5 साल में पहली बार प्रमुख ब्याज दरों में कटौती करेगा RBI? Monetary Policy से पहले भारतीय रुपया रसातल में
RBI monetary policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) 7 फरवरी को अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा जारी करने वाला है, लेकिन उससे पहले भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए निचले स्तर पर पहुंच चुका है. अमेरिकी डॉलर की बढ़ती मांग और आर्थिक अनिश्चितताओं के चलते रुपये में गिरावट देखी जा रही है. इस दौरान, आरबीआई से ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी बढ़ी हैं.

RBI monetary policy: 7 फरवरी को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) अपनी मौद्रिक नीति समीक्षा पेश करेगा, लेकिन उससे पहले भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले एक नए रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गया है. अमेरिकी डॉलर की बढ़ती मांग के चलते रुपये में गिरावट देखी जा रही है. इसका मुख्य कारण नॉन-डिलिवरेबल फॉरवर्ड्स (NDF) मार्केट में पोजीशन्स की मेच्योरिटी से उत्पन्न दबाव बताया जा रहा है. आज रुपये में 0.1% की गिरावट आई, जिससे यह 87.55 के स्तर पर पहुंच गया, जो कि पिछले दिन के रिकॉर्ड निचले स्तर 87.4875 को पार कर गया है.
आरबीआई द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीदें भी इस दौरान बढ़ी हैं. यह पहला अवसर होगा जब आरबीआई पिछले 5 सालों में अपनी ब्याज दरों में कटौती कर सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम भारतीय अर्थव्यवस्था को पुनः गति देने के उद्देश्य से उठाया जाएगा, जिसे हाल ही में कमजोर वृद्धि दर का सामना करना पड़ा है.
रुपये में गिरावट के कारण
भारतीय रुपया पिछले कुछ महीनों से दबाव में है और इसके कारण कई कारक हैं. एक ओर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की टैरिफ नीतियों और वैश्विक अनिश्चितताओं ने निवेशकों को चिंता में डाल दिया है, वहीं दूसरी ओर, भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरों में कटौती की संभावना ने रुपये को और कमजोर किया है. वर्तमान वित्त वर्ष में रुपया लगभग 2% गिर चुका है और अब यह एशियाई मुद्राओं में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली मुद्रा बन चुका है.
भारतीय रिजर्व बैंक का हस्तक्षेप
रुपये में गिरावट को रोकने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक ने सरकारी बैंकों के माध्यम से डॉलर बेचने की कोशिश की है. हालांकि, इसके बावजूद डॉलर की खरीदारी का दबाव लगातार बना हुआ है. रिपोर्टों के अनुसार, इन बैंकों ने डॉलर की मजबूत बिक्री की, लेकिन डॉलर की बढ़ती मांग की वजह से रुपये पर मंदी का दबाव कायम रहा. डॉलर-रुपया रेफरेंस रेट 0.50/0.60 पैसे के प्रीमियम पर बनी रही, जो अमेरिकी डॉलर की बढ़ती मांग को दर्शाता है.
मौद्रिक नीति में बदलाव की संभावना
विशेषज्ञों का अनुमान है कि 7 फरवरी को आरबीआई की बैठक में ब्याज दरों में कटौती की घोषणा हो सकती है. भारतीय रिजर्व बैंक ने जनवरी के अंत में बैंकिंग सिस्टम में 1.5 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त लिक्विडिटी का ऐलान किया था. इसके अलावा, विश्लेषकों का मानना है कि आरबीआई शुक्रवार को सीआरआर में भी और कटौती कर सकता है, जिससे भारतीय रुपये को कुछ राहत मिल सकती है.
मुद्रास्फीति और कमजोर वृद्धि दर
भारत की वर्तमान आर्थिक वृद्धि दर में गिरावट देखने को मिल रही है, और विशेषज्ञों का अनुमान है कि आगामी वर्ष में यह दर 6.3% से 6.8% के बीच रह सकती है. हालांकि, मुद्रास्फीति अभी भी आरबीआई के 4% के लक्ष्य से ऊपर बनी हुई है, जिससे रुपये की कमजोरी को और बढ़ावा मिला है. इस स्थिति में आरबीआई के अगले कदमों पर निवेशकों की निगाहें टिकी हैं.


