दूध, चिप्स, पास्ता, TV, मोबाइल, कार तक होंगे सस्ते...शुरू हो रही GST की बैठक, कल हो सकता है बड़ा ऐलान
GST काउंसिल की बैठक में टैक्स स्ट्रक्चर को सरल बनाने पर विचार हो रहा है. चार टैक्स स्लैब घटाकर अब सिर्फ 5% और 18% स्लैब रह सकते हैं. इससे दूध, पनीर, मोबाइल, टीवी, बाइक और जरूरी चीजें सस्ती हो सकती हैं. सरकार का उद्देश्य आम जनता को राहत देना और छोटे व्यापारियों को सहयोग करना है. यह फैसला अर्थव्यवस्था के लिए अहम माना जा रहा है.

GST Rate Change News : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 15 अगस्त को लाल किले से दिए गए भाषण में जीएसटी सिस्टम को सरल और आम आदमी के हित में बनाने की घोषणा के बाद अब इस दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं. आज से शुरू हुई दो दिवसीय जीएसटी काउंसिल की बैठक में टैक्स स्लैब कम करने, दरों में बदलाव और आवश्यक वस्तुओं को राहत देने पर अंतिम फैसला होने की संभावना है.
GST का मकसद, टैक्स प्रणाली को सरल बनाना
अब चार नहीं, सिर्फ दो GST टैक्स स्लैब
अभी GST के तहत 4 स्लैब हैं—5%, 12%, 18% और 28%. लेकिन अब 12% और 28% स्लैब को हटाकर सिर्फ 5% और 18% स्लैब बनाए रखने का प्रस्ताव है. यह बदलाव उपभोक्ताओं के लिए दिवाली गिफ्ट के तौर पर देखा जा रहा है. हालांकि इससे सरकार को करीब ₹40,000 करोड़ के राजस्व का नुकसान हो सकता है, फिर भी यह आम आदमी के लिए राहत भरा फैसला माना जा रहा है.
कौन-कौन सी चीजें हो सकती हैं सस्ती?
अगर प्रस्ताव पास हो जाता है तो दूध, पनीर, घी, मक्खन, चीज, साबुन, नमकीन, तेल, कपड़े, जूते, टीवी, मोबाइल फोन, बाइक और कारें सस्ती हो सकती हैं. पैकेज्ड फूड्स जैसे भुजिया, चिप्स, जैम, पास्ता और जूस को 12% से 5% स्लैब में लाने की योजना है. वहीं कोको बेस्ड चॉकलेट, आइसक्रीम और फ्लेक्स जैसी वस्तुओं पर भी टैक्स घट सकता है.
शिक्षा सामग्री पर GST छूट का प्रस्ताव
काउंसिल की बैठक में शिक्षा से जुड़ी वस्तुएं, जैसे वॉटर चार्ट, एटलस, पेंसिल शार्पनर, लैब नोटबुक आदि को जीएसटी मुक्त करने पर विचार किया जा रहा है. इस समय इन पर 12% टैक्स लागू है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और वाहन होंगे सस्ते
महंगे स्लैब (28%) से 18% स्लैब में लाकर टीवी, एसी, फ्रिज, वॉशिंग मशीन, मोबाइल फोन, दोपहिया वाहन और छोटी कारें सस्ती हो सकती हैं. ₹1,000 से कम के जूतों, सीमेंट और रेडी मिक्स कंक्रीट पर भी टैक्स कम करने की योजना है.
जीएसटी सुधारों का ये प्रस्ताव देश की टैक्स प्रणाली को सरल, पारदर्शी और उपभोक्ता हितैषी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकता है. यदि ये बदलाव लागू होते हैं, तो आम आदमी की जेब पर बोझ कम होगा और बाजार में वस्तुओं की कीमतें घटेंगी.


