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कभी बांग्लादेश से भी गरीब था चीन, आज आर्थिक बदलाव से बना दुनिया की सुपरपावर

चीन कभी भुखमरी, बेरोज़गारी और बंद फैक्ट्रियों का देश था, लेकिन नीतियों में बदलाव और कड़ी मेहनत ने उसे धीरे-धीरे दुनिया की आर्थिक ताकत बना दिया।

Lalit Sharma
Edited By: Lalit Sharma

International News:  एक समय था जब चीन दुनिया के सबसे गरीब देशों में गिना जाता था और उसकी हालत बांग्लादेश से भी कमजोर मानी जाती थी। गांवों में खाने को अनाज नहीं होता था। शहरों में उद्योग बंद पड़े थे। लोग सरकारी राशन पर निर्भर थे। आम परिवारों की आय बहुत कम थी। रोजगार के मौके नहीं थे। विदेशी व्यापार लगभग न के बराबर था। चीन की पहचान एक पिछड़े देश की थी।

माओ के दौर में क्या गलत हुआ?

1949 के बाद माओ त्से तुंग के शासन में पूरी अर्थव्यवस्था सरकार के हाथ में थी। खेती से लेकर फैक्ट्रियां तक आदेश से चलती थीं। ग्रेट लीप फॉरवर्ड जैसे प्रयोग असफल रहे। गलत फैसलों से भारी अकाल पड़ा। लाखों लोगों की जान चली गई। उत्पादन गिर गया। लोग सिर्फ पेट भरने की सोचते थे। दुनिया से चीन लगभग कट चुका था।

बदलाव की शुरुआत कहां से हुई?

1978 में देंग शियाओपिंग के आने से चीन की दिशा बदली। उन्होंने कहा कि अमीर होना गलत नहीं है। सरकार ने खेती में आज़ादी दी। निजी काम को अनुमति मिली। छोटे उद्योग शुरू हुए। गांवों में उत्पादन बढ़ा। लोगों को मेहनत का फायदा मिलने लगा। पहली बार बाजार की ताकत समझी गई। यही बदलाव की नींव बनी।

दुनिया के लिए दरवाज़े कब खुले?

चीन ने विदेशी कंपनियों के लिए अपने दरवाज़े खोले। स्पेशल इकोनॉमिक ज़ोन बनाए गए। सस्ती मज़दूरी और बेहतर ढांचे ने निवेश खींचा। फैक्ट्रियां तेजी से बढ़ीं। निर्यात बढ़ा। चीन दुनिया की फैक्ट्री कहलाने लगा। टेक्नोलॉजी आई। रोज़गार के लाखों मौके बने। शहर तेजी से फैलने लगे।

गरीबी से बाहर कैसे निकले लोग?

सरकार ने शिक्षा और स्किल पर ध्यान दिया। गांवों से शहरों की ओर काम मिला। करोड़ों लोग गरीबी रेखा से बाहर आए। सड़कों और रेल का जाल बिछा। बिजली और इंटरनेट पहुंचा। छोटे कारोबार बढ़े। आम आदमी की आमदनी सुधरी। जीवन स्तर बेहतर हुआ। यह बदलाव धीरे लेकिन मजबूत था।

आज की चीन की ताकत क्या है?

आज चीन दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। वह टेक्नोलॉजी, मैन्युफैक्चरिंग और व्यापार में आगे है। उसके पास मजबूत विदेशी मुद्रा भंडार है। बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट हैं। दुनिया के बाजार उस पर निर्भर हैं। चीन अब नियम भी बनाता है। उसकी आवाज वैश्विक मंचों पर सुनी जाती है।

इस कहानी से क्या सीख मिलती है?

चीन की कहानी बताती है कि सही नीतियां किस्मत बदल सकती हैं। बंद सोच नुकसान करती है। खुले बाजार मौके देते हैं। मेहनत का फल मिलना जरूरी है। बदलाव समय लेता है। धैर्य और दिशा दोनों चाहिए। गरीबी स्थायी नहीं होती। सही फैसले देश को आगे ले जा सकते हैं।

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12 December 2025, 06:47 PM IST

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