तारिक रहमान का चुनाव लड़ने का रास्ता साफ, 17 साल बाद फिर बने बांग्लादेश के वोटर, जानें किस सीट से लड़ेंगे इलेक्शन
करीब 17 साल बाद तारिक रहमान बांग्लादेश के वोटर बने और NID पंजीकरण पूरा किया. इससे बीएनपी के नेता के रूप में उनकी चुनावी वापसी का रास्ता साफ हुआ, जो आगामी संसदीय चुनावों को और अहम बनाता है.

नई दिल्लीः करीब 17 वर्षों के लंबे अंतराल के बाद बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के कार्यवाहक चेयरमैन तारिक रहमान एक बार फिर आधिकारिक रूप से बांग्लादेश के वोटर बन गए हैं. शनिवार को उनका नाम मतदाता सूची में शामिल कर लिया गया और उन्होंने नेशनल आइडेंटिटी कार्ड (NID) के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया भी पूरी कर ली. इसके साथ ही अब उनके लिए चुनाव लड़ने का रास्ता पूरी तरह साफ हो गया है.
चुनावी राजनीति में वापसी की तैयारी
तारिक रहमान इस बार अपनी पारंपरिक सीट बोगरा सदर (बोगरा-6) से चुनाव मैदान में उतरने की तैयारी कर रहे हैं. स्थानीय बीएनपी नेताओं ने उनकी ओर से नामांकन पत्र पहले ही संग्रह कर लिए हैं. बांग्लादेश में 12 फरवरी को राष्ट्रीय संसद के लिए चुनाव प्रस्तावित हैं और ऐसे में तारिक रहमान का वोटर बनना देश की राजनीति में एक अहम घटनाक्रम माना जा रहा है.
लंदन से लौटते ही सक्रिय हुए तारिक
लंदन से लौटने के दो दिन बाद ही तारिक रहमान ने शनिवार सुबह ढाका यूनिवर्सिटी इलाके में शहीद उस्मान हादी की कब्र पर जाकर श्रद्धांजलि दी. इसके बाद वे अगरगांव पहुंचे, जहां उन्होंने इलेक्शन ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट में मतदाता पंजीकरण और NID से जुड़ी औपचारिकताएं पूरी कीं. इससे पहले ही वे सार्वजनिक रूप से कह चुके थे कि 27 दिसंबर को वोटर बनने की प्रक्रिया पूरी करेंगे, जिसके लिए चुनाव आयोग ने पहले से तैयारी कर रखी थी.
NID प्रक्रिया पूरी, आयोग के अधिकारी मौजूद
बांग्लादेश के प्रमुख समाचार माध्यम प्रथम आलो के अनुसार, तारिक रहमान शनिवार दोपहर करीब एक बजे अगरगांव स्थित इलेक्शन बिल्डिंग के पीछे बने इलेक्टोरल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट पहुंचे. यहां ग्राउंड फ्लोर के उस कक्ष में उनकी प्रक्रिया पूरी हुई, जहां बाहर से आने वाले और विशिष्ट व्यक्तियों को NID से जुड़ी सेवाएं दी जाती हैं.
इस दौरान उन्होंने अपनी तस्वीर खिंचवाई, दसों उंगलियों के फिंगरप्रिंट दिए, आइरिस स्कैन कराया और आवश्यक दस्तखत किए. उस समय बांग्लादेश चुनाव आयोग के सचिव अख्तर अहमद भी मौके पर मौजूद थे.
कैसे बनता है वोटर?
इससे पहले सुबह चुनाव आयोग के NID विंग के महानिदेशक ASM हुमायूं कबीर ने मीडिया को बताया था कि वोटर बनने के लिए फोटो, फिंगरप्रिंट और आइरिस स्कैन लिया जाता है. यह पूरा डेटा चुनाव आयोग के डेटाबेस में अपलोड होता है और मौजूदा रिकॉर्ड से मिलान किया जाता है. इसके बाद एक विशिष्ट नंबर जेनरेट होता है, जिससे व्यक्ति आधिकारिक रूप से मतदाता बन जाता है.
वोटर लिस्ट पहले से फाइनल
चुनाव आयोग ने 13वें संसदीय चुनाव के लिए मतदाता सूची पहले ही अंतिम रूप दे दी थी. हालांकि, वोटर लिस्ट अधिनियम के अनुसार आयोग को यह अधिकार है कि वह किसी भी समय योग्य व्यक्ति का नाम मतदाता सूची में जोड़ सकता है. इसी प्रावधान के तहत तारिक रहमान का नाम सूची में शामिल किया गया.
2008 में देश छोड़ने से टूटा था वोटर से नाता
गौरतलब है कि बांग्लादेश में पहली फोटोयुक्त मतदाता सूची 2008 में केयरटेकर सरकार के दौरान तैयार हुई थी. बीएनपी प्रमुख खालिदा जिया के बड़े बेटे तारिक रहमान 11 सितंबर 2008 को जेल से रिहा होने के बाद लंदन चले गए थे. विदेश में रहने के कारण उस समय उनका नाम वोटर लिस्ट में शामिल नहीं हो सका. इसके बाद अवामी लीग के शासनकाल में वे देश नहीं लौटे और वोटर भी नहीं बन पाए.
बदली सियासी परिस्थितियां
पिछले साल जुलाई में छात्र आंदोलन के बाद शेख हसीना की सरकार गिर गई थी. इसके बाद देश में पहली बार आम चुनाव होने जा रहे हैं. चुनाव लड़ने के लिए मतदाता होना अनिवार्य था, जिसे तारिक रहमान ने अब पूरा कर लिया है.
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, तारिक रहमान का वोटर बनना न सिर्फ बीएनपी के लिए, बल्कि पूरे बांग्लादेश की राजनीति के लिए एक बड़ा संकेत है, क्योंकि इससे आने वाले चुनावों में मुकाबला और भी दिलचस्प होने की उम्मीद है.


