'मैं जिंदा हूं क्योंकि...' पहलगाम हमले में जान गंवाने वाले आदिल हुसैन की कुर्बानी पर बोले पिता
पहलगाम आतंकी हमले में सैयद आदिल हुसैन शाह ने पर्यटकों की जान बचाते हुए शहादत दी, जिससे वो पूरे समुदाय के लिए नायक बन गए. उनका बलिदान परिवार और समाज के लिए प्रेरणा है.

पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए, जिनमें एक स्थानीय घोड़ा मालिक, सैयद आदिल हुसैन शाह भी शामिल थे. इस हमले के बाद, आदिल के पिता, सैयद हैदर शाह ने दुख व्यक्त करते हुए अपने बेटे की शहादत पर गर्व जताया और कहा कि वो अपने बेटे के बलिदान के कारण आज भी जिंदा हैं. आदिल, जो अपने परिवार के लिए एकमात्र कमाने वाला था, जिसने हमले के दौरान पर्यटकों की रक्षा करने का प्रयास करते हुए अपनी जान गवाई. उनका बलिदान ना केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे समुदाय के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया है.
आदिल का अंतिम दिन
आदिल का आखिरी दिन एक सामान्य दिन की तरह शुरू हुआ था. वो सुबह जल्दी काम पर निकल गए थे और पहलगाम के हरे-भरे मैदानों में पर्यटकों के लिए घोड़ा चला रहे थे. शाम के 3 बजे के आसपास, परिवार को क्षेत्र में हो रहे हमले की खबर मिली. जब उन्होंने आदिल से संपर्क करने की कोशिश की, तो उनका फोन कुछ समय के लिए सक्रिय हुआ, लेकिन फिर से बंद हो गया. परिवार जल्द ही पुलिस स्टेशन और अस्पताल के लिए निकला, तभी ये खबर पता लगी कि आदिल को कई बार गोली मारी गई थी.
सैयद हैदर शाह ने बताया कि हमें शाम 6 बजे के करीब ये पता चला कि मेरा बेटा और मेरा चचेरा भाई अस्पताल में हैं. वहां जो लोग उन्हें ढूंढने गए थे, उन्होंने हमें ये जानकारी दी. कुछ लोगों की जान आदिल ने बचाई और मुझे उस पर गर्व है.
आदिल की मां का दर्द – 'अब कौन खाना लाएगा?'
आंखों में आंसू लिए आदिल की मां ने अपने बेटे को घर के स्तंभ के रूप में बताया. वो रोज ₹300 कमाता था. हम शाम को चावल खरीदते और एक साथ खाते. अब कौन खाना लाएगा? कौन दवाइयां लाएगा? उन्होंने अपने बेटे की शहादत पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा. वो उन्हें बचाते हुए मरा. लेकिन हम क्या कर सकते हैं? वे भी हमारे भाई थे.
'जल्द घर वापस लौटने वाला था'- आदिल की बहन
आदिल की बहन, रविसा ने बताया कि उस दिन आदिल ने कहा था कि वो अच्छा महसूस नहीं कर रहा और कुछ समय के लिए छुट्टी पर जाएगा. रविसा ने बताया कि लेकिन वो कभी वापस नहीं आया. उसने हमलावर से बंदूक छीनने की कोशिश की और दूसरों को बचाया. तीन गोलियां उसकी छाती में लगी, एक गले में.
नायक के रूप में सम्मानित आदिल
स्थानीय निवासी आदिल को एक नायक के रूप में सम्मानित कर रहे हैं और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शोक संतप्त परिवार से मुलाकात की और इस साहसिक कार्य की सराहना की. मुख्यमंत्री ने कहा कि जैसा कि मैंने सुना है, आदिल ने हमले को रोकने की कोशिश की और शायद बंदूक छीनने की कोशिश की और तभी वो निशाना बना. हमें इस परिवार का ध्यान रखना है... सरकार उनके साथ खड़ी है और हम उनके लिए जो कुछ भी कर सकते हैं, करेंगे.


