नथ उतराई रस्म क्या है? भारत में कब हुई इसकी शुरुआत, जानिए सबकुछ
भारतीय संस्कृति में नाक की नथ उतारने की रस्म को नथ उतारना के नाम से जाना जाता है. यह एक प्रथा है जिसका पालन विवाहित महिलाएं विशेष रूप से भारत के कुछ क्षेत्रों और समुदायों में करती हैं. इस बीच आज हम आपको इस रस्म के बारे में विस्तार से बताने जा रहे हैं तो चलिए जानते हैं.

हाल ही में बॉलीवुड के दिग्गज फिल्म मेकर संजय लीला भंसाली की एक वेब सीरीज 'हीरामंडी' नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई है. इस फिल्म में तवायफों की कहानी दिखाई गई है. फिल्म में तवायफों की जिंदगी, रहन सहन, काम, योगदान सभी को बखूबी दिखाया गया है. हालांकि, फिल्म की कहानी में सबसे ज्यादा ध्यान नथ उतराई की रस्म ने खींचा है. फिल्म में दिखाया गया है कि एक लड़की नथ उतराई रस्म के बाद तवायफ बन जाती है.
आज हम आपको इसी रस्म (नथ उतराई) के बारे में बताने जा रहे हैं. तो चलिए जानते हैं. साथ ही ये भी जानते हैं कि नथ पहने की प्रथा कब शुरू हुई और ये भारत में कब आई.
नथ उतराई रस्म क्या है
कई समुदायों में, नथ ( नाक की अंगूठी) को एक महिला की दुल्हन की पोशाक का एक अनिवार्य हिस्सा माना जाता है, जो उसकी वैवाहिक स्थिति का प्रतीक है. शादियों और त्योहारों जैसे खास अवसरों पर महिलाएं अपनी खूबसूरती को बढ़ाने के लिए नत पहनती हैं लेकिन, संजय लीला भंसाली की वेब सीरीज 'हीरामंडी' में नथ उतराई रस्म का अर्थ अलग है. भारतीय महिलाएं पारंपरिक रूप से अपनी नाक की बाई ओर नथ पहनती है लेकिन नवाब युग के दौरान जब कोई लड़की तवायफ बनने जाती है तो उसे नथ उतराई रस्म निभाना पड़ता है यानी अपनी नाक की नथ को हमेशा के लिए हटाना पड़ता है.
हालांकि जब किसी आम महिला यानी किसी विवाहीत महिला तभी अपना नथ उतारती है जब उसके पति की मौत हो जाती है. भारत में कुछ समुदाय में जब कोई महिला विधवा हो जाती है, तो उसे अपने सुहाग के सभी चीजों को उतार कर विधवा का रूप धारण करना होता है जिसमें से एक नथ भी है.
भारत में कब हुई नथ पहनने की शुरुआत
भारत में मुगलों के दौर में नथ पहनने की परंपरा शुरू हुई थी जो 16 वीं शताब्दी में मध्य एशिया से आए थे. नथ का इतिहास 4 साल से भी ज्यादा पुराना है. नथ को इराक जैसे मध्य पूर्व देशों में 'शंफ' कहा जाता था. बाइबल में नथ का जिक्र एक अनमोल तोहफे के रूप में किया गया है. फारसी और अरबी संस्कृतियों की तरह मुगल काल में महिलाओं को भी नाक में नथ पहनने का बेहद शौक था. मुगल काल के बाद से ही नथ भारतीय महिलाओं के साज श्रृंगार का हिस्सा बन गया.

