20 अगस्त को क्यों मनाया जाता है विश्व मच्छर दिवस?

भारत समेत दुनिया के अधिकांश देश मच्छर (Mosquito) के प्रकोप और उससे होने वाली कई बीमारियों से संघर्ष कर रहे हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका और यलो फीवर जैसी अनेकों बीमारियां हैं जो मच्छर के काटने से होती हैं।

Janbhawana Times
Janbhawana Times

भारत समेत दुनिया के अधिकांश देश मच्छर (Mosquito) के प्रकोप और उससे होने वाली कई बीमारियों से संघर्ष कर रहे हैं। डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, जीका और यलो फीवर जैसी अनेकों बीमारियां हैं जो मच्छर के काटने से होती हैं। मच्छरों से बचाव ही इन बीमारियों से बचने का एक मात्र उपाय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की रिपोर्ट के अनुसार, मच्छर हर साल करीब 7 से 10 लाख लोगों को बीमारी फैला कर मारते हैं। इन मौतों में सबसे ज्यादा मौत मलेरिया से होती है, मलेरिया से मरने वालों की दर 90% तक है। मच्छर के कारण एक और गंभीर रोग है जो दुनिया भर में विकलांगता की वजह बनता है। जिसे एलीफेंटियासिस रोग के नाम से जाना जाता है। विकलांगता के लिए लिंफेटिक फाइलेरिया परजीवी जिम्मेदार होता है। विशेषज्ञों की मानें तो मच्छर आपको बीमार, अक्षम और कई मामलों में मौत का कारण भी बन सकता है।

क्यों मनाया जाता है 20 अगस्त को विश्व मच्छर दिवस?

दरअसल, 20 अगस्त 1897 को ही ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस ने मादा एनाफिलीज मच्छर की खोज की थी, जो मलेरिया का कारण है। यही वजह है कि इस दिन को विश्व मच्छर दिवस (World Mosquito Day) के रूप में याद किया जाता है। एनाफिलीज वही मच्छर है जो मलेरिया को फैलाकर लोगों की जान लेते हैं। जैसा कि हम जानते हैं एनाफिलीज मच्छर से मलेरिया नहीं होता है बल्कि यह परजीवी का काम करते हैं। इस मच्छर की खोज होने के बाद ही मलेरिया से निपटने के लिए वैज्ञानिकों द्वारा और अधिक सार्थक प्रयास किए गए। हालांकि, दुनिया में मलेरिया का उपचार मच्छर की खोज से पहले भी था। इससे पहले ही वैज्ञानिकों ने कुनैन (Quinine) दवा की खोज कर दी थी लेकिन इसकी उपलब्धता का अभाव था जिसके कारण हर साल हजारों लोगों की जान जा रही थी। क्या हमेशा के लिए मच्छरों को खत्म किया जा सकता है? ऐसा कर पाना संभव नहीं है। हालांकि तकनीकी प्रगति के साथ हम मच्छरों पर काबू पाने में काफी हद तक सफल रहे है। लेकिन अगर कभी हम मच्छरों को खत्म करने के स्तर पर पहुंच जाते हैं तो ऐसे में पारिस्थितिक संतुलन (ecological balance) बिगड़ सकता है क्योंकि यह कई जीवो के लिए भोजन का स्रोत होते हैं और इनकी एक महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यही वजह है कि वैज्ञानिक भी इन्हें खत्म करने के बजाय इनसे फैलने वाली बीमारियों को ठीक करने पर जोर दे रहे हैं।

इन प्रजातियों के मच्छर से हो सकती हैं कौन-कौन सी बीमारियां?

आमतौर पर मच्छरों के तमाम प्रकार हैं जिनमें से कुछ ऐसे हैं जिनके कारण बीमारियां फैलती हैं-

- एडीज: चिकनगुनिया, डेंगू, लिम्फैटिक फाइलेरिया, रिफ्ट वैली बुखार, येलो फीवर, जीका

- एनोफिलीज: लिम्फैटिक फाइलेरिया, मलेरिया

- क्यूलेक्स: जापानी इंसेफेलाइटिस, लिम्फैटिक फाइलेरिया, वेस्ट नाइल फीवर

मच्छरों को काबू करने के कुछ उपाय - मच्छरों से बचने के कई उपाय हैं। मगर इसका सबसे अच्छा उपाय मच्छरदानी का उपयोग करना है, यह वर्षों से मच्छरों से बचने के तरीकों में से एक रहा है। जब भी आप सोने जाएं तो मच्छरदानी का उपयोग करें। मच्छर भगाने के लिए मच्छरदानी के अलावा भी और कई उपाय हैं जो अलग-अलग प्रारूपों में उपलब्ध हैं जैसे- क्रीम, लोशन, स्प्रे, गैस, जेल आदि।

मच्छरों को भगाने के कुछ प्राकृतिक उपाय -

नीलगिरी और नींबू का तेल: सेंटर फॉर डिसीज़ कंट्रोल (CDC) के अनुसार नींबू के तेल और नीलगिरी के तेल का मिश्रण प्राकृतिक रूप से मच्छरमुक्त रखने का एक बहुत असरदार उपाय है।

नीम का तेल: नीम मानव शरीर के लिए काफी लाभदायक है। लेकिन आपका स्वास्थ्यवर्धक होने के अलावा यह एक मच्छर नाशक भी है।

कपूर: मच्छरों से बचाव करने के लिए कपूर का उपयोग अद्भुत काम करता है। अन्य प्राकृतिक उत्पादों की तुलना में ये पेड़ से निचोड़ा हुआ यौगिक सबसे लंबे समय तक मच्छर से बचाता है।

पुदीना: बाईयोरिसोर्स टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार पुदीने का तेल या मिंट एक्सट्रैक्ट किसी भी अन्य कीटनाशक जितना प्रभावी पाया गया है।

लहसुन: मच्छरों को दूर रखने का ये एक प्रमुख तरीका है। यह बदबूदार हो सकता है लेकिन यही कारण से मच्छर भाग जाते हैं।

मच्छरों से जुड़े हुए कुछ ख़ास रोचक तथ्य -

- आपको यह जानकर हैरानी होगी कि सिर्फ मादा मच्छर ही काटती हैं बाकी नर मच्छर काफी आराम से पौधों पर दूर बैठे रहते हैं।

- मानव रक्त मच्छरों को प्रेग्नेंट करने में मदद करता है इसमें वह प्रोटीन होता है जो मादा मच्छर को अंडे विकसित करने के लिए चाहिए होता है।

- पूरी दुनिया में करीब 110 ट्रिलियन मच्छर हैं जो करीब 3000 प्रजातियों में फैले हुए हैं।

- मच्छर हमें हमारे शरीर के तापमान और गंध से पहचानते हैं। उनकी आंखें हमें देख नहीं पाती हैं बल्कि वह हमारे शरीर से निकलने वाले इंफ्रारेड रेडिएशन से पहचानते हैं इसलिए दिन हो या रात वह हमें काटते रहते हैं।

- मच्छर हमेशा कार्बन डाइऑक्साइड और लैक्टिक एसिड की ओर आकर्षित होते हैं। हम आप जितना अधिक इनका उत्पादन करेंगे उतने ही ज्यादा मच्छर हमारे आसपास मंडराते मिलेंगे। यही वजह है कि दूसरों की तुलना में कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं।

- मच्छरों में बहुत सारा खून पीने की क्षमता होती है। वह अपने वजन तक लगभग 3 गुना खून पी सकते हैं। करीब 12 लाख मच्छर काटेंगे तब जाकर मनुष्य के शरीर का पूरा खून निकल पाएगा।

- मच्छर कार्बन डाइऑक्साइड (co2) का पता करीब 75 फीट की दूरी से भी लगा लेते हैं। जब मनुष्य ऑक्सीजन लेता है और कार्बन डाइऑक्साइड छोड़ता है तो कार्बन डाइऑक्साइड को ट्रैक कर मच्छर हम तक पहुंच जाते हैं।

calender
20 August 2022, 06:31 PM IST

जरुरी ख़बरें

ट्रेंडिंग गैलरी

ट्रेंडिंग वीडियो