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राज ठाकरे के खिलाफ जनहित याचिका, हिंदी भाषियों पर हमलों को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई की मांग

सुप्रीम कोर्ट में राज ठाकरे पर हिंदी भाषियों के खिलाफ हिंसा भड़काने को लेकर जनहित याचिका दायर की गई है. याचिका में मनसे कार्यकर्ताओं पर गैर-मराठी लोगों पर हमले और संपत्ति नुकसान पहुंचाने का आरोप है.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर बढ़ते विवाद ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे पर हिंदी भाषी नागरिकों के विरुद्ध हिंसा भड़काने और भाषा के नाम पर नफरत फैलाने के आरोप लगाए गए हैं. इस संबंध में अधिवक्ता घनश्याम उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है, जिसमें राज ठाकरे और मनसे कार्यकर्ताओं के खिलाफ FIR दर्ज करने की मांग की गई है.

मराठी भाषा न बोलने पर मारपीट

हाल ही में मनसे कार्यकर्ताओं द्वारा मुंबई क्षेत्र में हिंदी न बोलने वाले लोगों पर हमलों की कई घटनाएं सामने आई हैं. इसमें एक मिठाई की दुकान के मालिक की पिटाई की गई, जबकि दूसरी घटना में निवेशक सुशील केडिया के ऑफिस की संपत्ति को नुकसान पहुंचाया गया, क्योंकि उन्होंने मराठी भाषा न बोलने की बात कही थी.

5 जुलाई को आयोजित एक सार्वजनिक कार्यक्रम में शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे ने एक मंच साझा करते हुए हिंदी को 'थोपने' का विरोध किया. इसके कुछ दिन बाद ही राज्य सरकार ने स्कूलों में तीसरी भाषा के रूप में हिंदी लागू करने के आदेश को वापस ले लिया.

इसी मुद्दे पर मुंबई के तीन वकीलों पंकज मिश्रा, नित्यानंद शर्मा और आशीष राय ने महाराष्ट्र के डीजीपी को पत्र लिखकर मनसे के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की है. उन्होंने इन घटनाओं को सामाजिक सद्भाव और शांति व्यवस्था के लिए खतरा बताया है.

हिंसा को उकसाया का आरोप

वकीलों के पत्र में राज ठाकरे के वर्ली रैली के भाषण का हवाला देते हुए आरोप लगाया गया कि उनके भाषण ने गैर-मराठी लोगों के खिलाफ हिंसा को उकसाया, जिससे राज्य में तनाव का माहौल पैदा हुआ. पत्र में पुलिस से एनएसए के तहत सख्त कार्रवाई की मांग की गई है.

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19 July 2025, 12:47 PM IST

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