बिहार में आफत बनकर टूटी आसमानी बिजली... 19 लोगों की मौत, सीएम नीतीश ने किया मुआवजे का ऐलान
बिहार में वज्रपात से 24 घंटे में 10 जिलों में 19 लोगों की मौत हुई है, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 4-4 लाख रुपये मुआवजे का ऐलान किया. सरकार ने खराब मौसम में सतर्क रहने और आपदा प्रबंधन के निर्देशों का पालन करने की अपील की है.

बिहार में मानसून की दस्तक के साथ ही आसमान से मौत बरसने लगी है. बीते 24 घंटे में राज्य के 10 जिलों में वज्रपात की चपेट में आकर 19 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई है. इस आपदा पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गहरा शोक व्यक्त किया है और पीड़ित परिवारों को चार-चार लाख रुपये का मुआवजा देने का निर्देश दिया है.
राज्य सरकार ने लोगों से खराब मौसम के दौरान पूरी सतर्कता बरतने की अपील की है. आपदा प्रबंधन विभाग ने वज्रपात से बचाव के लिए समय-समय पर दिशा-निर्देश जारी किए हैं, जिनका सख्ती से पालन करने की बात कही गई है. सीएम नीतीश ने कहा कि आपदा की इस घड़ी में सरकार पीड़ितों के साथ है. लोग खराब मौसम में घरों से बाहर ना निकलें और सतर्क रहें.
किन जिलों में कितनी मौतें हुईं?
राज्य आपदा प्रबंधन विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते 24 घंटों में जिन जिलों में वज्रपात से मौतें दर्ज की गई हैं, वे इस प्रकार हैं:
नालंदा: 5 मौतें
वैशाली: 4 मौतें
बांका: 2 मौतें
पटना: 2 मौतें
शेखपुरा, औरंगाबाद, समस्तीपुर, नवादा, जमुई और जहानाबाद: प्रत्येक जिले में 1-1 मौत
सीएम ने किया राहत राशि का ऐलान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वज्रपात से मारे गए लोगों के परिजनों को अविलंब 4-4 लाख रुपये अनुग्रह अनुदान देने के निर्देश दिए हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार इस संकट की घड़ी में शोक संतप्त परिवारों के साथ खड़ी है.
ग्रामीण इलाकों में ज्यादा खतरा
हर साल की तरह इस बार भी आकाशीय बिजली की चपेट में आने वाले अधिकतर लोग ग्रामीण क्षेत्रों से हैं, जो खेतों में काम के दौरान इसकी चपेट में आ गए. विशेषज्ञों के अनुसार खेतों, खुले मैदानों और ऊंचे पेड़ों के पास रहना वज्रपात के दौरान सबसे ज्यादा जोखिम भरा होता है.
आखिर क्यों गिरती है आकाशीय बिजली?
आकाशीय बिजली यानी वज्रपात एक प्राकृतिक विद्युत विसर्जन (Electrostatic Discharge) की प्रक्रिया है जो धरती और बादलों के बीच या बादलों के भीतर होती है. जब गरम और नम हवा ऊपर उठती है, तो वह ठंडी होकर जल की बूंदों और बर्फ में बदल जाती है. इनसे बने विशाल बादलों में हवा के तेज बहाव से कणों के टकराव से स्थैतिक विद्युत उत्पन्न होती है.
इससे बादल का ऊपरी भाग धनात्मक और निचला भाग ऋणात्मक हो जाता है. जब धरती और बादल के बीच विद्युत आवेश का अंतर बहुत अधिक हो जाता है, तो वायुमंडल आयनित होकर बिजली के प्रवाह के लिए रास्ता बनाता है. यही तीव्र प्रवाह वज्रपात कहलाता है, जिसमें तापमान 30,000°C तक पहुंच सकता है. इसके साथ ही, गरज की तेज आवाज भी उत्पन्न होती है.
कैसे करें बचाव?
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खराब मौसम में घर से बाहर न निकलें
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खुले मैदानों, पेड़ों या ऊंची संरचनाओं से दूर रहें
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बिजली गिरने के समय मोबाइल फोन या धातु की वस्तुओं का प्रयोग ना करें
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सुरक्षित स्थानों, जैसे घर या पक्की इमारतों में शरण लें
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आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें


