यूपी में इस दिन स्कूल, कॉलेज, बैंक रहेंगे बंद! CM योगी ने किया सार्वजनिक अवकाश का ऐलान, चेक करें तारीख
7 अक्टूबर को महार्षि वाल्मीकि जयंती पर उत्तर प्रदेश में सभी शैक्षणिक संस्थान, बैंक और सरकारी दफ्तर बंद रहेंगे. साथ ही, हर मंदिर में रामायण का अखंड पाठ होगा.

Maharishi Valmiki Jayanti: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घोषणा की है कि 7 अक्टूबर को महार्षि वाल्मीकि जयंती के अवसर पर प्रदेशभर में सभी स्कूल, कॉलेज, बैंक और सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे. उन्होंने कहा कि यह दिन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि लोगों के लिए विश्राम और उत्सव का अवसर भी होगा. राज्य सरकार इस अवसर पर पूरे प्रदेश में भव्य आयोजन करेगी.
सीएम योगी ने अपने संबोधन में कहा कि इस दिन रामायण का अखंड पाठ हर मंदिर में आयोजित किया जाएगा. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि प्रदेश की जनता को वाल्मीकि जयंती पर छुट्टी दी जाएगी ताकि वे धर्म, संस्कृति और आस्था से जुड़े कार्यक्रमों में शामिल हो सकें.
7 अक्टूबर को सार्वजनिक अवकाश
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि 7 अक्टूबर को भगवान वाल्मीकि की पावन जयंती है. इस दिन प्रदेशभर में सार्वजनिक अवकाश रहेगा. हर मंदिर में रामायण का अखंड पाठ आयोजित किया जाएगा.
सीएम योगी ने इस संबंध में अपने एक्स (X) हैंडल पर भी पोस्ट साझा की और लिखा- 7 अक्टूबर, पूज्य महार्षि वाल्मीकि की पावन जयंती है. इस अवसर पर प्रदेश में सार्वजनिक अवकाश रहेगा.
महार्षि वाल्मीकि जयंती का महत्व
इस वर्ष हिंदू पंचांग के अनुसार वाल्मीकि जयंती 7 अक्टूबर को मनाई जाएगी. पूरे भारत में इस दिन को उत्साह और आस्था के साथ मनाया जाता है. विभिन्न राज्यों में शोभायात्राएं, झांकियां और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं ताकि उनके योगदान को याद किया जा सके.
महार्षि वाल्मीकि का जीवन और नामकरण
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, महार्षि वाल्मीकि का जन्म वरुण ऋषि और उनकी पत्नी चरषणी के घर हुआ था. वे महान ऋषि कश्यप और अदिति के वंशज थे.
यह भी कहा जाता है कि जब वे गहन तपस्या में लीन थे, तो उनके शरीर के चारों ओर दीमकों ने बांबी बना ली. संस्कृत में बांबी को 'वाल्मीकि' कहा जाता है, और इसी कारण वे ‘वाल्मीकि’ नाम से प्रसिद्ध हुए.
रामायण और लव-कुश से जुड़ा योगदान
रामायण के अनुसार, जब भगवान राम ने सीता माता को त्याग दिया था, तो उन्होंने आश्रय महार्षि वाल्मीकि के आश्रम में लिया. इसी आश्रम में वाल्मीकि ने माता सीता के पुत्रों लव और कुश को शिक्षा और संस्कार दिए. यही कारण है कि वाल्मीकि को न केवल रामायणकार बल्कि भारतीय संस्कृति का मार्गदर्शक भी माना जाता है.


