दो दिन पहले शपथ, अब मिला मंत्रालय; छगन भुजबल को मिली बड़ी जिम्मेदारी
छगन भुजबल की फडणवीस सरकार में मंत्री पद पर वापसी हुई है. दिसंबर में मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने के बाद अब उन्हें खाद्य और आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी मिली है. यह फैसला ओबीसी वोटबैंक और आने वाले स्थानीय निकाय चुनावों को ध्यान में रखकर लिया गया है.

महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर वरिष्ठ नेता छगन भुजबल की जोरदार वापसी हुई है. राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित गुट) के दिग्गज नेता भुजबल को देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व वाली महायुति सरकार में मंत्री बनाया गया है. उन्हें खाद्य और आपूर्ति विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है, जो पहले धनंजय मुंडे के पास था. 77 वर्षीय भुजबल को दिसंबर 2023 में मंत्रिमंडल से बाहर कर दिया गया था, जिससे उनकी राजनीतिक सक्रियता पर विराम लग गया था. लेकिन अब एक बार फिर उन्हें अहम जिम्मेदारी देकर सत्ता में उनकी वापसी कराई गई है.
शपथ लेने के बाद छगन भुजबल ने मीडिया से बातचीत में कहा, “अंत भला तो सब भला.” उन्होंने यह भी जोड़ा कि 1991 से लेकर अब तक उन्होंने कई बार मंत्री पद की शपथ ली है और अनेक विभागों की जिम्मेदारी निभाई है. उन्होंने स्पष्ट किया कि मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्रियों द्वारा दी गई किसी भी जिम्मेदारी को निभाने के लिए वह पूरी तरह तैयार हैं.
राजनीतिक समीकरणों में अहम मोड़
भुजबल की यह दोबारा ताजपोशी ऐसे वक्त में हुई है जब केंद्र सरकार ने आगामी जनगणना में जाति आधारित गणना को शामिल करने का निर्णय लिया है. भुजबल एक मजबूत ओबीसी नेता के रूप में पहचाने जाते हैं, और महाराष्ट्र में 687 शहरी व ग्रामीण निकाय चुनावों से पहले यह नियुक्ति राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है.
पिछले साल हुई थी छुट्टी, नाराज था नेतृत्व
दिसंबर 2023 में जब उन्हें मंत्रिमंडल से बाहर किया गया था, तब उनके समर्थकों में नाराजगी थी. भुजबल ने जून 2023 में अजित पवार के नेतृत्व में एनसीपी के गुट में बगावत का समर्थन किया था, जिससे पार्टी में बड़ा विभाजन हुआ था. हालांकि 2024 में महायुति के सत्ता में आने के बाद भी उन्हें शुरू में मंत्री पद नहीं दिया गया था. इसके पीछे पार्टी नेतृत्व की नाराजगी बताई गई थी, जिसमें उन्होंने अपने बेटे पंकज भुजबल को विधान परिषद में भेजने के लिए दबाव बनाया था.
अब मिली फिर से अहम भूमिका
आख़िरकार, तमाम अटकलों के बीच भुजबल की सत्ता में वापसी हो ही गई. महायुति सरकार ने एक बार फिर उनके अनुभव और प्रभाव पर भरोसा जताते हुए खाद्य और आपूर्ति विभाग जैसा अहम मंत्रालय उनके हवाले कर दिया है. यह नियुक्ति राज्य की ओबीसी राजनीति और आगामी चुनावी गणित में निर्णायक भूमिका निभा सकती है.


