'मुझे हल्के में न लें...', एकनाथ शिंदे की टिप्पणी पर अजित पवार ने ली चुटकी, बोले- पता नहीं उनका निशाना कौन था?
अजित पवार ने तालकटोरा स्टेडियम में उपमुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी में कहा कि हाल ही में शिंदे ने 'मुझे हल्के में मत लो'. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उन टिप्पणियों का लक्ष्य कौन था. पवार ने कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि 'मशाल' को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए या किसी और को उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने एकनाथ शिंदे की टिप्पणी "मुझे हल्के में न लें" पर तंज कसते हुए कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उनका निशाना कौन था? एक कार्यक्रम में अजित पवार ने आश्चर्य जताया कि क्या शिंदे का मतलब यह कहना था कि शिवसेना-यूबीटी को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए या कोई और. हालांकि, अजित पवार के बयान पर शिंदे ने ज्यादा कुछ तो कहा नहीं लेकिन उन्होंने इतना जरूर स्पष्ट कर दिया कि उनकी यह टिप्पणी 2022 की घटना को लेकर थी.
महायुति में कोई दरार नहीं
अजित पवार ने तालकटोरा स्टेडियम में उपमुख्यमंत्री शिंदे की मौजूदगी में कहा कि हाल ही में शिंदे ने 'मुझे हल्के में मत लो'. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि उन टिप्पणियों का निशाना कौन था. पवार ने कहा कि यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि 'मशाल' को हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए या किसी और को उसे हल्के में नहीं लेना चाहिए.
'मशाल' उद्धव ठाकरे की अगुवाई वाली शिवसेना-यूबीटी का चुनाव चिन्ह है. पवार ने यह भी स्पष्ट किया कि भाजपा-एनसीपी-शिवसेना वाली महायुति में कोई दरार नहीं है. 2022 में शिंदे ठाकरे के नेतृत्व वाली सेना को तोड़कर भाजपा के साथ गठबंधन करके मुख्यमंत्री बने थे.
शिंदे की भूमिका में बदलाव
2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों के बाद शिंदे को अपनी भूमिका बदलने के लिए सहमत होना पड़ा और पिछली सरकार में उनके डिप्टी रहे देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री बनाया गया. रविवार को कार्यक्रम में शिंदे ने याद किया कि मुख्यमंत्री के तौर पर उनके कार्यकाल के दौरान ही मराठी को केंद्र सरकार ने शास्त्रीय भाषा का दर्जा दिया था.
शिंदे ने पीएम मोदी-शरद पवार की दोस्ती का किया जिक्र
शिंदे ने शिवसेना-यूबीटी पर भी कटाक्ष करते हुए याद दिलाया कि कैसे उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी एनसीपी-एसपी प्रमुख शरद पवार के हाथों महादजी शिंदे पुरस्कार प्राप्त करने से नाराज थे. उन्होंने सम्मेलन के उद्घाटन के दौरान शरद पवार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच की दोस्ती का भी जिक्र किया.
शिंदे ने कहा कि चुनाव के बाद हम सब कुछ भूल जाते हैं और राजनीति से परे रिश्तों को बढ़ावा देते हैं कि अजित पवार और शिंदे दोनों ने शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के बढ़ते इस्तेमाल पर चिंता जताई.


