'नरेंद्र मोदी में कोई दम नहीं, सिर्फ दिखावा है', राहुल गांधी ने PM पर कसा तंज
दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को "दिखावा" करार दिया और कहा कि उनमें कोई गहराई नहीं है. उन्होंने वंचित समुदायों की सत्ता में भागीदारी की कमी पर भी सवाल उठाया. राहुल ने कहा कि 90% आबादी देश का निर्माण करती है, लेकिन उन्हें फैसलों में भाग नहीं मिलता.

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जोरदार हमला बोलते हुए उन्हें "सिर्फ़ एक दिखावा" करार दिया. दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित एक जनसभा को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री को जितना महत्व दिया गया है, वह वास्तव में उतने प्रभावशाली नहीं हैं. राहुल गांधी ने कहा, "वह केवल एक दिखावा हैं, जिन्हें मीडिया ने जरूरत से ज्यादा उभारा है. मैंने उनसे दो-तीन बार मुलाकात की है और मुझे स्पष्ट रूप से महसूस हुआ कि उनमें कोई गहराई नहीं है."
मोदी कभी बड़ी समस्या नहीं रहे
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी को लेकर जनता और मीडिया में जो डर या प्रभाव का माहौल बनाया गया है, वह महज एक भ्रम है. राहुल ने कहा, "जब मैंने मोदी जी से मुलाकात की, तो मुझे लगा कि ये कभी कोई बड़ी समस्या नहीं थे. उनमें दम नहीं है. जो प्रभाव मीडिया ने गढ़ा है, वह वास्तविकता से बहुत दूर है."
90 प्रतिशत आबादी को सत्ता से दूर रखने का आरोप
अपने भाषण में राहुल गांधी ने देश की नौकरशाही में वंचित और हाशिए पर खड़े समुदायों के कम प्रतिनिधित्व पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि दलित, पिछड़े वर्ग, आदिवासी और अल्पसंख्यक भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 90 प्रतिशत हैं, लेकिन इन वर्गों की उपस्थिति सत्ता के मुख्य केंद्रों में नगण्य है.
राहुल गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा, "जब देश का बजट तैयार होता है और परंपरा के अनुसार हलवा बांटा जाता है, तब उस समारोह में 90 प्रतिशत भारत का कोई भी प्रतिनिधि मौजूद नहीं होता. यह साफ दर्शाता है कि आर्थिक और प्रशासनिक व्यवस्था में इन समुदायों को जगह नहीं दी गई."
हलवा वही बनाते हैं, लेकिन खाते कौन हैं?
राहुल ने सत्ता में असमानता का प्रतीकात्मक उदाहरण देते हुए कहा, "हलवा तो देश की जनता बनाती है – यह 90 प्रतिशत आबादी असली मेहनत करती है – लेकिन खाते वही लोग हैं जो पहले से ही सत्ता में हैं. हम यह नहीं कह रहे कि उन्हें हलवा नहीं मिलना चाहिए, लेकिन कम से कम जो इसे बनाते हैं, उन्हें भी हिस्सा मिलना चाहिए."


