UGC, AICTE और NCTE का होंगे खत्म , नया कानून पास
केंद्र सरकार ने भारत की उच्च शिक्षा प्रणाली में ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।केंद्रीय कैबिनेट ने एक बिल को मंज़ूरी दी है जो UGC, AICTE और NCTE को खत्म कर देगा और एक सिंगल हायर एजुकेशन रेगुलेटर बनाएगा।

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने भारत के उच्च शिक्षा तंत्र में एक ऐतिहासिक बदलाव की दिशा में कदम बढ़ाया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने यूजीसी, एआईसीटीई और एनसीटीई को समाप्त कर एक सिंगल उच्च शिक्षा नियामक स्थापित करने वाले बिल को मंजूरी दे दी है। यह पहल शिक्षा प्रणाली को सरल, पारदर्शी और परिणाम-मुखी बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार साबित होगी।
देश में अब तक विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा को, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (AICTE) तकनीकी शिक्षा को और राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) शिक्षक शिक्षा को नियंत्रित करते थे। इन तीनों संस्थाओं के अलग-अलग नियमों और प्रक्रियाओं के कारण कई बार नियामकीय ओवरलैप और जटिलता बनी रहती थी। नए कानून से इन सभी को एकीकृत कर एक ही नियामक बनाकर उच्च शिक्षा नियमन, मान्यता और पेशेवर मानकों के निर्धारण को सेंट्रलाइज्ड किया जाएगा।
मंजूर किए गए विधेयक का नाम अब “विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण विधेयक” रखा गया है, जो पहले Higher Education Commission of India (HECI) Bill के नाम से जाना जाता था। इस विधेयक को संसद के शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा। सरकार ने स्पष्ट किया है कि मेडिकल तथा लॉ , कॉलेजों को इस नए नियामक के दायरे में शामिल नहीं किया गया है, यानी इन शैक्षणिक क्षेत्रों के नियमन पर फिलहाल कोई बदलाव नहीं होगा।
एकीकृत नियामक के मुख्य घटक और फायदे
विकसित भारत शिक्षा अधीक्षण के तहत नियामक के भीतर अलग-अलग वर्टिकल्स (प्रभाग) होंगे, जो उच्च शिक्षा के विभिन्न पहलुओं को संबोधित करेंगे:
1.राष्ट्रीय उच्च शिक्षा विनियामक परिषद: सभी गैर-मेडिकल एवं गैर-कानूनी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए नियमन लागू करेगा।
2. राष्ट्रीय प्रत्यायन परिषद: शैक्षणिक गुणवत्ता के लिए एकरूप मान्यता प्रणाली लागू करेगा।
3. सामान्य शिक्षा परिषद: पाठ्यक्रम, शिक्षण पद्धति तथा शैक्षणिक मानकों को निर्धारित करेगा।
4. उच्च शिक्षा अनुदान परिषद: सरकारी नियंत्रण में फंड एवं अनुदान से जुड़ी गतिविधियों को देखेगा।
विशेषज्ञों का मानना है कि नए ढांचे से गवर्नेंस अधिक पारदर्शी होगी, नियामकीय ओवरलैप कम होगा और शैक्षणिक गुणवत्ता एवं सीखने के परिणामों (learning outcomes) पर ज्यादा ध्यान दिया जा सकेगा।
छात्रों और संस्थानों पर प्रभाव
एकीकृत नियामक से अब छात्रों और कॉलेजों को कई अलग-अलग निकायों के बीच नहीं भागना पड़ेगा। यह बदलाव मानकीकरण, औद्योगिक आवश्यकताओं के अनुरूप पाठ्यक्रम और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी शिक्षा सुनिश्चित करने में मदद करेगा। उन्मुख समीक्षा और मान्यता प्रक्रिया से शिक्षण-अध्यापन गुणवत्ता में सुधार के अवसर मिलेंगे।
कुल मिलाकर, यह कदम उच्च शिक्षा के प्रशासनिक ढांचे को मजबूत, सरल और छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर अधिक उत्तरदायी बनाने की दिशा में एक बड़ा सुधार कहा जा रहा है।


