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बिहार में वोटर लिस्ट की समीक्षा लगभग पूरी, बड़ी संख्या में मिली गड़बड़ी... 28 लाख लोगों ने बदला अपना पता

बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के तहत मतदाता सूची की समीक्षा लगभग पूरी हो चुकी है, जिसमें 98.01% मतदाता शामिल हैं. इस प्रक्रिया में बड़ी विसंगतियाँ सामने आईं: 20 लाख मतदाता मृत हैं, 28 लाख ऐसे हैं जिनके पते बदल गए हैं, और हज़ारों मतदाता सूची में डुप्लीकेट या गुमशुदा हैं.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (Special Intensive Revision – SIR) का कार्य अब लगभग अपने अंतिम चरण में है. 23 जुलाई 2025 तक 98.01% मतदाता इस प्रक्रिया में कवर किए जा चुके हैं, लेकिन यह प्रक्रिया केवल संख्यात्मक काम नहीं रही, बल्कि इसने राज्य के चुनावी ढांचे में कई अनियमितताओं को भी उजागर किया है.

20 लाख लोगों का हो चुका है देहांत

आंकड़ों के अनुसार लगभग 20 लाख ऐसे मतदाता सामने आए हैं जिनका देहांत हो चुका है, लेकिन उनका नाम अभी भी मतदाता सूची में मौजूद है. वहीं दूसरी ओर, 28 लाख लोगों ने स्थायी रूप से अपना निवास स्थान बदला है. इन आंकड़ों ने प्रशासन और चुनाव आयोग दोनों को सोचने पर मजबूर कर दिया है.

दो जगह नाम, बड़ी संख्या में अधूरे फॉर्म 

चुनाव आयोग की समीक्षा में ये भी पाया गया कि 7 लाख ऐसे मतदाता हैं जिनका नाम दो या उससे अधिक जगहों पर नामांकित है, यानी उन्होंने एक से अधिक स्थानों पर वोटर आईडी बनवा रखी है. इसके अलावा एक लाख ऐसे वोटर भी सामने आए हैं जिनका कोई सटीक या वैध पता अब तक नहीं मिल पाया है. वहीं लगभग 15 लाख मतदाताओं के फॉर्म आयोग को अब तक वापस नहीं मिले हैं, जिससे यह अंदेशा और गहरा हो गया है कि बहुत से लोग अभी भी इस प्रक्रिया से अनजान हैं या भाग नहीं ले पा रहे. हालांकि 17 करोड़ मतदाताओं के फॉर्म पूरी तरह से जमा हो चुके हैं और उन्हें डिजिटल रूप से सुरक्षित कर लिया गया है, जो कि कुल संख्या का 90.89 प्रतिशत है.

प्रवासी मतदाता भी भर सकेंगे फॉर्म

SIR के पहले चरण के दौरान जिन मतदाताओं में गड़बड़ियां पाई गईं, उनकी सूची 12 प्रमुख राजनीतिक दलों को भेजी जा चुकी है. इस पहल का उद्देश्य पारदर्शिता और राजनीतिक सहभागिता सुनिश्चित करना है. आयोग ने यह भी स्पष्ट किया है कि जो लोग वर्तमान में बिहार से बाहर रह रहे हैं लेकिन उन्होंने किसी अन्य राज्य में मतदाता सूची में नाम दर्ज नहीं कराया है, वे अब भी इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं.

ECINet मोबाइल ऐप से भरे फॉर्म 

वे अपना फॉर्म ऑनलाइन भर सकते हैं, ECINet मोबाइल ऐप का उपयोग कर सकते हैं, या फिर अपने परिवार के माध्यम से फॉर्म BLO (बूथ लेवल ऑफिसर) तक पहुंचा सकते हैं. अगर तकनीकी सुविधा हो, तो वे अपने हस्ताक्षरित फॉर्म को BLO के व्हाट्सएप नंबर पर भी भेज सकते हैं. यह विकल्प काफी लोगों के लिए सुविधाजनक साबित हो सकता है.

सभी मतदाताओं को भेजा जाएगा SMS 

जो मतदाता फॉर्म जमा करेंगे, उनका नाम प्रारूप सूची में जोड़ा जाएगा और वे अपनी प्रविष्टि की स्थिति आयोग की वेबसाइट https://voters.eci.gov.in/home/enumFormTrack पर जाकर देख सकते हैं. आयोग ने उन सभी मतदाताओं को SMS भी भेजा है, जिनके फॉर्म में मोबाइल नंबर दर्ज थे.

सूची में नाम नहीं होने पर घबराए नहीं...

अगर किसी मतदाता का नाम प्रारूप सूची में नहीं आता है, तो भी उसे घबराने की जरूरत नहीं है. 1 अगस्त को जब यह प्रारूप सूची प्रकाशित की जाएगी, उसके बाद 1 सितंबर तक कोई भी व्यक्ति या राजनीतिक दल इस पर आपत्ति दर्ज करा सकता है. कोई भी योग्य मतदाता, जिसका नाम सूची में नहीं है, वह दावा दाखिल करके नाम शामिल करवा सकता है. इसके लिए उसे संबंधित विधानसभा क्षेत्र के ERO (Electoral Registration Officer) या AERO (Assistant ERO) के पास जाना होगा.

JDU  सांसद की नाराजगी 

इस पूरी प्रक्रिया को लेकर राजनीतिक प्रतिक्रिया भी तेज़ हो गई है. जेडीयू के सांसद गिरधारी यादव ने SIR प्रक्रिया को तुगलकी फरमान करार दिया है. उनका आरोप है कि चुनाव आयोग ने इस प्रक्रिया को लागू करते समय न तो बिहार के भौगोलिक हालातों को समझा और न ही यहां की जलवायु को.

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23 July 2025, 07:16 PM IST

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