दिन में रखा व्रत और शाम को खाया मटन... अब सोशल मीडिया पर ट्रोल हुई एक्ट्रेस तो दिया ये जवाब
बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने सावन में व्रत के बाद मटन खाते हुए वीडियो शेयर किया, जिससे सोशल मीडिया पर विवाद खड़ा हो गया. उन्होंने इसे आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से औषधि बताया और कहा कि हर संस्कृति की परंपरा अलग होती है. यूजर्स ने सावन में मांसाहार को लेकर उनकी आलोचना की, जिसके जवाब में तनुश्री ने बंगाली परंपरा का हवाला देते हुए ट्रोल्स को करारा जवाब दिया.

बॉलीवुड एक्ट्रेस तनुश्री दत्ता ने हाल ही में इंस्टाग्राम स्टोरी पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें वह सावन व्रत के पश्चात मटन और काली दाल खाना दिखा रही हैं. वीडियो में उन्होंने दावा किया कि आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से मटन शरीर के लिए औषधि के समान है.
सोशल मीडिया पर यूजर्स ने जताई नाराजगी
संस्कृति और व्यक्तिगत आजादी की बात
तनुश्री ने ट्रोल्स को जवाब देते हुए कहा कि बंगाल में व्रत रखने की प्रथा अलग होती है. वहाँ लोग शाम तक उपवास रखते हैं और सूर्यास्त के बाद देवी के भोग में मटन भी शामिल होता है. उन्होंने स्पष्ट किया कि हर संस्कृति की अपनी परंपराएं होती हैं और किसी की संस्कृति पर जज नहीं किया जाना चाहिए. साथ ही, लोगों से वीडियो पूरा देखने की अपील की.
वीडियो में तनुश्री ने क्या कहा
उन्होंने सावन के दिन व्रत रखा और रात 7 बजे तक केवल पानी लिया. फिर डिनर में मटन, काली दाल और चावल बनाया. उनका कहना है कि भोजन को दवा की तरह लेना मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है. उनका फास्ट थॉटफुल और आयुर्वेद पर आधारित है, जिससे वे फिट और फोकस्ड रहती हैं.
मांसाहार को लेकर दृष्टिकोण
तनुश्री ने कहा कि उनका मांसाहार अनुभव आयुर्वेदिक दृष्टिकोण से संतुलित था. उन्होंने बताया कि उनके नाश्ते और फास्ट-ब्रेक में हाई-प्रोटीन और न्यूट्रिशस डाइट शामिल होती है, जिससे मानसिक ताकत भी बनती है. उनका मानना है कि दिन-भर व्रत रखने के बाद पौष्टिक भोजन स्वास्थ्य और ऊर्जा बनाए रखता है.
व्यक्तिगत आजादी या धार्मिक प्रतिबद्धता?
तनुश्री दत्ता की इस पोस्ट ने एक बार फिर यह मुद्दा उठाया कि व्यक्तिगत आहार संबंधी निर्णय और सांस्कृतिक व धार्मिक परंपराएं कब टकराती हैं. सवाल यह है कि क्या किसी की आहार संस्कृति दूसरे की धार्मिक मान्यताओं का उल्लंघन करती है, या फिर हमें विभिन्न संस्कृतियों की विविधता को सम्मान देना चाहिए? घटना ने इस बहस को फिर जीवंत कर दिया है.


