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एक ही रास्ते से चढ़ते-उतरते श्रद्धालु, बेकाबू भीड़ और ना कोई प्लानिंग... मनसा देवी मंदिर में मची भगदड़ में 6 की मौत पर जिम्मेदार कौन ?

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में रविवार को हुई भगदड़ में 6 श्रद्धालुओं की मौत और 25 घायल हो गए. हादसा सीढ़ियों पर भीड़ बढ़ने और शॉर्ट सर्किट की अफवाह के कारण हुआ. मंदिर में आने-जाने का एक ही रास्ता होने से हालात बिगड़ गए. समय रहते भीड़ नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए. अब प्रशासन ने जांच के आदेश दिए हैं और एकल मार्ग की व्यवस्था लागू की जा रही है.

Utsav Singh
Edited By: Utsav Singh

हरिद्वार के मनसा देवी मंदिर में रविवार सुबह लगभग 9 बजे हुई भगदड़ में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई, जबकि 25 अन्य घायल हो गए. घटना के वक्त मंदिर की सीढ़ियों पर भक्तों की भारी भीड़ थी, जिस समय 'शॉर्ट-सर्किट' की अफवाह फैलने से दहशत मच गई. अचानक फैलती अफवाह से लोग चीखते हुए भागने लगे और सीढ़ियों पर घुटने भर दबाव पड़ा.

सीढ़ियाँ संकरी और रास्ता तंग, भीड़ व्यवस्था हुई फेल

मनसा देवी मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्त या तो रोप-वे से आते हैं या पैदल रास्ते से. पैदल आने वालों को पहाड़ी सीढ़ियों से चढ़ना होता है, जिनकी चौड़ाई शुरुआती हिस्से में 12-16 फीट होती है लेकिन आगे संकरी हो जाती है. हजारों लोग ऊपर–नीचे इसलिए आते-जा रहे थे कि मासूम भीड़ अचानक बढ़ने पर रास्ता जाम हो गया. भीड़ का दबाव सीढ़ियों और आसपास दुकानों पर पड़ा और व्यवस्था टूट गई.

अफवाहें: बिजली का करंट या कुछ और?
इस भगदड़ की शुरुआत एक अफवाह से हुई—कुछ लोगों ने बिजली के पोल पर शॉर्ट सर्किट की ख़बर फैलाई. हालांकि पुलिस ने इसकी पुष्टि नहीं की, लेकिन श्रद्धालुओं में जो डर फैला, उसने भगदड़ को हवा दी. लोग भय से तेल की तरह फैलते गए, चप्पलें बिखरी, शटर टूटे और कई घायल हो गए.

मंदिर कमेटी की चूक: समय रहते क्यों नहीं चेताया?
मंदिर कमेटी के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने कहा कि प्रशासन को समय रहते जानकारी देनी चाहिए थी क्योंकि परिसर में लगे कैमरे स्पष्ट रूप से भीड़ बढ़ने का अलार्म दे रहे थे. उन्होंने स्वीकार किया कि दर्शकों का आने और जाने का एक ही रास्ता था, जिससे अचानक भीड़ अधिक हो जाने पर नियंत्रण मुश्किल हो गया. लेकिन उन्होंने ज़िम्मेदारी लेने से इंकार किया.

वन विभाग और पुलिस की भूमिका पर उठे सवाल
मंदिर परिसर राजाजी पार्क और वन विभाग के अधीन आता है. वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि रास्तों की सीमाओं और भीड़ का अनुमान उन्हें था लेकिन समय पर कार्रवाई नहीं हुई. वहीं पुलिस भी मौके पर तैनात थी, लेकिन भीड़ बढ़ते देख उन्होंने उचित कदम क्यों नहीं उठाए, यह एक बड़ा प्रश्न बन गया.

नए इंतजाम: एकल मार्ग और जांच आयोग का गठन
एसएसपी धर्मेंद्र सिंह ने घोषणा करते हुए बताया कि अब मंदिर में भक्तों के लिए एकल मार्ग व्यवस्था लागू की जाएगी ताकि आने और जाने के लिए अलग रास्ते हों. उन्होंने यह भी कहा कि घटना की जांच के लिए मामला दर्ज किया गया है. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मृतकों के परिजनों को मुआवजे का ऐलान किया है.

सावन की भीड़ और पूर्व चेतावनियाँ अनसुनी
सावन के पावन माह में हर की पैड़ी और मनसा मंदिर पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, खासकर शनिवार-रविवार को. इससे पहले भी कई बार भगदड़ जैसी घटनाओं की चेतावनी मिल चुकी थी. ये पहले से नक़्शे में थे, फिर भी क्राउड मैनेजमेंट के कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए गए, यह सवाल अब हवा में तैर रहा है.

लापरवाही पर सवाल, जिम्मेदारी किसकी?
भगदड़ जैसी त्रासदी की जिम्मेदारी अभी तक किसी ने खुलकर नहीं ली है. मंदिर समिति, वन विभाग और पुलिस तीनों की भूमिका संदिग्ध बनी हुई है. जब व्यवस्था लकदक न हो और चेतावनी न मिलने पर भी न किया गया हो, तो ऐसी घटनाओं का भयपूर्ण अदृश्य कारण होता है. इस हादसे को गंभीर एक सबक माना जाना चाहिए और भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचने के लिए पूर्व तैयारी जरूरी है.

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27 July 2025, 09:14 PM IST

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