भीख मांगने की लत नहीं छूटी पाकिस्तान की – 24 बार IMF से लिया कर्ज, फिर भी हालात जस के तस......
पाकिस्तान को बार-बार कर्ज लेने की ऐसी आदत लग गई है कि अब हालात सुधरने की बजाय और बिगड़ते जा रहे हैं. IMF से 24 बार लोन लेकर भी हालत जस की तस है. भारत ने अब साफ कह दिया है कि इस पैसे का गलत इस्तेमाल हो सकता है. लेकिन असली कहानी तो कुछ और ही है... जानिए कैसे पाकिस्तान कर्ज में डूबते हुए भी खुद को संभाल नहीं पा रहा.

Pakistan Economic Condition: पाकिस्तान एक बार फिर चर्चा में है और वजह वही पुरानी है - कर्ज! एक ऐसा देश जो बार-बार कर्ज मांगता है लेकिन फिर भी अपनी हालत सुधारने में नाकाम रहता है. अब तक 24 बार IMF से मदद ले चुका है, फिर भी न आर्थिक हालात सुधरे और न ही प्रशासनिक सिस्टम. इस बार भी IMF ने पाकिस्तान को राहत का एक और पैकेज दिया है, लेकिन सवाल यह है कि क्या इससे वाकई कोई फर्क पड़ेगा?
IMF से 24वीं बार कर्ज लिया लेकिन हालात फिर भी जस के तस
IMF ने पाकिस्तान को एक बिलियन डॉलर का नया राहत पैकेज दिया है, जबकि भारत ने इसका विरोध किया. भारत का कहना है कि पाकिस्तान इस पैसे का इस्तेमाल आतंकवाद फैलाने में कर सकता है. यह कर्ज पाकिस्तान को 1958 के बाद से 24वीं बार मिला है. वर्ल्ड बैंक और एशियन डेवलपमेंट बैंक से भी वह पहले ही कई बार मदद ले चुका है. बावजूद इसके देश की आर्थिक तस्वीर जस की तस बनी हुई है.
पाकिस्तान की बिगड़ी अर्थव्यवस्था
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत काफी खराब है. IMF की रिपोर्ट के मुताबिक, 2022-23 में विकास दर -0.2% रही. अगले साल अर्थव्यवस्था में बस 2.7% और उसके बाद 3.1% की हल्की बढ़त की उम्मीद जताई गई है. 2024 में उसका कुल विदेशी कर्ज 130 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया है. सिर्फ 2.5% लोग ही टैक्स भरते हैं और गरीबी दर 40% से ऊपर है.
भ्रष्टाचार, बेरोजगारी और महंगाई की मार
पाकिस्तान में शासन प्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं. IMF ने 6 बड़े क्षेत्रों की समीक्षा की है, जिसमें भ्रष्टाचार, न्यायिक स्वतंत्रता और पारदर्शिता जैसे मुद्दे शामिल हैं. एक वक्त ऐसा भी था जब महंगाई 38 फीसदी तक जा पहुंची थी और करीब 9.7 फीसदी लोग बेरोजगार थे. अधिकांश लोग पौष्टिक आहार भी नहीं ले पाते.
जलवायु और कर्ज संकट ने हालात और बिगाड़े
2022 की बाढ़ ने पाकिस्तान को और तबाह किया, जिससे 33 मिलियन लोग बेघर हुए और 30 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ. जलवायु परिवर्तन की वजह से GDP को भी भारी नुकसान हो सकता है.
भारत का विरोध और चिंता
भारत ने IMF की मीटिंग में विरोध दर्ज कराते हुए कहा कि इस फंड का इस्तेमाल आतंकवाद में हो सकता है. भारत ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया और चेताया कि ऐसा कदम ग्लोबल संस्थाओं की साख पर भी सवाल खड़े करेगा.
पाकिस्तान बार-बार कर्ज लेता है, लेकिन सुधार के कोई संकेत नजर नहीं आते. प्रशासन, अर्थव्यवस्था और सामाजिक व्यवस्था हर मोर्चे पर लड़खड़ा रही है. ऐसे में यह सवाल फिर उठता है – क्या पाकिस्तान को वाकई सुधार की चाह है, या उसे भीख मांगने की आदत सी हो गई है