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गाय तो गाय है...सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति मंदिर में देसी दूध पर सुनवाई से किया इनकार

सुप्रीम कोर्ट ने तिरुपति मंदिर में केवल देशी गाय के दूध के उपयोग की मांग वाली याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दी. न्यायालय ने कहा कि यह धार्मिक अनुष्ठानों में हस्तक्षेप नहीं करेगा और याचिकाकर्ता को मामला उच्च न्यायालय में ले जाने की अनुमति दी. कोर्ट ने धार्मिक आस्था और सेवा को प्राथमिकता देने की बात कही.

Yaspal Singh
Edited By: Yaspal Singh

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को एक ऐसी याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया जिसमें तिरुपति वेंकटेश्वर मंदिर के प्रसाद और पूजा अनुष्ठानों में केवल देशी गाय के दूध के उपयोग की मांग की गई थी. याचिका में मंदिर के प्रबंधन ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) को इस नियम को लागू करने का निर्देश देने की मांग की गई थी.

अदालत ने दी याचिका वापस लेने की अनुमति

जस्टिस एम.एम. सुंदरेश और जस्टिस एन. कोटिस्वर सिंह की पीठ ने याचिकाकर्ता को याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी और उन्हें इस मामले को हाईकोर्ट में ले जाने की छूट दी. अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इस याचिका पर विचार करने को इच्छुक नहीं है, और मामले को वहीं समाप्त कर दिया.

ईश्वर के लिए प्रेम सेवा में है, न कि औपचारिकताओं में

सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति सुंदरेश ने टिप्पणी की, "गाय तो गाय ही है. ईश्वर के प्रति प्रेम हमारे कार्यों और साथी प्राणियों की सेवा में होना चाहिए, न कि इन छोटे विवादों में उलझने में." उन्होंने यह भी कहा कि समाज में इससे अधिक महत्वपूर्ण मुद्दे मौजूद हैं जिनपर ध्यान दिया जाना चाहिए. जज ने आगे कहा कि उनकी टिप्पणियां पूरे सम्मान के साथ की जा रही हैं और यह विषय एक व्यापक दृष्टिकोण से देखा जाना चाहिए.

याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट में कहा कि आगम शास्त्रों और अनुष्ठानों में देशी गाय के दूध का उपयोग अनिवार्य बताया गया है. उनका दावा था कि टीटीडी ने पहले ही इस संबंध में प्रस्ताव और आदेश पारित किया है, जिसे अब प्रभावी रूप से लागू करने की जरूरत है. उन्होंने जोर देकर कहा कि अनुष्ठानिक परंपराओं का पालन धार्मिक भावनाओं और मान्यताओं से जुड़ा विषय है, और इसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.

ईश्वर को क्या चाहिए, यह हम तय नहीं कर सकते

जवाब में, न्यायमूर्ति सुंदरेश ने मानव निर्मित भेदभाव की ओर संकेत करते हुए कहा कि ईश्वर को किसी विशेष नस्ल या स्थान की वस्तु की जरूरत नहीं होती. उन्होंने कहा, "ईश्वर सभी के लिए समान हैं. आप यह नहीं कह सकते कि उन्हें सिर्फ देशी गाय का दूध चाहिए. शायद ईश्वर को कुछ और ही चाहिए!" उन्होंने यह भी व्यंग्यात्मक अंदाज़ में पूछा, "क्या अब हम यह भी कहेंगे कि तिरुपति के लड्डू भी स्वदेशी होने चाहिए?" जिससे अदालत में एक हल्का-फुल्का माहौल बन गया.

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21 July 2025, 05:39 PM IST

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