अचानक IMF से क्यों वापस बुलाए गए केवी सुब्रमण्यन, सामने आई बड़ी वजह...6 महीने बाद खत्म होना था कार्यकाल
भारत सरकार ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (भारत) के रूप में डॉ. कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन के कार्यकाल को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है. वे 1 नवंबर 2022 से इस पद पर कार्यरत थे. यह निर्णय पाकिस्तान को दी गई वित्तीय सहायता पर IMF बोर्ड की आगामी समीक्षा बैठक से पहले लिया गया. डॉ. सुब्रमण्यन भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञ और पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं.

भारत सरकार ने इंटरनेशनल मॉनेटरी फंड (IMF) में एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर (भारत) के पद पर तैनात डॉ. कृष्णमूर्ति वी सुब्रमण्यन के कार्यकाल को तत्काल प्रभाव से समाप्त करने का निर्णय लिया है. डॉ. सुब्रमण्यन 1 नवंबर 2022 से इस पद पर कार्यरत थे. यह निर्णय पाकिस्तान को दी गई वित्तीय सहायता पर आयोजित IMF बोर्ड की महत्वपूर्ण समीक्षा बैठक से पहले लिया गया है.
केवी सुब्रमण्यन का परिचय
केवी सुब्रमण्यन, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख विशेषज्ञों में से एक माने जाते हैं, भारत के मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके हैं. 2018 से 2021 तक, उन्होंने इस पद पर रहते हुए भारत सरकार को आर्थिक नीतियों, वित्तीय सुधारों और बजट से पहले आर्थिक सर्वेक्षण पर सलाह दी थी. विशेष रूप से, उनका कार्यकाल उन कठिन समयों में रहा जब भारतीय अर्थव्यवस्था को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा था.
कोरोना महामारी के दौरान आर्थिक नीति का निर्माण
डॉ. सुब्रमण्यन का कार्यकाल कोरोना महामारी के दौरान था, जब देश की आर्थिक स्थिति नाजुक हो गई थी. इस दौरान, उन्होंने सरकार को संकट से निपटने के लिए विभिन्न आर्थिक नीतियों और उपायों पर सलाह दी. महामारी के कारण उत्पन्न हुई आर्थिक मंदी को देखते हुए उन्होंने त्वरित और प्रभावी आर्थिक कदम उठाने पर जोर दिया. इसके अलावा, वह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और सेबी की विशेषज्ञ समितियों का हिस्सा भी रहे हैं और बंधन बैंक के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में भी कार्यरत रहे.
वैश्विक स्तर पर प्रतिष्ठा और योगदान
डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन को वैश्विक आर्थिक विशेषज्ञ के रूप में भी जाना जाता है. उन्होंने बैंकिंग, कॉर्पोरेट गवर्नेंस, आर्थिक विकास, और वित्तीय नीति पर कई शोध पत्र लिखे हैं, जो दुनिया के प्रमुख जर्नल्स में प्रकाशित हुए हैं. उनका योगदान वैश्विक स्तर पर माना गया है, और वह इन क्षेत्रों में एक गहरे शोधकर्ता और विचारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं.
शिक्षा और शैक्षिक पृष्ठभूमि
डॉ. सुब्रमण्यन का शैक्षिक बैकग्राउंड भी बेहद मजबूत है. उन्होंने अपनी पीएचडी शिकागो विश्वविद्यालय के बूथ स्कूल ऑफ बिजनेस से की, जहां वे भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के मार्गदर्शन में अध्ययन कर रहे थे. इसके अतिरिक्त, उन्होंने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) और भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) से अपनी उच्च शिक्षा प्राप्त की. उनके शैक्षिक और पेशेवर अनुभव ने उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था और वैश्विक वित्तीय नीति में एक अहम स्थान दिलाया है.
आखिर क्यों लिया गया यह निर्णय?
केंद्र सरकार ने डॉ. कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन के कार्यकाल को समाप्त करने का यह फैसला पाकिस्तान को मिलने वाली वित्तीय सहायता से संबंधित IMF बोर्ड की आगामी बैठक से पहले लिया है. इस निर्णय का संदर्भ वैश्विक वित्तीय संस्थानों में भारत की स्थिति और इसके प्रभावी प्रबंधन से जुड़ा हुआ माना जा रहा है.
आगे की दिशा
इस निर्णय के बाद डॉ. सुब्रमण्यन के भविष्य के बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन उनके कार्यकाल के दौरान उनके योगदान को देखते हुए यह स्पष्ट है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका महत्वपूर्ण रही है. उनके जाने के बाद, भारतीय सरकार IMF में अपनी नई नियुक्ति के लिए विचार कर सकती है, जो वैश्विक आर्थिक नीति में भारत की भूमिका को मजबूती से प्रस्तुत कर सके.


