'ये जो है जिंदगी': कैसे सतीश शाह की कॉमेडी ने 80 के दशक के शो में अपनी पहचान बनाई
एक मध्यमवर्गीय परिवारों के दिलों को छूने वाली 'ये जो है जिंदगी' ने सतीश शाह को हर एपिसोड में एक नए, मजेदार और चुलबुले किरदार में ढलने का मौका दिया. जो न सिर्फ हंसी लाता था बल्कि जिंदगी की सादगी को भी बखूबी दर्शाता था. उनकी शानदार एक्टिंग ने हर किरदार को इतना जीवंत बनाया कि दर्शक हमेशा उनको याद रखते हैं.

मुंबई: भारत के पहले जनरेशन होम एंटरटेनमेंट कार्निवल की शुरुआत जब दूरदर्शन पर आठवें दशक में हुई, तो भारतीय टेलीविजन का पहला बड़ा नाम बनकर उभरा 'ये जो है जिंदगी'. शुक्रवार की रात, प्राइम टाइम पर आने वाला यह शो कॉमेडी के संदर्भ में अनोखा था. एक युवा मध्यमवर्गीय जोड़े, रंजीत और रेनू की कहानी पर आधारित इस शो में कई शानदार कलाकारों ने एक्टिंग किया, जिनमें शफी इनामदार और स्वरोप संपत ने अहम भूमिका निभाई. लेकिन शो में एक और नाम था जिसने दर्शकों का दिल जीता वो था सतीश शाह.
सतीश शाह के बारे में
'ये जो है जिंदगी' में सतीश शाह शो के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक थे. 1984 से लेकर शो के 50 से ज्यादा एपिसोड तक, सतीश शाह ने हर बार नए रूप में दर्शकों को चौंकाया. वह हर एपिसोड में अलग-अलग किरदार निभाते थे, जो शो की मुख्यधारा की कहानी में ताजगी और unpredictability लाते थे. चाहे वह एक हास्यपूर्ण वकील हो, एक चोर का साथी हो, या रेनू का बॉस हो- सतीश शाह ने हर किरदार को अपने अनूठे अंदाज से जीवंत किया. शो के सह-निर्देशक कुंदन शाह, जिनके साथ सतीश शाह ने FTII में अपने दिनों में 'बोंगा' जैसी हंसी से भरी शॉर्ट फिल्म की थी, उन्हें पूरी आजादी दी थी ताकि वह अपनी कॉमिक प्रतिभा का सही उपयोग कर सकें.
सतीश शाह ने एक बार राजश्री प्रोडक्शंस के 75 साल पूरे होने पर दिए एक इंटरव्यू में 'ये जो है जिंदगी' के बारे में मजाकिया लहजे में कहा कि 'हर एपिसोड में मेरा 'आइटम' एंट्री हुआ करता था. उन्होंने यह भी बताया कि वह शो में एक बार एक बंबलिंग वकील से लेकर एक तस्कर के साथी तक और कभी-कभी छोटे चोर तक का किरदार निभाते थे.
आज के दौर में 'ये जो है जिंदगी' का हास्य
आज के समय में जहां हर चीज में गहरे अर्थ, राजनीतिक शुद्धता और सोच-समझ कर प्रतिक्रिया देने की कोशिश की जाती है, वहीं 'ये जो है जिंदगी' का हल्का-फुल्का और बिना झंझट का हास्य शायद थोड़ा अजीब लग सकता है. लेकिन उस समय के हिसाब से यह शो पूरी तरह से प्रासंगिक था और दर्शकों को शुद्ध मनोरंजन प्रदान करता था. सतीश शाह ने इस शो की लोकप्रियता पर बात करते हुए कहा कि लोग शुक्रवार की शाम 6 बजे के शो को इसलिए छोड़ देते थे ताकि वे 'ये जो है जिंदगी' के प्रसारण के समय घर पर पहुंच सकें. और 9 बजे के शो को भी लोग इसलिए नहीं देखते थे, क्योंकि उसी वक्त शो आता था.
सतीश शाह का एक्टिंग
सतीश शाह का 'ये जो है जिंदगी' में हर एपिसोड में अलग-अलग किरदार निभाना इस शो को एक अलग पहचान दिलाता था. 80 के दशक में जब मुख्यधारा के सिनेमा और टीवी शो में एक जैसा ही अभिनय देखने को मिलता था, सतीश शाह ने अपने किरदारों में बदलाव लाकर दर्शकों को हर बार नई उम्मीद दी. उनके अभिनय की यह विविधता और सहजता शो की सफलता के प्रमुख कारणों में से एक थी.
सतीश शाह का अभिनय केवल हंसी तक सीमित नहीं था, बल्कि उन्होंने उस हंसी में एक स्थिरता और गरिमा को बनाए रखा. चाहे वह Dilwale Dulhania Le Jayenge में उनका मजेदार किरदार हो, या Hum Aapke Hain Koun.., हर बार सतीश शाह ने साबित किया कि वह किसी भी किरदार को निभाने में सहज और विश्वास के साथ काम करते हैं. उनकी हंसी और गंभीरता का संतुलन ही उनकी अद्वितीयता का प्रतीक बना.
'ये जो है जिंदगी' में सतीश शाह की भूमिका न केवल शो को दिलचस्प बनाती थी, बल्कि उन्होंने भारतीय टीवी में एक नया ट्रेंड सेट किया था. उनके विविध किरदारों ने इस शो को विशेष बना दिया और दर्शकों के दिलों में एक अमिट छाप छोड़ी. सतीश शाह का यह जादू अब भी दर्शकों के दिलों में जीवित है, और उन्होंने कॉमेडी की दुनिया में अपनी पहचान बनाई है जो समय के साथ भी कायम है.


