कैब राइड होगी और महंगी, पीक टाइम में देना होगा दो गुना किराया, सरकार ने दी मंजूरी
अगर आप रोजाना Ola, Uber, InDrive या Rapido से सफर करते हैं, तो अब आपकी जेब पर असर पड़ेगा. केंद्र सरकार ने नई गाइडलाइंस जारी कर कैब एग्रीगेटर्स को पीक ऑवर में बेस फेयर का दो गुना तक किराया वसूलने की अनुमति दे दी है.

अगर आप ओला, उबर, रैपिडो या इनड्राइव जैसी ऐप बेस्ड कैब सेवाओं का इस्तेमाल करते हैं, तो अब आपकी जेब पर पहले से ज्यादा बोझ पड़ सकता है. केंद्र सरकार के सड़क परिवहन मंत्रालय ने मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2025 के तहत कैब एग्रीगेटर्स के लिए नई दिशा-निर्देश जारी किए हैं. इन गाइडलाइंस का मकसद जहां यात्रियों की सुरक्षा और ड्राइवरों की सुविधा को बढ़ाना है, वहीं इससे पीक ऑवर में किराया भी बढ़ेगा.
नई गाइडलाइन के अनुसार, कैब कंपनियां अब पीक ऑवर में बेस फेयर का दो गुना तक किराया वसूल सकती हैं. पहले ये सीमा 1.5 गुना थी. वहीं, नॉन-पीक ऑवर में भी न्यूनतम किराया अब बेस फेयर का 50% तय किया गया है. इन दिशानिर्देशों को लागू करने के लिए राज्यों को तीन महीने का समय दिया गया है.
राइड कैंसिल पर देना होगा जुर्माना
अगर कोई ड्राइवर बिना उचित कारण के राइड एक्सेप्ट करने के बाद कैंसिल करता है, तो उस पर किराए का 10% (अधिकतम ₹100) तक का जुर्माना लगाया जाएगा. यही नियम यात्रियों पर भी लागू होगा. यह फीस ड्राइवर और एग्रीगेटर कंपनी के बीच बांटी जाएगी.
ड्राइवरों को मिलेगा बीमा और ट्रेनिंग
नई नीति के तहत एग्रीगेटर्स को अपने ड्राइवरों के लिए ₹5 लाख का हेल्थ इंश्योरेंस और ₹10 लाख का टर्म इंश्योरेंस देना अनिवार्य किया गया है. साथ ही, हर ड्राइवर को साल में एक बार ट्रेनिंग लेनी होगी. जिनकी रेटिंग सबसे नीचे 5% में होगी, उन्हें हर तीन महीने में रिफ्रेशर कोर्स करना होगा.
सेफ्टी बढ़ाने के लिए ट्रैकिंग डिवाइस अनिवार्य
हर टैक्सी और बाइक टैक्सी में अब व्हीकल लोकेशन और ट्रैकिंग डिवाइस (VLTD) लगाना जरूरी होगा. इस डिवाइस का डेटा राज्य सरकार के नियंत्रण केंद्र से जुड़ा रहेगा, जिससे रियल-टाइम निगरानी और यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सकेगी.
बाइक टैक्सी को मिलेगी कानूनी मंजूरी
नए नियमों के तहत अब राज्य सरकारें चाहें तो निजी मोटरसाइकिलों को भी राइड-शेयरिंग प्लेटफॉर्म पर रजिस्टर करने की अनुमति दे सकती हैं. इससे खासकर भीड़भाड़ वाले इलाकों में सस्ती और तेज यात्रा का विकल्प मिलेगा.
किराया तय करने का अधिकार राज्यों को
अब बेस फेयर राज्य सरकार तय करेगी. उदाहरण के लिए, दिल्ली में बेस फेयर ₹20-₹21 प्रति किलोमीटर है, जबकि पुणे में यह ₹18 है. साथ ही, अगर ड्राइवर बिना यात्री के 3 किमी से कम दूरी तक वाहन लेकर आता है, तो उसका अलग से चार्ज नहीं लिया जाएगा.


