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New GST 2025: कपड़े-दवाओं से लेकर खाद्य सामग्री तक, जानें क्या सस्ता और क्या महंगा हुआ?

नई दिल्ली में 3 सितंबर 2025 को हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक ने देश की कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया. इससे कई चीजें सस्ती और महंगीं हुई हैं.

Suraj Mishra
Edited By: Suraj Mishra

Changes in tax regime: नई दिल्ली में 3 सितंबर 2025 को हुई जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक ने देश की कर व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में 12% और 28% स्लैब खत्म करते हुए नया ढांचा पेश किया गया. अब केवल तीन श्रेणियां रहेंगी 5% (आवश्यक वस्तुएं), 18% (ज्यादातर वस्तुएं और सेवाएं) और 40% (सिन एवं लग्जरी सामान). बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने बताया कि नया टैक्स ढांचा 22 सितंबर से लागू होगा.

दवाएं और खाद्य सामग्री जैसी जरूरी चीजें सस्ती

इस फैसले से कपड़े, जूते, दवाएं और खाद्य सामग्री जैसी जरूरी चीजें सस्ती होंगी. 2,500 रुपये तक के कपड़े और जूतों पर अब सिर्फ 5% जीएसटी लगेगा. घी, मक्खन, अचार, चटनी, बादाम और तैयार खाद्य पदार्थों पर भी टैक्स घटकर 5% कर दिया गया है. टीवी, फ्रिज और छोटी कारों पर जीएसटी 28% से घटाकर 18% कर दिया गया है. स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम और जीवन रक्षक दवाओं पर कर 18% से घटाकर 5% कर दिया गया है. कुल मिलाकर करीब 175 वस्तुओं पर टैक्स में कमी होगी.

हालांकि, लग्जरी और सिन गुड्स महंगे होंगे. 50 लाख रुपये से अधिक कीमत की गाड़ियों, तंबाकू और पान मसाले पर 40% टैक्स लगेगा. वहीं, इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी असर पड़ेगा. 20-40 लाख रुपये की ईवी पर टैक्स 5% से बढ़कर 18% और 40 लाख से ऊपर वाली ईवी पर 40% तक हो सकता है. कोयले पर जीएसटी 5% से बढ़ाकर 18% कर दिया गया, जिससे बिजली की लागत बढ़ सकती है.

छोटे व्यवसायों और निर्यातकों को राहत

बैठक में छोटे व्यवसायों और निर्यातकों को भी राहत दी गई. MSME और स्टार्टअप्स के लिए जीएसटी रजिस्ट्रेशन का समय 30 दिन से घटाकर 3 दिन कर दिया गया. निर्यातकों के लिए रिफंड अब स्वत: जारी होंगे और रिटर्न फाइलिंग भी सरल होगी.

हालांकि, विपक्षी राज्यों ने राजस्व घाटे की चिंता जताई. पंजाब, केरल और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों ने केंद्र से मांग की कि 40% टैक्स से होने वाली आमदनी का हिस्सा उन्हें दिया जाए. जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्लाह ने चेतावनी दी कि यदि मुआवजा नहीं दिया गया तो राज्यों की आर्थिक स्थिति बिगड़ सकती है.

महंगाई में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी

SBI रिसर्च के मुताबिक, नए ढांचे से सरकार को सालाना 60,000 करोड़ से 1.1 लाख करोड़ रुपये तक राजस्व का नुकसान हो सकता है, लेकिन औसत जीएसटी दर घटने से महंगाई में 20-25 बेसिस पॉइंट की कमी आएगी. सरकार का कहना है कि टैक्स कटौती का लाभ सीधे उपभोक्ताओं तक पहुंचना चाहिए.

कुल मिलाकर, यह सुधार आम उपभोक्ताओं को राहत देगा. कपड़े, जूते, दवाएं और खाद्य सामग्री सस्ती होंगी. हालांकि, लग्जरी गाड़ियां, ईवी और बिजली महंगी हो सकती हैं. नया कर ढांचा "जीएसटी 2.0" की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.

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03 September 2025, 11:13 PM IST

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