मुंबई के लीलावती अस्पताल ट्रस्ट में 1500 करोड़ रुपये का घोटाला, जानिए कैसे पूर्व ट्रस्टियों ने फंड से किया खेल? FIR दर्ज, जांच जारी....
मुंबई के लीलावती अस्पताल ट्रस्ट में 20 साल से चल रहे बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है. पूर्व ट्रस्टियों ने अस्पताल के फंड से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की, जिससे अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं. एफआईआर दर्ज हो चुकी है और पुलिस, प्रवर्तन निदेशालय मामले की जांच में जुटे हुए हैं. क्या यह घोटाला मेडिकल क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला साबित होगा? जानने के लिए पूरी खबर पढ़ें!

Mumbai: मुंबई का लीलावती अस्पताल, जो अपने उच्च गुणवत्ता वाले उपचार के लिए प्रसिद्ध है, अब एक बड़े घोटाले का केंद्र बन गया है. रिपोर्ट्स के अनुसार, लीलावती कीर्तिलाल मेहता मेडिकल ट्रस्ट के पूर्व ट्रस्टियों द्वारा अस्पताल के फंड से करोड़ों रुपये की हेराफेरी की गई है. यह घोटाला 20 सालों से चल रहा था, और इसकी जांच अब सख्ती से की जा रही है.
घोटाले की शुरुआत और आरोप
यह घोटाला तब सामने आया जब ट्रस्ट की ऑडिट जांच में वित्तीय अनियमितताएं और फंड के दुरुपयोग की बात सामने आई. 7 मार्च, 2025 को एफआईआर दर्ज की गई, और जांच में कई नए विवरण सामने आए हैं. ट्रस्ट ने पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय (ED) को यह शिकायत की है कि पूर्व ट्रस्टियों ने अस्पताल के फंड से करोड़ों रुपये निकाल लिए, जिसके कारण अस्पताल की सेवाएं प्रभावित हो रही हैं.
20 वर्षों में हुई अवैध गतिविधियां
मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने बताया कि लीलावती अस्पताल का निर्माण 1997 में किया गया था, लेकिन 2002 के बाद, जब ट्रस्ट के प्रमुख किशोर मेहता की तबीयत खराब हुई, तो उनके परिवार के कुछ रिश्तेदारों ने अस्पताल पर अवैध कब्जा कर लिया. इसके बाद, अगले 20 वर्षों में उन्होंने विभिन्न अनियमितताओं और वित्तीय धोखाधड़ी को अंजाम दिया. इन 20 सालों में ट्रस्टियों ने लगभग 1500 करोड़ रुपये की हेराफेरी की.
जांच की दिशा
इस घोटाले के बाद पुलिस ने बांद्रा पुलिस स्टेशन में 12 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और जालसाजी के मामलों की जांच शुरू की है. इसके अलावा, प्रवर्तन निदेशालय को भी मामले में शामिल कर लिया गया है, और उन्हें धन शोधन के मामलों की जांच करने के लिए पत्र लिखा गया है. अधिकारियों का कहना है कि यह घोटाला मेडिकल क्षेत्र का सबसे बड़ा घोटाला हो सकता है, क्योंकि पहले कभी इस स्तर का धोखाधड़ी नहीं हुआ है.
घोटाले में विदेशों का भी हाथ
इस घोटाले में शामिल पूर्व ट्रस्टियों का नाम बेल्जियम और दुबई जैसे देशों से जुड़ा हुआ है. परमबीर सिंह के अनुसार, यह शक है कि यह सारा पैसा अवैध तरीकों से कमाया गया और संभवतः इसे विदेशों में भेजा गया. पुलिस की जांच में अब यह स्पष्ट हो सकेगा कि इस पैसे का क्या हुआ और यह किस तरह से देश के बाहर भेजा गया.
मेडिकल सेक्टर में घोटालों की बढ़ती संख्या
यह घोटाला पिछले कुछ समय में सामने आए कई घोटालों का हिस्सा बनता है. जनवरी में मुंबई में टॉरेस पोंजी घोटाले का पर्दाफाश हुआ था, जिसमें निवेशकों को करोड़ों का नुकसान हुआ था. अब लीलावती अस्पताल का यह घोटाला एक और बड़ा वित्तीय धोखाधड़ी का उदाहरण है.
लीलावती अस्पताल का यह घोटाला न सिर्फ अस्पताल के फंड के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि किस तरह से कुछ लोग चिकित्सा क्षेत्र में भी धोखाधड़ी कर सकते हैं. अब पुलिस और प्रवर्तन निदेशालय की टीम इस घोटाले की गहरी जांच कर रही है और दोषियों को सजा दिलाने का प्रयास किया जा रहा है.
कृपया ध्यान दें: यह घोटाला और अन्य धोखाधड़ी मामले स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़े बदलाव की जरूरत को उजागर करते हैं. इस घटना से यह साफ हो गया है कि चिकित्सा क्षेत्र में भी पारदर्शिता और ईमानदारी की आवश्यकता है.


