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चुनाव से पहले एक हुए चाचा-भतीजा, जुगलबंदी का ब्लूप्रिंट तैयार...जानें अजित- सुप्रिया को क्या मिलेगी जिम्मेदारी

एनसीपी में शरद पवार और अजित पवार के विलय की चर्चाएं तेज हैं. विलय में अजित पवार राज्य की राजनीति संभालेंगे, जबकि सुप्रिया सुले राष्ट्रीय मामलों और दिल्ली की जिम्मेदारी लेंगे. शरद पवार अप्रैल 2026 में संन्यास लेंगे. विलय से पार्टी मजबूत होगी, लेकिन कुछ नेताओं में असंतोष है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

पुणे : महाराष्ट्र की सियासत में शरद पवार की एनसीपी (एसपी) और अजित पवार की एनसीपी के विलय की चर्चाएं जोर पकड़ रही हैं. सूत्रों के अनुसार, इस विलय में पुराना समझौते का ब्लूप्रिंट लागू होगा, जिसमें अजित पवार राज्य की सियासत संभालेंगे, जबकि लोकसभा सांसद सुप्रिया सुले को दिल्ली और राष्ट्रीय मामलों की जिम्मेदारी दी जाएगी. यह कदम पवार परिवार की राजनीतिक रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है.

अप्रैल 2026 में खत्म होगा राज्यसभा कार्यकाल

आपको बता दें कि 85 वर्ष के शरद पवार का राज्यसभा कार्यकाल अप्रैल 2026 में खत्म होने वाला है. माना जा रहा है कि इसके बाद वे सक्रिय राजनीति से संन्यास ले लेंगे और अधिक समय सामाजिक कार्यों को देंगे. पारिवारिक मीटिंग्स में तय हुआ कि अजित पवार को पार्टी की बागडोर सौंप दी जाए ताकि परिवार के नेतृत्व में राजनीतिक प्रतिस्पर्धा को स्थिर किया जा सके.

सुप्रिया सुले का केंद्र में भविष्य
विलय के बाद सुप्रिया सुले को केंद्र में स्वतंत्र राजनीति करने का मौका मिलेगा. उन्होंने दिल्ली में अपनी कुशलता दिखाई है, जिससे पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय स्तर की जिम्मेदारी देने का निर्णय लिया है. इससे केंद्र में उनकी राजनीतिक स्थिति मजबूत होगी और एनसीपी की नई रणनीति को स्थायित्व मिलेगा.

प्रशांत जगताप कांग्रेस में शामिल
एनसीपी के कुछ नेताओं ने अजित पवार के नेतृत्व में काम करने से इनकार किया है. एनसीपी (सपा) के शहर अध्यक्ष प्रशांत जगताप ने इस्तीफा देकर कांग्रेस में शामिल हो गए हैं. अन्य नेता भी नए राजनीतिक अवसरों की तलाश में हैं. पुणे और पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम चुनावों के लिए दोनों एनसीपी गुट मिलकर चुनावी रणनीति पर काम कर रहे हैं, जिससे भाजपा को चुनौती दी जा सके.

एनसीपी का विलय परिवारवाद और राजनीतिक रणनीति का मिश्रण है. शरद पवार के संन्यास के बाद अजित पवार के नेतृत्व में पार्टी की दिशा तय होगी. इस विलय से केंद्र और राज्य स्तर पर पार्टी की ताकत मजबूत हो सकती है, जबकि पार्टी में असंतोष भी नई राजनीतिक हलचल को जन्म दे सकता है.

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27 December 2025, 06:26 PM IST

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