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750 किडनी ट्रांसप्लांट, 30 करोड़ की कमाई: ‘झोलाछाप डॉक्टर’ या मौत का सौदागर?

डॉक्टर डेथ देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के बाद गुरुग्राम किडनी कांड फिर सुर्खियों में है. इस रैकेट का मास्टरमाइंड झोलाछाप डॉ. अमित कुमार था, जिसने सात साल तक किडनी का अवैध कारोबार चलाया और 750 से ज्यादा विदेशी मरीजों को ट्रांसप्लांट कर करोड़ों कमाए.

Dimple Yadav
Edited By: Dimple Yadav

डॉ. देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के बाद फिर चर्चा में आया गुरुग्राम का कुख्यात किडनी रैकेट. लेकिन इस रैकेट का असली सरगना कोई योग्य सर्जन नहीं, बल्कि एक झोला छाप डॉक्टर निकला – डॉ. अमित कुमार. पुलिस सूत्रों के अनुसार, क्रूरता के मामले में अमित ने डॉक्टर डेथ यानी देवेंद्र शर्मा को भी पीछे छोड़ दिया. वह न केवल खुद किडनी निकालता था, बल्कि विदेशों से आए मरीजों को सर्जरी भी खुद ही करता था – जबकि उसके पास न योग्यता थी, न अनुभव.

2007-08 की सर्दियों में मुरादाबाद के एक युवक की शिकायत पर गुरुग्राम पुलिस ने इस गिरोह की तह तक जाने का फैसला किया. युवक ने बताया कि उसकी किडनी धोखे से निकाल ली गई है. जैसे ही जांच शुरू हुई, अमित कुमार और उसका भाई जीवन कुमार गायब हो गए और उनका फर्जी ऑपरेशन थिएटर बंद हो गया.

नेपाल से गिरफ्तारी और बड़ा खुलासा

7 फरवरी 2008 को अमित कुमार को नेपाल से गिरफ्तार किया गया. उसके इशारों पर हरियाणा, दिल्ली और यूपी में कई जगह छापे पड़े और पांच झोला छाप डॉक्टर गिरफ्तार हुए. इनमें से अधिकतर ने केवल आयुर्वेद की पढ़ाई की थी. ये लोग बिना किसी सर्जिकल योग्यता के किडनी निकालने जैसे गंभीर अपराध में लिप्त थे.

7 साल तक चला मौत का खेल

इस काले कारोबार को अमित और उपेंद्र मिलकर चलाते थे. देवेंद्र शर्मा समेत कई लोग उनके सहयोगी थे. गरीब, बेरोजगार और मजबूर लोगों को नौकरी या सरकारी योजना का लालच देकर बुलाया जाता और धोखे से उनकी किडनी निकाल ली जाती. बदले में उन्हें 25-30 हजार रुपये पकड़ाकर चुप करा दिया जाता.

विदेशी ग्राहक और मोटी कमाई

अमित कुमार ने अपनी सारी किडनियां अमेरिका, इंग्लैंड, कनाडा, सऊदी अरब और ग्रीस जैसे देशों से आए मरीजों को बेचीं. हर ट्रांसप्लांट के लिए वह 40-50 लाख रुपये लेता था और एक केस में उसे लगभग 30-35 लाख का फायदा होता था. उसने खुद सीबीआई को बताया कि सात सालों में 750 से अधिक ट्रांसप्लांट किए.

मौतें और लापरवाही की इंतिहा

कई मामलों में ऑपरेशन के बाद सिलाई ठीक से न होने के कारण मरीजों की मौत भी हो गई. गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा और मेरठ में उसने दो अस्पताल और दस से अधिक लैब खोल रखी थीं. सीबीआई की जांच और चार्जशीट के आधार पर 2013 में अदालत ने अमित कुमार को सात साल की सजा सुनाई. यह मामला आज भी भारतीय चिकित्सा जगत पर एक काला धब्बा बना हुआ है.

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22 May 2025, 12:29 PM IST

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