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कभी रियल एस्टेट, अब खेती... कौन हैं चैतन्य बघेल और कैसे आए ईडी के निशाने पर?

ईडी ने छत्तीसगढ़ के 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले में भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया, जिससे कांग्रेस को बड़ा राजनीतिक झटका लगा है.

छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित 3200 करोड़ रुपये के शराब घोटाले की जांच तेज होती जा रही है. इसी कड़ी में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शनिवार सुबह कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के रायपुर स्थित आवास पर छापेमारी की. ये कार्रवाई उनके बेटे चैतन्य बघेल को लेकर की गई, जिन्हें बाद में ईडी ने गिरफ्तार कर लिया.

ये मामला कांग्रेस के लिए राजनीतिक रूप से बड़ा झटका माना जा रहा है, खासकर ऐसे समय में जब केंद्र और राज्यों में विपक्ष पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई को लेकर लगातार आरोप-प्रत्यारोप जारी हैं. चैतन्य बघेल का नाम पहले इस घोटाले में खुलकर सामने नहीं आया था, लेकिन अब जांच एजेंसी ने उन्हें सीधे हिरासत में लेकर पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है.

कौन हैं चैतन्य बघेल?

चैतन्य बघेल छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता भूपेश बघेल के बेटे हैं. हालांकि, वे खुद अभी तक सक्रिय राजनीति में नहीं उतरे हैं, लेकिन कांग्रेस से उनकी नजदीकियां जगजाहिर रही हैं. 2018 से 2023 के बीच जब उनके पिता मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने राजनीतिक पारी की संभावनाएं तलाशी थीं, लेकिन 2024 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की हार के बाद ये योजना अधूरी रह गई.

चैतन्य पूर्व में रियल एस्टेट सेक्टर से जुड़े रहे हैं और वर्तमान में पारिवारिक कृषि कार्यों को संभाल रहे हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में जब भूपेश बघेल को कांग्रेस ने राजनांदगांव से टिकट दिया था, तब यह अनुमान लगाया गया था कि उनकी पारंपरिक विधानसभा सीट पाटन से चैतन्य बघेल को टिकट मिल सकता है, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.

ईडी के निशाने पर क्यों आए चैतन्य बघेल?

शराब घोटाले की जांच कर रही ईडी को कथित तौर पर ऐसे प्रमाण मिले हैं कि घोटाले से अर्जित काले धन का कुछ हिस्सा चैतन्य बघेल और उनके नजदीकी लोगों की संपत्तियों में निवेश किया गया. इस आधार पर ईडी ने उनके घर पर छापेमारी की और बाद में उन्हें हिरासत में ले लिया. इससे पहले इस मामले में पूर्व आबकारी मंत्री एवं कोटा विधायक कवासी लखमा को गिरफ्तार किया जा चुका है. इसके साथ ही, रायपुर के पूर्व महापौर एजाज ढेबर के भाई, पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा और आबकारी विभाग के पूर्व प्रबंध निदेशक पर भी कार्रवाई हो चुकी है.

क्या है छत्तीसगढ़ का 3200 करोड़ रुपये का शराब घोटाला?

भूपेश बघेल के मुख्यमंत्री कार्यकाल (2018-2023) के दौरान छत्तीसगढ़ में सरकारी शराब विक्रय प्रणाली में भारी अनियमितताओं का खुलासा हुआ था. प्रवर्तन निदेशालय की जांच में सामने आया कि सरकारी अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से करीब 3200 करोड़ रुपये का घोटाला किया गया. चार्जशीट के अनुसार, इस अवैध शराब घोटाले में आरोपियों ने करीब 61 लाख पेटियां अवैध रूप से बिकवाईं और उससे प्राप्त काले धन को रिश्तेदारों के नाम पर संपत्तियों में निवेश किया गया. कई फर्जी कंपनियों के जरिए इस धन को वैध दिखाने का प्रयास किया गया.

मामले पर कांग्रेस की प्रतिक्रिया

कांग्रेस पार्टी ने इस कार्रवाई को राजनीतिक बदले की भावना से प्रेरित बताया है. पार्टी प्रवक्ता ने कहा कि बीजेपी सरकार जांच एजेंसियों का इस्तेमाल करके विपक्षी नेताओं और उनके परिवारों को निशाना बना रही है. वहीं भाजपा का कहना है कि ये मामला कानून के अनुसार चल रहा है और दोषियों को सजा जरूर मिलेगी.

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18 July 2025, 04:12 PM IST

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