'उदयपुर फाइल्स' पर चली सरकार की कैंची, रिलीज से पहले 6 बड़े बदलाव का दिया आदेश
'उदयपुर फाइल्स' पर 16 जुलाई को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने फिल्म निर्माताओं को केंद्र सरकार की रिपोर्ट का इंतजार करने का निर्देश दिया था. अब सरकार ने अपना फैसला सुनाते हुए फिल्म में छह रोचक बदलाव और संशोधन सुझाए हैं, जो दर्शकों का ध्यान खींचने के लिए तैयार हैं.

Udaipur Files film: विजय राज अभिनीत फिल्म 'उदयपुर फाइल्स' एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार सिनेमा घरों में रिलीज़ से पहले कानूनी पेच में उलझी हुई है. 2022 में उदयपुर में दर्जी कन्हैया लाल की हत्या पर आधारित यह फिल्म अब भारत सरकार की समीक्षा के बाद कुछ जरूरी संशोधनों के आदेश का सामना कर रही है. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में इस फिल्म की रिलीज़ को लेकर याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र की समिति की रिपोर्ट का इंतजार करने को कहा था, और अब सरकार की तरफ से छह अहम बदलाव सुझाए गए हैं. जहां एक तरफ लोग इस फिल्म को सच्चाई सामने लाने की कोशिश मान रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे न्यायिक प्रक्रिया में दखल बताकर विरोध भी किया जा रहा है. ऐसे में, फिल्म की अंतिम रिलीज़ इस बात पर टिकी है कि क्या निर्माता इन सभी संशोधनों को स्वीकार करते हैं या नहीं.
समिति ने दिए छह महत्वपूर्ण बदलाव
एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार द्वारा गठित समिति ने फिल्म "उदयपुर फाइल्स" में निम्नलिखित छह संशोधन करने की सिफारिश की है.
डिस्क्लेमर में बदलाव
फिल्म में जो मूल डिस्क्लेमर शामिल किया गया है, उसे बदलने की सिफारिश की गई है. समिति चाहती है कि दर्शकों को सही और स्पष्ट सूचना मिले कि यह फिल्म काल्पनिक रूप से प्रेरित है और इसका उद्देश्य किसी को आहत करना नहीं है.
फिल्म के ओपनिंग क्रेडिट में कुछ विशेष व्यक्तियों के प्रति व्यक्त आभार को हटाने की बात कही गई है, जिससे पक्षपात की आशंका समाप्त हो.
AI द्वारा बना विवादित सीन में बदलाव
एक ऐसा दृश्य जिसमें फांसी को सऊदी अरब शैली में दिखाया गया है, उसे हटाने या संशोधित करने की सलाह दी गई है क्योंकि यह दृश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बना है और सांस्कृतिक संवेदनाओं को प्रभावित कर सकता है. साथ ही फिल्म में मौजूद एक काल्पनिक पात्र 'नूतन शर्मा' को पूरी तरह हटाकर उसके स्थान पर नया नाम रखने की बात कही गई है.
धार्मिक ग्रंथों से जुड़े संवाद हटाने की मांग
नूतन शर्मा से जुड़े संवादों में एक संवाद ऐसा भी था जो धार्मिक ग्रंथों से जुड़ा था. समिति ने इसे हटाने को कहा है ताकि धार्मिक भावनाएं आहत न हों.
मामला कैसे पहुंचा सुप्रीम कोर्ट?
यह फिल्म कन्हैया लाल हत्याकांड पर आधारित है, जिसमें उन्हें दिनदहाड़े बेरहमी से मारा गया था. इस घटना ने देशभर में गहरा आक्रोश पैदा किया था. फिल्म के खिलाफ याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में यह तर्क दिया कि इससे समाज में पक्षपात पैदा हो सकता है और न्यायिक प्रक्रिया पर असर पड़ सकता है. उन्होंने ट्रेलर और प्रमोशन पर भी आपत्ति जताई.
क्या रिलीज की मंजूरी मिलेगी?
अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि निर्माता इन संशोधनों को स्वीकार करते हैं या नहीं. यदि वे सरकार की सिफारिशों को मान लेते हैं, तो फिल्म की रिलीज़ का रास्ता साफ हो सकता है. हालांकि इस फिल्म को लेकर प्रतिक्रियाएं बंटी हुई हैं. एक ओर जहां लोग इसे ‘सच्चाई की डाक्यूमेंट्स प्रस्तुति’ कह रहे हैं, वहीं दूसरी ओर इसे न्यायिक हस्तक्षेप मानकर आलोचना भी की जा रही है.

