Jolly LLB 3 Review: हंसी, इंसाफ और टकराव का तड़का, जॉली Vs जॉली से खुला सिस्टम का कड़वा सच
जॉली LLB 3 आज 19 सितंबर को सिनेमाघरों में धमाकेदार एंट्री ले रही है. अक्षय कुमार और अरशद वारसी की इस जोड़ी ने पिछली दो फिल्मों में दर्शकों का दिल जीता था लेकिन क्या तीसरी किस्त भी वैसा ही जादू बिखेर पाएगी? आइए इस मजेदार कोर्टरूम ड्रामे की हर डिटेल को रोचक अंदाज में जानते हैं.

Akshay Kumar Jolly LLB 3: अगर आपने 'जॉली LLB' (2013) और 'जॉली LLB 2' (2017) देखी है और उनके कोर्टरूम ड्रामे, सामाजिक सरोकार और हास्य से भरपूर अंदाज को पसंद किया था तो आपके लिए एक बड़ी खुशखबरी है. 'जॉली LLB 3' अब पर्दे पर दस्तक दे चुकी है और इस बार कहानी में नया मोड़ यह है कि दोनों पुराने जॉली, अरशद वारसी और अक्षय कुमार एक साथ स्क्रीन शेयर कर रहे हैं. तीसरी किस्त एक बार फिर समाज के उस हिस्से पर रोशनी डालती है जिसे अक्सर अनदेखा किया जाता है. यह सिर्फ अदालत की लड़ाई नहीं बल्कि न्याय और नैतिकता, लालच और ईमानदारी, अमीरी और गरीबी के बीच की खींचतान है.
फिल्म की कहानी बीकानेर से बॉस्टन तक की लड़ाई
फिल्म की कहानी राजस्थान के बीकानेर जिले के एक गांव से शुरू होती है जहां एक अमीर बिजनेसमैन हरिभाई खेतान (गजराज राव) 'बीकानेर टू बॉस्टन' नामक एक मेगा प्रोजेक्ट शुरू करना चाहता है. इस प्रोजेक्ट के लिए किसानों की जमीन चाहिए जिसे पाने के लिए वह राजनीतिक प्रभाव, अधिकारियों की मिलीभगत और झूठे वादों का सहारा लेता है. हालात तब बिगड़ते हैं जब एक किसान आत्महत्या कर लेता है. उसकी पत्नी जानकी (सीमा बिस्वास) न्याय की आस में पहले जॉली 1 (अरशद वारसी) और फिर जॉली 2 (अक्षय कुमार) के पास पहुंचती है. शुरुआत में दोनों ही मदद करने से हिचकिचाते हैं लेकिन जब उन्हें सच्चाई का एहसास होता है तो वे मिलकर इस अन्याय के खिलाफ अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं.
फिल्म की टोन और प्लॉट का ढांचा
जॉली LLB 3 दो भागों में बंटी हुई लगती है पहला हाफ हल्के-फुल्के हास्य और कोर्टरूम के बाहर के मजाकिया क्षणों से भरपूर है जहां अक्षय और अरशद की नोकझोंक दर्शकों को खूब हंसाती है. दूसरे हाफ में फिल्म गंभीर मोड़ लेती है जहां कहानी किसानों की पीड़ा, सामाजिक अन्याय और कानूनी जटिलताओं को उजागर करती है. हालांकि पहले दो भागों के मुकाबले इस बार कोर्टरूम ड्रामा थोड़ा कमजोर महसूस होता है फिर भी मुद्दों की गंभीरता फिल्म को जमीन से जोड़े रखती है.
दोनों जॉली में किसका रहा पलड़ा भारी?
जहां अक्षय कुमार को ज्यादा स्क्रीन टाइम मिला है वहीं अरशद वारसी का किरदार भावनात्मक गहराई लिए हुए है. अक्षय की कॉमिक टाइमिंग और डायलॉग डिलीवरी दमदार है लेकिन अरशद का गंभीर पक्ष इस बार अलग रूप में सामने आता है.
सपोर्टिंग कास्ट का प्रदर्शन
सौरभ शुक्ला एक बार फिर जज के किरदार में कमाल करते हैं. उनकी हाजिरजवाबी और सहजता कोर्ट सीन्स को जीवंत बना देती है. सीमा बिस्वास कम संवादों में भी अपनी आंखों से पूरी कहानी बयां कर जाती हैं. गजराज राव इस बार नकारात्मक किरदार में हैं हालांकि उनका व्यक्तित्व उस स्तर की धमक नहीं ला पाता. राम कपूर एक सशक्त वकील के किरदार में अक्षय के समक्ष डटकर खड़े होते हैं.
फिल्म का सामाजिक संदेश
जॉली LLB 3 एक बार फिर से समाज के उन मुद्दों को उठाती है जो आम आदमी के जीवन से जुड़े हैं किसान आत्महत्या, भूमि अधिग्रहण, सिस्टम की विफलताएं और न्याय की कठिन राहें. फिल्म यह दिखाने की कोशिश करती है कि कानून सिर्फ तर्क और सबूत का खेल नहीं बल्कि उसमें भावनाएं और इंसानियत भी शामिल होती है.
अगर आप सामाजिक मुद्दों को समझने वाली फिल्मों में रुचि रखते हैं और कोर्टरूम ड्रामा के प्रशंसक हैं तो जॉली LLB 3 एक बार जरूर देखी जा सकती है. फिल्म में मनोरंजन, हास्य, सामाजिक संदेश और इमोशन का संतुलन है.


