारोहों में जब चिराग से सीटों के बंटवारे के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने हमेशा गोल-मटोल उत्तर दिए. विवाद मुख्य रूप से सीटों की संख्या को लेकर है. एनडीए ने लोजपा को अधिकतम 25 सीटों का प्रस्ताव दिया है, जिसे चिराग ने स्वीकार्य नहीं माना.
जदयू ने स्पष्ट की अपनी जिम्मेदारी
जदयू ने साफ कर दिया है कि चिराग या गठबंधन के अन्य दो दलों – हिन्दुस्तान अवामी मोर्चा और राष्ट्रीय लोक मोर्चा के साथ तालमेल की बातचीत भाजपा की जिम्मेदारी है. इससे भाजपा नेतृत्व पर सीटों के बंटवारे को लेकर दबाव बढ़ गया है.
राष्ट्रीय लोक मोर्चा की सूची सौंपने की प्रक्रिया
इधर, राष्ट्रीय लोक मोर्चा के अध्यक्ष एवं राज्यसभा सदस्य उपेंद्र कुशवाहा ने गुरुवार को 24 विधानसभा सीटों की सूची भाजपा नेतृत्व को सौंप दी. गौरतलब है कि 2015 में कुशवाहा की अगुवाई वाली राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एनडीए की घटक थी और उसे 23 सीटें दी गई थीं. भाजपा इस मामले में अपेक्षाकृत सहज है, लेकिन हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा और मांझी वाले मोर्चे की मांगें चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती हैं.
भाजपा के सामने चुनौतियां
हिन्दुस्तानी अवामी मोर्चा 15 सीटों की मांग कर रहा है. भाजपा के लिए चुनौती यह है कि जदयू ने स्पष्ट कर दिया है कि न्यूनतम 105 सीटों पर उनके उम्मीदवार होंगे. बाकी 138 सीटों में भाजपा को अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ संतुलन बैठाना होगा. इस परिप्रेक्ष्य में लोजपा के साथ वार्ता का नतीजा आगामी चुनावी रणनीति के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.


