क्या HDFC बैंक के Toxic माहौल ने ली एक कर्मचारी की जान? पत्नी ने लगाया गंभीर आरोप, जानिए क्या है मामला!
एचडीएफसी बैंक के एक कर्मचारी सफी खान की अचानक मौत के बाद उनकी पत्नी ने बैंक की कार्य संस्कृति पर गंभीर आरोप लगाए हैं. उनका कहना है कि बैंक का अत्यधिक दबाव और उत्पीड़न ही उनके पति की मौत का कारण बने. क्या बैंक को अपनी कार्य संस्कृति में सुधार की आवश्यकता है? पढ़ें पूरी कहानी और जानिए क्या कहते हैं बैंक और नेटिज़न्स.

HDFC Bank Toxic Work Culture: एचडीएफसी बैंक में दो दशकों से काम कर रहे सफी खान की 19 नवंबर, 2024 को अचानक हृदयाघात से मृत्यु हो गई. उनकी पत्नी, निदा मुशीर, ने इस दुखद घटना का कारण बैंक की "विषाक्त कार्य संस्कृति" को ठहराया. निदा का कहना था कि उनके पति की मौत केवल एक प्राकृतिक कारण नहीं थी, बल्कि यह बैंक के कामकाजी दबाव और उत्पीड़न का नतीजा था.
निदा मुशीर ने लगाए गंभीर आरोप
निदा मुशीर ने सोशल मीडिया पर अपने पति के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि सफी खान कई बार छुट्टियों और अन्य मुद्दों को लेकर उत्पीड़न का शिकार हुए थे. उन्होंने महीनों पहले इस्तीफा दे दिया था, लेकिन बैंक ने उन्हें वापस बुला लिया और फिर से वही दबाव बढ़ा दिया. उनका कहना था कि यह मामला अकेला नहीं था और बैंक की कार्य संस्कृति में सुधार की सख्त आवश्यकता है.
क्लाइंट मीटिंग के दौरान अचानक हुई मौत
निदा मुशीर ने यह भी बताया कि उनके पति की मृत्यु एक महत्वपूर्ण क्लाइंट मीटिंग की तैयारी करते समय हुई. परिवार में उनके अलावा दो छोटे बच्चे थे, जिनकी उम्र 10 और 16 साल है. निदा ने यह भी बताया कि उनकी मृत्यु की तरह अन्य घटनाएं भी हो चुकी हैं, जैसे लखनऊ में एक कर्मचारी का बेहोश हो जाना और मुंबई में एक और सहकर्मी की गंभीर स्थिति का सामना करना.
HDFC बैंक की प्रतिक्रिया
इस मामले में एचडीएफसी बैंक ने अपनी प्रतिक्रिया दी और सफी खान की मृत्यु पर गहरी संवेदनाएं व्यक्त की. बैंक ने यह दावा किया कि उनके कार्यकाल के दौरान कभी भी उनकी छुट्टियों का अनुरोध अस्वीकार नहीं किया गया था. हालांकि, बैंक ने इस मामले पर और कोई विस्तार से जानकारी देने से इंकार कर दिया और इसे सोशल मीडिया पर "चर्चा के लिए अनुपयुक्त" बताया.
नेटिज़न्स ने किया जमकर विरोध
बैंक की प्रतिक्रिया पर नेटिज़न्स ने अपनी निराशा व्यक्त की. कई लोगों ने बताया कि कार्यस्थल पर अत्यधिक दबाव और अनदेखी कर्मचारियों की मानसिक और शारीरिक सेहत पर बुरा असर डालती है. एक यूजर ने कहा, “बैंक में काम करने का यह तरीका सही नहीं है, यह जहरीली मानसिकता को दिखाता है. क्यों नहीं कर्मचारियों की भलाई पर ध्यान दिया जाता?”
क्या HDFC बैंक की कार्य संस्कृति में सुधार होगा?
निदा मुशीर के आरोप और सोशल मीडिया पर उठ रही आवाज़ें यह सवाल खड़ा करती हैं कि क्या एचडीएफसी बैंक और अन्य कंपनियाँ अपनी कार्य संस्कृति को बदलने के लिए कदम उठाएंगी, ताकि कर्मचारियों की सेहत और मानसिक स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके? यह मामला न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह उन लाखों कर्मचारियों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत भी है जो इस प्रकार के दबाव का सामना कर रहे हैं.


