अबकी बार मोदी सरकार, कुछ मीठा हो जाए...नहीं रहे एड गुरू पीयूष पांडेय, 70 की उम्र में निधन
विज्ञापन जगत के दिग्गज पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने एशियन पेंट्स, कैडबरी, फेविकोल जैसे ब्रांड्स को नई पहचान दी और “अबकी बार मोदी सरकार” जैसा चर्चित नारा दिया. उनकी रचनात्मकता और भारतीयता ने विज्ञापन की दुनिया में नई दिशा स्थापित की.

देश के प्रसिद्ध विज्ञापन गुरु पीयूष पांडे का 70 वर्ष की आयु में निधन हो गया. उन्होंने भारतीय विज्ञापन जगत को एक नई पहचान दी और कई प्रतिष्ठित ब्रांड्स को घर-घर तक पहुंचाया. उनकी रचनात्मकता, सरल भाषा और भारतीय संवेदनाओं को समझने की क्षमता ने उन्हें विज्ञापन की दुनिया का एक प्रतीक बना दिया था.
विज्ञापन जगत में रचा नया इतिहास
पीयूष पांडे ने अपने करियर के दौरान ऐसे कई विज्ञापन अभियान तैयार किए, जो भारतीय दर्शकों के दिल में बस गए. उनके द्वारा लिखे गए एशियन पेंट्स के मशहूर कैंपेन हर खुशी में रंग लाए और कैडबरी का प्रसिद्ध ऐड 'कुछ खास है' ने विज्ञापन जगत में नया मानक स्थापित किया. उनकी कलम से निकला दूरदर्शन का प्रतिष्ठित गीत “मिले सुर मेरा तुम्हारा” आज भी भारत की एकता और विविधता का प्रतीक माना जाता है. इस गीत ने पीयूष पांडे को हर घर का जाना-पहचाना नाम बना दिया था.
‘अबकी बार मोदी सरकार’ का नारा बना चर्चा का केंद्र
पीयूष पांडे केवल कॉर्पोरेट ब्रांड्स तक सीमित नहीं रहे, उन्होंने राजनीतिक अभियानों को भी नई दिशा दी. वर्ष 2014 में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाले चुनाव अभियान का नारा “अबकी बार, मोदी सरकार” दिया, जो पूरे देश में बेहद लोकप्रिय हुआ. इस नारे ने भारतीय राजनीति में विज्ञापन की भूमिका को एक नए स्तर तक पहुंचाया.
ओगिल्वी इंडिया से चार दशक का सफर
पीयूष पांडे ने वर्ष 1982 में ओगिल्वी इंडिया (Ogilvy India) के साथ अपने विज्ञापन करियर की शुरुआत की. लगभग चार दशकों तक उन्होंने इस कंपनी के साथ रहकर इसे भारत की सबसे प्रतिष्ठित विज्ञापन एजेंसी बना दिया. वह 2019 में कंपनी के ग्लोबल चीफ क्रिएटिव ऑफिसर बने, जो भारतीय विज्ञापन जगत के लिए गर्व की बात थी. उनके नेतृत्व में ओगिल्वी इंडिया ने कई अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी जीते.
भारतीयता का अनोखा संगम
पीयूष पांडे का काम इस बात का उदाहरण था कि विज्ञापन केवल उत्पाद बेचने का माध्यम नहीं, बल्कि भावनाओं को जोड़ने का जरिया भी है. उन्होंने भारतीय संस्कृति, भाषा और लोकाचार को अपने विज्ञापनों में सहजता से पिरोया. उनके कैंपेन आम लोगों के जीवन से जुड़े होते थे. फेविकोल के मजेदार विज्ञापन, हच का व्हेयरवेर यू गो, अवर नेटवर्क फॉलोज यू और कैडबरी डेयरी मिल्क का कुछ मीठा हो जाए आज भी लोगों की यादों में ताजा हैं.
क्रिकेटर से विज्ञापन जगत के महारथी तक
विज्ञापन में आने से पहले पीयूष पांडे क्रिकेटर रह चुके थे. उन्होंने राजस्थान के लिए रणजी ट्रॉफी में खेला था. इसके अलावा उन्होंने चाय बागान और निर्माण क्षेत्र में भी काम किया. 27 वर्ष की उम्र में उन्होंने विज्ञापन उद्योग में कदम रखा और अंग्रेज़ी-प्रधान इस क्षेत्र को भारतीय भाषाओं और संवेदनाओं से जोड़ दिया.
एक युग का अंत
पीयूष पांडे के निधन के साथ भारतीय विज्ञापन जगत का एक सुनहरा अध्याय समाप्त हो गया है. उनकी पहचान न केवल उनके शानदार विज्ञापनों से, बल्कि उनकी सादगी, हंसमुख स्वभाव और रचनात्मक दृष्टिकोण से भी जुड़ी रही. उनकी बड़ी मूंछें, दिलकश मुस्कान और अद्भुत सोच हमेशा प्रेरणा देती रहेंगी.


