आई लव मुहम्मद विवाद: तौकीर रजा के करीबी सहयोगियों की संपत्तियां सील
बरेली में सांप्रदायिक दंगों के बाद बीडीए ने मौलाना तौकीर रज़ा खान के सहयोगियों की संपत्तियां और अवैध निर्माण सील कर दिए. प्रशासन ने सुरक्षा कड़ी करते हुए 81 लोगों पर मामला दर्ज किया और इंटरनेट सेवाएं निलंबित की, जिससे हिंसा और अव्यवस्था पर कड़ी कार्रवाई का संदेश गया.

उत्तर प्रदेश के बरेली में हाल ही में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद प्रशासन ने इत्तेहाद-ए-मिल्लत काउंसिल (आईएमसी) से जुड़े लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई शुरू कर दी है. बीडीए ने शनिवार रात मौलाना तौकीर रज़ा खान के करीबी सहयोगियों के घर और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को सील किया. इस कार्रवाई के तहत मोहम्मद फरहत खान के घर और मोहम्मद नदीम की चार दुकानें भी बंद कर दी गईं. नदीम को पहले ही भड़की हिंसा के सिलसिले में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था.
‘आई लव मुहम्मद’ विरोध प्रदर्शन से हिंसा
26 सितंबर को जुमे की नमाज के बाद बरेली में हुए प्रदर्शन के दौरान शहर में तनाव बढ़ गया. प्रदर्शनकारी “आई लव मुहम्मद” लिखी तख्तियों के साथ आला हज़रत दरगाह और मौलाना तौकीर रज़ा खान के आवास के पास एकत्रित हुए. शुरुआत में शांतिपूर्ण यह प्रदर्शन पुलिसकर्मियों पर पथराव और हिंसा में बदल गया. इस घटना के मुख्य सूत्रधार के रूप में तौकीर रज़ा खान को गिरफ्तार किया गया और वह अभी न्यायिक हिरासत में हैं. पुलिस ने अब तक 81 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है.
नफीस खान की संपत्ति सील
बीडीए ने नफीस खान की संपत्ति पर भी बुलडोज़र चलाया. वह “डॉक्टर खान ऑप्टिकल” नामक दुकान चलाते थे, लेकिन जांच में पाया गया कि उनके पास वैध डॉक्टर लाइसेंस नहीं था. स्वास्थ्य विभाग ने उनसे 11 अक्टूबर तक मेडिकल प्रमाणपत्र प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. नफीस और उनके बेटे फरमान खान को पहले ही बरेली हिंसा के मामले में गिरफ्तार किया जा चुका है.
रज़ा पैलेस पर बुलडोज़र
बीडीए ने रज़ा पैलेस पर भी कार्रवाई की. संयुक्त सचिव दीपक कुमार के अनुसार, हिंसा से जुड़े अवैध ढांचों को हटाने के लिए यह अभियान जारी रहेगा. आईएमसी के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी की संपत्ति भी ध्वस्त कर दी गई.
प्रशासनिक सुरक्षा और इंटरनेट निलंबन
30 सितंबर को आईएमसी के राष्ट्रीय महासचिव नफीस खान और उनके बेटे को गिरफ्तार किया गया. बरेली प्रशासन ने 2 अक्टूबर से 4 अक्टूबर तक मोबाइल इंटरनेट और ब्रॉडबैंड सेवाओं को निलंबित कर दिया. नगर निगम ने अवैध निर्माण हटाने और सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिक्रमण विरोधी अभियान चलाया.
कानून-व्यवस्था कड़ी
अधिकारियों ने संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात किया है. प्रदर्शन के वित्तपोषण और योजना की जांच जारी है. जिम्मेदार पाए जाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. यह कदम यूपी सरकार के सांप्रदायिक हिंसा और अवैध अतिक्रमण के खिलाफ ज़ीरो-टॉलरेंस नीति को दर्शाता है.


