ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी ने पलटा समीकरण, चीन छोड़ रही हैं अमेरिकी कंपनियां
अमेरिका-चीन ट्रेड वॉर के चलते अमेरिकी कंपनियां चीन से दूरी बना रही हैं और निवेश घटा रही हैं. 52% अमेरिकी कंपनियों ने चीन में नए निवेश की योजना नहीं बताई, जबकि कई कंपनियां भारत और वियतनाम की ओर रुख कर रही हैं.

अमेरिका और चीन के बीच चल रही ट्रेड वॉर से वैश्विक व्यापार जगत में भारी उथल-पुथल मची हुई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा शुरू की गई इस आर्थिक खींचतान का सीधा असर अब अमेरिकी कंपनियों पर दिखाई देने लगा है. अमेरिका और चीन, दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक शक्तियां माने जाते हैं. इनके बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है. इसका नतीजा यह हुआ है कि कई अमेरिकी कंपनियों ने चीन में निवेश कम कर दिया है या वहां से अपने ऑपरेशन समेटने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं.
चीन से किनारा कर रहीं अमेरिकी कंपनियां
एक ताजा सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 52% अमेरिकी कंपनियों ने यह स्पष्ट किया है कि उनकी चीन में भविष्य में कोई नया निवेश करने की योजना नहीं है. यही नहीं, इन कंपनियों में से 27% पहले ही अपने कारोबार का एक हिस्सा चीन से बाहर स्थानांतरित कर चुकी हैं या ऐसा करने की योजना बना रही हैं. यह रुझान 2016 के बाद से सबसे अधिक देखा गया है. पिछले चार वर्षों में इस प्रकार की सोच में तीन गुना वृद्धि हुई है.
चीन को लंबे समय तक ‘विश्व की फैक्ट्री’ माना गया, जहां अमेरिकी कंपनियों ने सस्ते दामों में उत्पादन करवाकर भारी मुनाफा कमाया. लेकिन कोविड-19 महामारी के बाद वैश्विक व्यापार का परिदृश्य तेजी से बदला है. अब अमेरिकी कंपनियां 'चाइना प्लस वन' नीति अपना रही हैं, जिसमें वे चीन के साथ-साथ अन्य देशों जैसे भारत और वियतनाम में भी अपने उद्योगों का विस्तार कर रही हैं.
वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव
इसके अतिरिक्त, चीन द्वारा टेक्नोलॉजी और दुर्लभ खनिजों के निर्यात पर लगाई गई सीमाएं भी चिंता का विषय बनी हैं. चीन इन संसाधनों का रणनीतिक रूप से इस्तेमाल कर रहा है, जिससे वैश्विक सप्लाई चेन पर दबाव बना हुआ है. यही कारण है कि अमेरिका की कई कंपनियां अब अपने व्यापारिक भविष्य के लिए विकल्प तलाश रही हैं.


