कहानी छोटे सरकार की, जिसके गुनाह भी 'अनंत' हैं
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जिस बाहुबली की सबसे ज्यादा चर्चा की जा रही है, उसका नाम अनंत सिंह है. बाहुबली अनंत सिंह को पटना ज़िले की मोकामा विधानसभा सीट से JDU ने अपना उम्मीदवार बनाया है. यह सीट अनंत सिंह का गढ़ मानी जाती है. इस बार अनंत सिंह के लिए यह चुनाव आसान नज़र नहीं आ रहा है, एक तो अनंत सिंह के सामने बाहुबली सूरजभान की पत्नी वीणा देवी हैं. दूसरा दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.

पटना: बिहार में चुनाव हो और बाहुबली की चर्चा ना हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में जिस बाहुबली की सबसे ज्यादा चर्चा की जा रही है, उसका नाम अनंत सिंह है. बाहुबली अनंत सिंह को पटना ज़िले की मोकामा विधानसभा सीट से JDU ने अपना उम्मीदवार बनाया है. यह सीट अनंत सिंह का गढ़ मानी जाती है. इस बार अनंत सिंह के लिए यह चुनाव आसान नज़र नहीं आ रहा है, एक तो अनंत सिंह के सामने बाहुबली सूरजभान की पत्नी वीणा देवी हैं. दूसरा दुलारचंद यादव की हत्या के आरोप में उन्हें पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
अनंत के गुनाह भी 'अनंत' है
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर कैसे 9 साल की उम्र में घर छोड़कर साधु-संतों के बीच रहने वाले अनंत सिंह के नाम के आगे बाहुबली जुड़ गया. उसके सीने में कौन सी आग जल रही थी, जिसके चलते वह क्राइम की दुनिया का बेताज बादशाह बन गया. बात उस समय से शुरू होती है, जब बिहार में माओवादी संगठनों व जमींदारों के बीच खूनी संघर्ष चल रहा था. अनंत सिंह के परिवार के गिनती इलाके में उस समय बड़े जमींदारों में होती थी.
भाई की हत्या ने बदला रास्ता
एक दिन दोपहर को अनंत सिंह घर पर बैठकर खाने खा रहे थे, तभी ख़बर आई कि उनके भाई बिराची सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई है. इस ख़बर ने अनंत सिंह को बुरी तरह झकझोर कर रख दिया. बिराची सिंह की हत्या में माओवादी संगठन के सरगना का नाम सामने आया और अनंत सिंह ने बदला लेने की ठान ली.
खुद इंसाफ करने का लिया फैसला
लेखक राजेश सिंह ने अपनी किताब 'बाहुबलीज ऑफ इंडियन पॉलिटिक्स' में बिराची सिंह हत्याकांड का जिक्र किया है. उनके अनुसार, अनंत सिंह के परिजनों ने उन्हें पुलिस पर भरोसा रखने को कहा था. लेकिन काफी समय बीत जाने के बावजूद पुलिस की ओर से कार्रवाई नहीं की गई. भाई की हत्या की आग में झुलस रहे अनंत सिंह का सब्र टूट चुका था और उसने खुद इंसाफ करने का निर्णय लिया.
भाई के हत्यारे को मौत के घाट उतारा
कुछ समय बाद अनंत सिंह को पता चल गया कि उनके भाई का हत्यारा कहां पर छिपा बैठा है. इस दौरान अनंत सिंह और उनके साथी के पास हथियार भी नहीं थे और नदी पार करके जंगल पहुंचना था. उनके साथी ने समझाने की कोशिश की, लेकिन अनंत सिंह के सिर पर बदला लेने का खून सवार था. अनंत सिंह घंटों तैरने के बाद जंगल पहुंचे और बड़े पत्थर से सिर कुचलकर हत्या के आरोपी को मौत के घाट उतार दिया. भाई के हत्यारे को मारकर अनंत सिंह ने अपना प्रतिशोध पूरा किया. यही वह घटना साबित हुई जिसने अनंत सिंह को आगे चलकर बाहुबली बना दिया.
9 साल की उम्र में छोड़ा घर
आपको बता दें कि अनंत सिंह का मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता था, जिसके चलते छोटी ही उम्र में उन्होंने स्कूल छोड़ दिया. धर्म और आध्यात्मिकता की ओर झुकाव के चलते ही अनंत सिंह मात्र 9 साल की उम्र में ही घर छोड़कर हरिद्वार चले गए, जहां वह साधु-संतों के बीच रहने लगे. एक दिन साधुओं के बीच हुए खूनी संघर्ष ने अनंत सिंह को निराश कर दिया और वह अपने घर वापस लौट आए. अनंत सिंह का जीवन उतार-चढ़ाव से भरा रहा है.


