114 साल तक दौड़ता रहा हिंदुस्तान का शेर, सड़क ने सबकुछ छीन लिया
114 साल के मशहूर बुजुर्ग एथलीट फौजा सिंह का आज उनके गांव ब्यास पिंड में अंतिम संस्कार किया गया. उनके निधन के बाद पूरे पंजाब में शोक की लहर है और नेताओं के पहुंचने की उम्मीद है।

National News: वो उम्र जिसे लोग बिस्तर मान लेते हैं, फौजा सिंह ने उसे मैदान बना दिया था। 114 बरस की सांसों में जुनून दौड़ता था, और हौसले में बिजली सी चमक थी। लेकिन एक तेज़ रफ्तार ने वो रफ्तार ही छीन ली जिससे देश का सिर ऊंचा था। ब्यास पिंड की गलियों में जहां कभी तालियां गूंजती थीं, आज मातम पसरा है। एक लापरवाह ड्राइवर ने सिर्फ एक जिस्म नहीं, एक प्रेरणा को कुचल दिया। क्या हमारी सड़कें इतनी असंवेदनशील हो गई हैं कि वो उम्र और इज़्ज़त नहीं पहचानतीं? देश ने एक हीरो खोया है — वो हीरो जो कभी नहीं थकता था, कभी नहीं रुकता था।
1. फौजा सिंह का अंतिम सफर
आज सबसे उम्रदराज धावक फौजा सिंह को उनके पैतृक गांव ब्यास पिंड में अंतिम विदाई दी गई। सुबह 7:30 बजे के करीब उनका पार्थिव शरीर सिविल अस्पताल से उनके घर लाया गया। यहां पारिवारिक सदस्यों ने पारंपरिक रीति-रिवाजों से अंतिम तैयारी की। गांव में ग़म का माहौल है और लोगों की आंखें नम हैं।
2. पंजाब के नेता भी आएंगे
फौजा सिंह के अंतिम संस्कार में कई महान शख्सियत पहुंचीं। सरकार की ओर से उन्हें राज्य स्तर की श्रद्धांजलि दी जा सकती है। गांव में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। स्थानीय प्रशासन भी मौके पर मौजूद है। फौजा सिंह को देश का गौरव मानकर लोग उन्हें आखिरी बार देखने के लिए उमड़े।
3. हादसे ने ली जान
सोमवार को फौजा सिंह को एक तेज़ रफ्तार कार ने टक्कर मार दी थी। यह हादसा उस वक्त हुआ जब वह सुबह की सैर पर निकले थे। गंभीर चोटें लगने के बाद उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाया गया। इलाज के दौरान उनकी हालत बिगड़ती चली गई और बुधवार को उनका निधन हो गया। उनके जाने से देश को बड़ा नुकसान हुआ है।
4. एनआरआई युवक की गिरफ्तारी
हादसे के बाद पुलिस ने तुरंत जांच शुरू की। पता चला कि कार चला रहा युवक कनाडा से आया एक एनआरआई है। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है और उससे पूछताछ जारी है। स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि आरोपी को सख्त सजा दी जाए। हादसे के बाद गांव में गुस्सा और दुख दोनों है।
5. दुनिया को दिखाई थी मिसाल
फौजा सिंह ने 90 साल की उम्र के बाद दौड़ना शुरू किया था। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय मैराथन में हिस्सा लिया और रिकॉर्ड बनाए। उनका हौंसला और फिटनेस युवाओं के लिए प्रेरणा बन गई थी। दुनिया भर में उन्हें "टर्बो ग्रैंडपा" कहा जाता था। उन्होंने यह दिखाया कि उम्र सिर्फ एक नंबर है।
6. परिवार और गांव में मातम
उनके परिवार में बेटा, बहू, पोते और परपोते हैं जो गहरे सदमे में हैं। गांव के लोग उन्हें एक आदर्श बुजुर्ग और प्रेरणास्रोत मानते थे। उनकी बातों में हमेशा सादगी और समझदारी होती थी। उनके जाने से गांव में सन्नाटा पसरा है। हर कोई उन्हें याद कर रहा है।
7. देश ने खोया एक रत्न
फौजा सिंह लोगों को उम्मीद और जज़्बे का पाठ पढ़ाता है। उनकी सादगी, मेहनत और दृढ़ निश्चय आने वाली पीढ़ियों के लिए एक उदाहरण है। उनकी मौत से सिर्फ गांव नहीं, बल्कि पूरा देश दुखी है। आज वे पंचतत्व में विलीन हो गए।


