केरल के पूर्व CM और CPI नेता वी.एस. अच्युतानंदन का निधन, 101 वर्ष की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा
केरल के पूर्व सीएम और CPI नेता वी.एस. अच्युतानंदन ने 101 वर्ष की उम्र में दुनिया को कहा अलविदा. वी.एस. अच्युतानंदन, जिन्हें लोग प्यार से अपने बीच का नायक मानते हैं, पिछले महीने हार्ट अटैक के बाद तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में ट्रीटमेंट चल रहा था.

Kerala CPI leader V.S. Achuthanandan Passed Away: मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) की संस्थापक पीढ़ी के अंतिम जीवित नेताओं में से एक, पूर्व मुख्यमंत्री वी.एस. अच्युतानंदन का सोमवार को 101 वर्ष की आयु में निधन हो गया. पार्टी ने उनके निधन की आधिकारिक पुष्टि करते हुए कहा कि उन्होंने एक सदी से अधिक का जनसंघर्षों और सिद्धांतों से भरा जीवन जिया. पिछले महीने दिल का दौरा पड़ने के बाद से अच्युतानंदन का तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था. उनकी हालत लगातार नाजुक बनी हुई थी.
जन आंदोलनों से उठकर मुख्यमंत्री पद तक
वी.एस. अच्युतानंदन केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि जन आंदोलनों से उपजे विचार और संघर्ष की प्रतीक थे. 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री रहे अच्युतानंदन ने अपने शासनकाल में सामाजिक न्याय और श्रमिकों के अधिकारों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी. वे केरल की राजनीति के उन विरले चेहरों में शामिल थे जिन्होंने आमजन के मुद्दों को सत्ता के केंद्र तक पहुंचाया.
1964 में जब भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में विभाजन हुआ, तब अच्युतानंदन उन लोगों में थे जिन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (CPI-M) की नींव रखी. वे उस ऐतिहासिक पीढ़ी के अंतिम जीवित स्तंभ थे, जिसने भारतीय राजनीति में वामपंथी विचारधारा को एक सशक्त विकल्प के रूप में स्थापित किया.
10 चुनाव, 7 जीतें और अडिग विचारधारा
अपने लंबे राजनीतिक जीवन में अच्युतानंदन ने कुल 10 विधानसभा चुनाव लड़े, जिनमें से सात में विजयी रहे. उनका राजनीतिक करियर ईमानदारी, सादगी और स्पष्ट विचारों का प्रतीक रहा. उनके आलोचक भी उनकी नैतिक साख और जनसेवा के प्रति प्रतिबद्धता को मानते थे.
वी.एस. अच्युतानंदन का स्वास्थ्य समस्या
अपने बढ़ते स्वास्थ्य समस्याओं के कारण अच्युतानंदन ने पिछले कुछ वर्षों से सार्वजनिक जीवन से दूरी बना ली थी. बावजूद इसके, उनकी उपस्थिति पार्टी और जनता के बीच एक प्रेरणा बनी रही. उनके निधन के साथ एक महान नेता का अंत हो गया है, जिसे विचारों और आंदोलनों की विरासत के रूप में याद किया जाएगा.


