2025 में एससीओ शिखर सम्मेलन, मोदी-शी-पुतिन का टैरिफ विरोध पर एक सुर
एससीओ के सदस्य देशों ने आयोजित शिखर सम्मेलन में वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था को लेकर अहम निर्णय लिए. बैठक में तय किया गया कि सदस्य देश एक निष्पक्ष, पारदर्शी और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मज़बूत करेंगे.

SCO leaders united in 2025: शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों ने सोमवार को आयोजित शिखर सम्मेलन में वैश्विक व्यापार और अर्थव्यवस्था को लेकर अहम निर्णय लिए. बैठक में तय किया गया कि सदस्य देश एक निष्पक्ष, पारदर्शी और बहुपक्षीय व्यापार प्रणाली को मज़बूत करेंगे, जिससे खुली वैश्विक अर्थव्यवस्था के विकास को प्रोत्साहन मिल सके. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन सहित कई देशों के प्रमुख मौजूद रहे.
संयुक्त घोषणा पत्र में क्या कहा गया?
संयुक्त घोषणा पत्र में कहा गया कि सभी सदस्य देश किसी भी प्रकार के एकतरफा जबरन आर्थिक उपायों का विरोध करते हैं. ऐसे कदम अंतर्राष्ट्रीय कानून, संयुक्त राष्ट्र चार्टर और विश्व व्यापार संगठन के नियमों का उल्लंघन करते हैं. साथ ही वैश्विक अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर डालते हैं. साथ ही, यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सतत विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति में भी बाधा पहुंचाते हैं. यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका की टैरिफ नीतियों के कारण वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है.
सदस्य देशों ने आपसी सहयोग को और गहरा करने पर सहमति जताई. इसमें विशेष आर्थिक क्षेत्रों का विकास, ई-कॉमर्स को बढ़ावा देने, डिजिटल व्यापार ढांचे को मज़बूत करने और विकसित एवं विकासशील देशों के बीच डिजिटल खाई को कम करने की पहल शामिल है. इसके अलावा, एससीओ टेक्नोपार्क और इनोवेशन क्लस्टर जैसी योजनाओं को तेज करने और भविष्य की तकनीकों पर केंद्रित कार्यक्रम शुरू करने का भी प्रस्ताव रखा गया.
शिखर सम्मेलन में यह भी माना गया कि नवाचार और रचनात्मक उद्योगों को प्रोत्साहन देने से छोटे और मध्यम उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा व रोजगार के अवसरों में विस्तार होगा. सदस्य देशों ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ग्रामीण और दूरदराज़ के क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए ऐसे प्रयास अहम हैं.
वित्तीय ढांचे को लेकर लिए गए अहम निर्णय
वित्तीय ढांचे को लेकर भी कई अहम निर्णय लिए गए. सदस्य देशों ने आपसी लेन-देन में राष्ट्रीय मुद्राओं की हिस्सेदारी बढ़ाने और एससीओ विकास बैंक की स्थापना की दिशा में तेज़ी से कदम बढ़ाने पर बल दिया. साथ ही, अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं जैसे विश्व बैंक और आईएमएफ में विकासशील देशों की भागीदारी बढ़ाने का भी समर्थन किया.
ऊर्जा क्षेत्र को लेकर भी महत्वपूर्ण सहमति बनी. एससीओ देशों ने इस क्षेत्र में आपसी सहयोग को बढ़ाने और वैश्विक ऊर्जा बाजार को स्थिर एवं संतुलित बनाने पर ज़ोर दिया. साथ ही, हरित उद्योगों के विकास और ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला की स्थिरता को सुनिश्चित करने का संकल्प भी लिया गया.


